गिरीराज जो एक समुद्री यात्रा के दौरान जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण किसी तरह तैरता हुए एक अन्जान टापू पर आ पहुंचा जहां एक जंगली कबीले के कुछ जंगलियों द्वारा घेर लिया गया तब उनसे गिरीराज की जान बचाई बूढ़े रॉबर्ट ने जो खुद भी दुर्भाग्यवश एक दुर्घटना का शिकार हो उस टापू पर आ फंसा था। ऐसे ही उन दोनों की मुलाकात हुई एक और किस्मत की मारी रंजना नामकी लड़की से जिसका जहाज भी दुर्घटनाग्रस्त हो चुका था। अब तीनों चाहते थे किसी तरह उस टापू से निकलना परन्तु उसके लिए उन्हें चाहिए था एक जहाज तभी एक दिन उस टापू पर आकर रूका समुद्री लुटेरों का एक जहाज। और फिर.......?
Tuesday, August 31, 2010
Monday, August 30, 2010
बांकेलाल और तिलिस्मी जाल

Sunday, August 29, 2010
चमगादड़

Saturday, August 28, 2010
ताजमहल की चोरी

Friday, August 27, 2010
अंगूठी के दीवाने
जादूगर कालचक्र जो एक बहुत बड़ा जादूगर था उसके पास जादू सीखते थे चंद्रनाथ और वृश्चिक। कालचक्र ने दोनों को सिखाए जादूगरी के कई गुर और बताया अपनी एक जादूई अंगूठी के बारे में जिसमें रहता था एक जिन्न जो अंगूठी के मालिक की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देता था। उस अंगूठी को पाने के लिए कालचक्र के दोनों शिष्यों ने रची साजिश और कर दिया कालचक्र का कत्ल। परन्तु दोनों आपस में लड़ पड़ें अंगूठी को पाने के लिए। लड़तेलड़ते अंगूठी ले भागा वृश्चिक और छुपा दी वो जादूई अंगूठी एक पेड़ के खोखल में परन्तु वहां से उस अंगूठी को निकाल ले गया गांव का एक युवक रणधीर। जब वृश्चिक और चंद्रनाथ को पता चली अंगूठी के गायब होने की बात तो दोनों चल पड़े अंगूठी चुराने वाले की तलाश में। और फिर...............?
Thursday, August 26, 2010
कंकाल का खजाना
अश्वपुरी का राजा अश्वयुद्ध जिसको अपने खजाने से था बेहद प्रेम अपने इस खजाने के लालच के कारण वह अपनी प्रजा पर भी करता था अत्याचार। अपने खजाने के सामने वो अपनी रानी और बेटियों को भी कुछ नहीं समझता। यह देख अश्वपुरी पर हमला कर दिया पड़ोसी देश मगध के राजा मरीच ने। अपने पर हमले की खबर सुन राजा अश्वयुद्ध सारा खजाना लेकर निकल भागा। मगध के राजा मरीच ने कर लिया राज्य पर कब्जा और बना लिया रानी और राजकुमारियों को बन्दी। कैद में बंद रानी की मदद की एक रहस्यमय कंकाल ने जिसने उसको कैद से छुड़ाया और पहुंचाया मुनि कृपाचार्य तक। और फिर...........?
Wednesday, August 25, 2010
तीन महारथी
सूर्यावर्त के राजा ऋतुराज जिनके यहां जन्म लिया तीन राजकुमारों ने परन्तु दुर्भाग्य वश तीनों राजकुमार गंगा नदी की लहरों में अपने माता पिता से बिछुड़ गए। एक राजकुमार जा पहुंचा महर्षि अगस्त के पास जिसको राक्षसराज शम्बरासुर से निजात पाना था। दूसरा पुत्र मिल गया जादूगर कालनेमि को जो बनना चाहता था सबसे शक्तिशाली जादूगर वहीं तीसरे राजकुमार को पाला पोसा राक्षसराज शम्बरासुर ने जो पाना चाहता था अमरता का वरदान। तीनों को अपना मकसद पूरा करने के लिए चाहिए थी भास्कर नगर की राजकुमारी सारंगा। राजकुमारी के बड़ें होनें पर तीनों द्वारा पालपोस कर बड़े किए तीनों महारथी राजकुमार चल पड़े उनका मकसद पूरा करने। और फिर............?
Tuesday, August 24, 2010
तालाब के चोर

