जीतपुर राज्य का कृष्ण मंदिर जहां का पुजारी विश्वानंद भगवान कृष्ण का परमभक्त था परन्तु उनका पुत्र जीवानंद एक नास्तिक और अय्याश इंसान था। विश्वानंद ने उसको कई बार सुधारने की चेष्ट की परन्तु वह उनकी एक न सुनता। एक बार जीवानंद ने विश्वानंद को भारी मुसिबत में फंसा दिया तब विश्वानंद को उस मुसिबत से निकाला स्वयं मंदिर के भगवान कृष्ण की मूर्ति ने अपनी मुर्ति का कायाकल्प करके जिससे भगवान कृष्ण की मूर्ति हो गई बू़ी। अपने कारण भगवान की मूर्ति को बू़ा होता देख विश्वानंद ने त्याग दिए अपने प्राण और अपने पुत्र जीवानंद की जिम्मेदारी छोड़ दी भगवान कृष्ण पर। और फिर..........?
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