सुजानगढ़ का राजमहल जहाँ मनाया जा रहा था राजा वीरेंदर सिंह के जुड़वाँ पुत्रों इंदल और संदल का सोलहवां जन्मदिन वहां पधारे महर्षि जलालानाथ अपने साथ ले जाने के लिए दोनों राजकुमारों को आतुरकर का तिलिस्म तोड़ने। वो तिलिस्म जो सुजानगढ़ के हर युवराज को उसके सोलह साल का होने पर तोड़ कर दिव्यास्त्र प्राप्त करने के लिए आवश्यक होता था। अपने पूर्वजों के रिवाज का मान रखने के लिए दोनों युवराज निकल पड़े खतरों से भरे तिलिस्म को तोड़कर दिव्यास्त्र प्राप्त करने। और फिर.............?
No comments:
Post a Comment