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Wednesday, August 11, 2010

राक्षस का बेटा

असुरों के राजा दुष्प्रेक्षासुर ने ब्रह्मा को प्रसन्न कर प्राप्त किया वरदान पृथ्वी के किसी भी अस्त्रशस्त्र से ना मारे जाने का। वरदान मिलने के बाद उसने पृथ्वी पर मचा दिया हाहाकार तब उसका अंत किया पुष्पकनगर के राजा पुष्पराज ने भगवान विष्णु द्वारा प्राप्त अद्भुत गदा द्वारा। दुष्प्रेक्षासुर की मौत का बदला लेने की कसम खाई उसके पुत्र दीर्घश्रुतासुर ने और उसने भी भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या कर प्राप्त कर लिया वरदान कि उसको ना कोई मनुष्य मार सकता है न देवता। इसके बारे में जब पता चला राजा पुष्पराज को तो उसने भी दीर्घश्रुतासुर को मौत देने के लिए शुरू कर दिया महायज्ञ परन्तु उस महायज्ञ को नष्ट करने के लिए दीर्घश्रुतासुर भी सन्यासी का भेष बनाए जा पहुंचा पुष्पराज के महायज्ञ में। और फिर...........?

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