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Saturday, August 14, 2010

प्रलयंकारी त्रिशूल

सुरसानगर का दैत्यराज त्रिकंटकासुर जिसने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर प्राप्त कर रखी थी एक प्रलयंकारी त्रिशूल जिसके बल पर उसनें पृथ्वी के कई राज्यों पर कर रखा था अपना अधिकार। उसने अपनी बहन राजकुमारी कौशाम्बी का विवाह तय कर दिया दैत्यराज प्रलम्बासुर के साथ परन्तु कौशम्बी को यह विवाह नहीं था मंजूर इसलिए वह राजमहल से भाग निकली आत्महत्या करने के लिए परन्तु उसको बचा लिया एक सन्यासी मित्रवसु ने और उससे कर लिया विवाह। विवाह के पश्चात हुए अपने पुत्र कार्तिक की शिक्षा के लिए उसे छोड़ आए महर्षि उदन्त के आश्रम में। इधर जब त्रिकंटकासुर को पता चला अपनी बहन कौशम्बी और उसके पति मित्रवसु के बारे में तो उसने मित्रवसु की हत्या कर बना लिया कौशम्बी को बन्दी। मरते हुए मित्रवसु ने दिया उसे श्राप की उसकी मृत्यु भी होगी एक सन्यासी के हाथ इसलिए त्रिकंटकासुर करने लगा सभी सन्यासियों की हत्या। और फिर..........?

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