राक्षस दुष्टान्त जिसने देवी शक्तिदायनी को अपनी कठोर तपस्या से प्रसन्न कर लिया और उनसे वर स्वरुप प्राप्त किया एक चमत्कारी शस्त्र किया जिसके द्वारा वो किसी भी युद्ध में विजय पा सकता था। शक्ति प्राप्त कर दुष्टान्त निकल पड़ा विश्वविजय की यात्रा में। इधर विशालगढ़ में राजा बनाने के ख्वाब संजोये बांकेलाल ने की एक नई शरारत और धोखे से विक्रमसिंह को धकेल दिया पानी की झील में और बन बैठा विशालगढ़ का कार्यवाहक राजा। इधर कई राज्यों को हराता दुष्टान्त आ पहुंचा विशालगढ़ और कब्ज़ा कर लिया विशालगढ़ में और बांकेलाल को अपने साथ मिलाकर करने लगा लोगों पर अत्याचार। और फिर........................?Monday, August 9, 2010
मौत का त्रिशूल
राक्षस दुष्टान्त जिसने देवी शक्तिदायनी को अपनी कठोर तपस्या से प्रसन्न कर लिया और उनसे वर स्वरुप प्राप्त किया एक चमत्कारी शस्त्र किया जिसके द्वारा वो किसी भी युद्ध में विजय पा सकता था। शक्ति प्राप्त कर दुष्टान्त निकल पड़ा विश्वविजय की यात्रा में। इधर विशालगढ़ में राजा बनाने के ख्वाब संजोये बांकेलाल ने की एक नई शरारत और धोखे से विक्रमसिंह को धकेल दिया पानी की झील में और बन बैठा विशालगढ़ का कार्यवाहक राजा। इधर कई राज्यों को हराता दुष्टान्त आ पहुंचा विशालगढ़ और कब्ज़ा कर लिया विशालगढ़ में और बांकेलाल को अपने साथ मिलाकर करने लगा लोगों पर अत्याचार। और फिर........................?
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बढ़िया प्रयास.........."
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