Monday, August 23, 2010
जादूगर का किला
एक विशाल रेगिस्तान के बीचोंबीच बने किले में रहता था दुष्ट जादूगर होशांग जो अपने किले के पास आने वाले लोगों को मार देता या बन्दी बना लेता। ऐसे ही एक बार वहां से गुजर रही चंदनगढ़ की राजकुमारी रूपलेखा के काफिले पर हमला कर दिया जादूगर होशांग ने जहां चंदनगढ़ का सेनापति दुर्जनसिंह मिल गया जादूगर होशांग से परन्तु राजकुमारी रूपलेखा भाग निकली और उसकी मुलाकात हुई महर्षि विद्यानंद के आश्रम में शस्त्र विद्या सीख रहे सुन्दरनगर के राजकुमार जयराज से जिसने उसको वापिस चंदनगढ़ पहुंचाया। जादूगर होशांग ने चंदनगढ़ से अपहरण कर लिया राजकुमारी रूपलेखा का जिसको वापिस लाने के लिए निकल पड़ा राजकुमार जयराज जादूगर के किले में। और फिर.........?
Sunday, August 22, 2010
नागराज और बौना शैतान

Saturday, August 21, 2010
तबाही के भूत

Friday, August 20, 2010
टाइम बम
शहर में मचा हुआ था हाहाकार, शहर के बैंकों को लूटने के लिए हमला कर रहे थे टाइम बमों से लदे इंसान। और उन जिंदा टाइम बमों के धमाकों से थर्रा उठा था पूरा शहर। पुलिस भी उन टाइम बमों से लदे लोगों का पता लगाते हुए उनके घर पहुंचते तो उनको पता चलता कि कुछ अपराधी उनके परिवार वालों को बंदी बना कर करवाते थे मासूम लोगों से यह काम। तब इन मासूम लोगों को मजबूर कर टाइमबम बनाने वाले गिरोह को खत्म करने निकला जांबाज इंस्पेक्टर श्रीकांत। और फिर............?
Thursday, August 19, 2010
परोपकार का मूल्य
सत्यापुर गांव का गरीब मजदूर हरिया जो मेहनत करके अपना व अपनी मां का पेट भरता। एक बार अपने बीमार होने की वजह से मां की तकलीफ न देख पाया तो आत्महत्या के इरादे से नदी में कूद पड़ा जहां से उसकी जान बचाई उदयपुर के राजा उदयसिंह ने जिसने हरिया की जान बचाने के साथसाथ उसको उप सेनापति भी बना दिया। इधर राजा उदयसिंह को भी था एक दुख क्योंकि उसकी पुत्री राजकुमारी उत्तरा को उठा ले गया था शिखण्ड देश का दुष्ट राजा अग्निविजय जिसने अग्निदेव को अपना दास बना रखा था। यह जान राजा उदयसिंह के परोपकार तले दबे हरिया ने ठान लिया अग्निविजय के कैद से राजकुमारी उत्तरा को वापिस लाने का। और फिर...........?
Wednesday, August 18, 2010
उड़नतश्तरी के बंधक

Tuesday, August 17, 2010
बांकेलाल और अंगुलिमाल

Monday, August 16, 2010
तिलिस्मी कुआं
वैशाली नगरी जहां के जंगलों में था एक विचित्र सुखा कूंआ जिसमें छुपे हुए थे कई रहस्य। वैशाली के राजा कर्णादित्य ने किया ऐलान कि जो काई उस सुखे कूएं का रहस्य खोलेगा उसको वो देंगे आधा राज्य और राजकुमारी वैशाली का हाथ। कई युवक गए उस कूंए का रहस्य जानने परन्तु लौट कर ना आ सके तब राजमहल में आया सूरजसिंह नाम का नौजवान जो जाना चाहता था कूंए का रहस्य जानने परन्तु उससे पहले ही महल में हमला किया गजमुखासुर राक्षस ने और उठा ले गया राजकुमारी वैशाली को। सूरजसिंह निकल पड़ा उसके पीछे तिलिस्मी कूएं पर रास्ते में मिला उसे लूका नामक युवक जिसको भी लेना था गजमुखासुर से अपने मातापिता की हत्या का बदला। फिर दोनों चल पड़े गजमुखासुर का खात्मा करने। और फिर............?
Sunday, August 15, 2010
भागो मौत जागी

