अश्वलोक के सूर्यवंशियों और चंद्रवंशियों की दुश्मनी में पिसे सूर्यवंशी राजकुमार अश्वराज और चंद्रवंशी राजकुमारी अश्वकीर्ति जा पहुंचे कारूं के तिलिस्म के अन्दर जहाँ अश्वराज को पता चला कि ये सब थी एक चाल कारूं के खजाने तक पहुँचने की। अश्वराज अकेला ही भिड़ गया चंद्रवंशी सेना से जिसमे मिली उसे मौत परन्तु एक बार फिर उस अश्वराज ने जन्म लिया और रथ मैराथन का विजेता बन दुश्मनों की चाल का शिकार हो फिर से जा पहुंचा कारूं की घाटी जहाँ उसका रास्ता रोकने में लगे थे महर्षि फूंकमसान अपने 12 दिव्य शिष्यों के साथ। और फिर...............?
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