कुन्तलनगर का डाकू संग्रामसिंह जिसे बचपन में मिला एक बच्चा जिसको उसने अपने बेटे की तरह पाला। संग्रामसिंह की मृत्यु के बाद उसका वही बेटा गोविन्दा बन बैठा डाकूओं का सरदार उसकी नजर पड़ गई कुन्तलनगर की राजकुमारी सुकीर्ति पर उस पर मोहित हो उसने ठान लिया उससे विवाह करने का परन्तु डाकू गोविन्दा से सुकीर्ति को बचाया बंजारे युवक गौतम ने। गौतम की यह वीरता देख सुकीर्ति करने लगी उससे प्रेम। इधर अपनी हार से तिलमिलाए डाकू गोविन्दा ने सुकीर्ति का अपहरण करने के लिए बनाई योजना। और फिर..........?
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