Saturday, August 14, 2010
प्रलयंकारी त्रिशूल
सुरसानगर का दैत्यराज त्रिकंटकासुर जिसने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर प्राप्त कर रखी थी एक प्रलयंकारी त्रिशूल जिसके बल पर उसनें पृथ्वी के कई राज्यों पर कर रखा था अपना अधिकार। उसने अपनी बहन राजकुमारी कौशाम्बी का विवाह तय कर दिया दैत्यराज प्रलम्बासुर के साथ परन्तु कौशम्बी को यह विवाह नहीं था मंजूर इसलिए वह राजमहल से भाग निकली आत्महत्या करने के लिए परन्तु उसको बचा लिया एक सन्यासी मित्रवसु ने और उससे कर लिया विवाह। विवाह के पश्चात हुए अपने पुत्र कार्तिक की शिक्षा के लिए उसे छोड़ आए महर्षि उदन्त के आश्रम में। इधर जब त्रिकंटकासुर को पता चला अपनी बहन कौशम्बी और उसके पति मित्रवसु के बारे में तो उसने मित्रवसु की हत्या कर बना लिया कौशम्बी को बन्दी। मरते हुए मित्रवसु ने दिया उसे श्राप की उसकी मृत्यु भी होगी एक सन्यासी के हाथ इसलिए त्रिकंटकासुर करने लगा सभी सन्यासियों की हत्या। और फिर..........?
Friday, August 13, 2010
चित्रकमणि
नागलोक, जहां आए दिन गिद्धलोक के वासी करते रहते थे हमला। नागलोक ने भगवान ब्रह्मा से गिद्धलोक के वासियों को रोकने के लिए चित्रकमणि प्राप्त कि तो गिद्धलोक के वासियों ने उसको भी चालाकी से चुरा लिया तब भगवान ब्रह्मा नें नागलोक के राजा नागमणि को बताया कि गिद्धों को रोकने के लिए उसके यहां जन्म लेगी नागकन्या नागप्रिया परन्तु वह भी 18 वर्ष पश्चात पृथ्वी पर विवाह कर लेगी। इसलिए नागमणि ने चित्रकमणि को दोबारा प्राप्त करने के लिए पृथ्वी के एक महर्षि से यज्ञ करवाना शुरू किया परन्तु गिद्धों ने उस यज्ञ में भी खलल डालना शुरू कर दिया तब यज्ञ को बचाने के लिए नागप्रिया जा पहुंची पृथ्वी पर। और फिर...........?
Thursday, August 12, 2010
भगवान का कायाकल्प
जीतपुर राज्य का कृष्ण मंदिर जहां का पुजारी विश्वानंद भगवान कृष्ण का परमभक्त था परन्तु उनका पुत्र जीवानंद एक नास्तिक और अय्याश इंसान था। विश्वानंद ने उसको कई बार सुधारने की चेष्ट की परन्तु वह उनकी एक न सुनता। एक बार जीवानंद ने विश्वानंद को भारी मुसिबत में फंसा दिया तब विश्वानंद को उस मुसिबत से निकाला स्वयं मंदिर के भगवान कृष्ण की मूर्ति ने अपनी मुर्ति का कायाकल्प करके जिससे भगवान कृष्ण की मूर्ति हो गई बू़ी। अपने कारण भगवान की मूर्ति को बू़ा होता देख विश्वानंद ने त्याग दिए अपने प्राण और अपने पुत्र जीवानंद की जिम्मेदारी छोड़ दी भगवान कृष्ण पर। और फिर..........?
Wednesday, August 11, 2010
राक्षस का बेटा
असुरों के राजा दुष्प्रेक्षासुर ने ब्रह्मा को प्रसन्न कर प्राप्त किया वरदान पृथ्वी के किसी भी अस्त्रशस्त्र से ना मारे जाने का। वरदान मिलने के बाद उसने पृथ्वी पर मचा दिया हाहाकार तब उसका अंत किया पुष्पकनगर के राजा पुष्पराज ने भगवान विष्णु द्वारा प्राप्त अद्भुत गदा द्वारा। दुष्प्रेक्षासुर की मौत का बदला लेने की कसम खाई उसके पुत्र दीर्घश्रुतासुर ने और उसने भी भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या कर प्राप्त कर लिया वरदान कि उसको ना कोई मनुष्य मार सकता है न देवता। इसके बारे में जब पता चला राजा पुष्पराज को तो उसने भी दीर्घश्रुतासुर को मौत देने के लिए शुरू कर दिया महायज्ञ परन्तु उस महायज्ञ को नष्ट करने के लिए दीर्घश्रुतासुर भी सन्यासी का भेष बनाए जा पहुंचा पुष्पराज के महायज्ञ में। और फिर...........?
Tuesday, August 10, 2010
बहरी मौत

Monday, August 9, 2010
मौत का त्रिशूल

Sunday, August 8, 2010
नागराज और जादूगर शाकूरा

Saturday, August 7, 2010
खूनी दर्रा
मनाली का बर्फ से ढका पहाड़ी रास्ता जहां से गुजर रहे थे प्रवीण, शिवानी, मणि और सावित्री अपनी कार पर जहां रास्ते में एक जगह पर उनकी कार गिर पड़ी एक दर्रे में उस हादसे में बच गया तांत्रिक मणि और उसकी पत्नी सावित्री परन्तु जान गंवानी पड़ी मणि के भाई प्रवीण और उसकी पत्नी शिवानी को। यह हादसा किया था एक रहस्यमय आत्मा ने और उस आत्मा और उस खूनी दर्रे का रहस्य जानने की ठान चुका था मणि। और एक बार फिर मणि और सावित्री चल दिए उस खूनी दर्रे पर। और फिर...........?
Friday, August 6, 2010
षड्यंत्रकारी आत्मा

Thursday, August 5, 2010
सात साल बाद
अमीर घर की सात साल की बच्ची दीपा जो एक दिन करने लगी अपने ही मां-बाप के साथ अजीब सा बर्ताव अपने आपको बताने लगी सोनू नाम की लड़की जिसका हो गया थी एक एक्सीडेंट में मौत। फिर वह बच्ची दीपा जा पहुंची सोनू के घर जो असल में उसका ही पिछला जन्म था। तब पुलिस सुलझाने लगी पिछले जन्म में हुई सोनू के एक्सीडेंट की गुत्थी। और फिर...........?
Wednesday, August 4, 2010
कैदी न. 100
कैदी न. 100 चामुण्डा जो जेल की कैद से हो गया फरार। पूरी पुलिस फोर्स के साथ ही इंस्पेक्टर बलदेव भी लग गया उसके पीछे। कैदी न. 100 भी बलदेव से लेना चाहता था बदला क्योंकि उसने ही पकड़ा था उसे। कैदी न. 100 चामुण्डा पुलिस से भागता हुआ जा पहुंचा एक टापू पर। पुलिस वाले जब उसकी तलाश में पहुंचे उस टापू पर तो वहां उन्हें मिली कैदी न. 100 चामुण्डा की लाश। और तभी उन पर हमला किया एक धुँए की परछाई ने। तब इंस्पेक्टर बलदेव भी जा पहुंचा उस टापू पर उस रहस्मय परछाई का रहस्य जानने। और फिर........?
Tuesday, August 3, 2010
दोस्ती और दुश्मनी
कुन्तलनगर का डाकू संग्रामसिंह जिसे बचपन में मिला एक बच्चा जिसको उसने अपने बेटे की तरह पाला। संग्रामसिंह की मृत्यु के बाद उसका वही बेटा गोविन्दा बन बैठा डाकूओं का सरदार उसकी नजर पड़ गई कुन्तलनगर की राजकुमारी सुकीर्ति पर उस पर मोहित हो उसने ठान लिया उससे विवाह करने का परन्तु डाकू गोविन्दा से सुकीर्ति को बचाया बंजारे युवक गौतम ने। गौतम की यह वीरता देख सुकीर्ति करने लगी उससे प्रेम। इधर अपनी हार से तिलमिलाए डाकू गोविन्दा ने सुकीर्ति का अपहरण करने के लिए बनाई योजना। और फिर..........?
Monday, August 2, 2010
कटा हुआ हाथ

Sunday, August 1, 2010
बांकेलाल और मुर्दा शैतान

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