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Thursday, June 30, 2011

चांडाल चौकड़ी

दिव्योग नगर, जहाँ अपनी माँ के साथ रहता था शमशान में मुर्दे जलाने वाला चांडाल टिंडे उस नगर पर छा गया एक दुष्टात्मा का प्रकोप जिसने टिंडे के शरीर पर कब्ज़ा कर मचा दिया हाहाकार इसलिए नगरवासियों ने दुष्टात्मा को भागने के टिंडे पर किये अत्याचार जिसके सदमे में चली गयी उसकी माँ की जान उसके बाद टिंडे हो गया नगर से गायब। और प्रत्येक वर्ष नगर के एक पर्वत की चोटी पर बनने लगे रहस्यमय शिल्प जो चार वर्ष पश्चात हो गए जीवित और लौट आया चांडाल, तीन अन्य शैतानो के साथ और उन चांडाल चौकड़ी ने मच दिया नगर में कोहराम जिसको रोकने में रहे नाकाम राजकुमार दिव्योगा तब उसने मदद के लिए पुकारा तिलिस्मदेव को। और फिर...........?

Wednesday, June 29, 2011

सावधान

राजनगर में हंगामा मचाया पांच आतंकवादियों ने जो करवा रहे थे हर जगह बम विस्फोट। उनमे से एक आतंकवादी कुली को पकड़ लिए जांबाज़ इंस्पेक्टर विनय ने। अपने साथी के पकड़े जाने से परेशान उसके बाकि साथियों ने किया फैसला अपने साथी को ख़त्म करने का परन्तु उन्हें रोकने आ गया परमाणु पर उनकी फुर्ती के आगे वो कुछ न कर सका। इधर पुलिस हिरासत में बंद आतंकवादी कुली के ज़रिये बाकि आतंकवादियों तक पहुँचने की इंस्पेक्टर विनय की योजना पर फिर गया पानी जब उस आतंकवादी ने कर ली आत्महत्या। और फिर................?

Tuesday, June 28, 2011

बुलडॉग

झोपड़पट्टी में रहने वालों की सहायतार्थ मुंबई पुलिस ने आयोजित किया सूरज और डोगा का मुकाबला जिसमे सूरज के गुरु धनिया चाचा ने डोगा के रूप में भाग लिया परन्तु उनके भागते समय उसको रोकने आये इंस्पेक्टर जंगबहादुर का क़त्ल कर दिया स्मगलर बुलडॉग के आदमियों ने जिसका इलज़ाम लगा डोगा के ऊपर। डोगा को अब करना था अपने आपको बेगुनाह साबित इसके लिए उसे पहुंचना था असली अपराधी बुलडॉग तक जिस तक डोगा को पहुंचा सकते थे डोगा द्वारा ही पकडवाए गए गुंडे। अब डोगा को सबसे पहले पुलिस के गिरफ्त से छुड़ाना था उनमे से किस एक गुंडे को ताकि उसके ज़रिये वो पहुँच सके बुलडॉग तक। और फिर..........?

Monday, June 27, 2011

अश्वराज और कल्पतरु

अश्वराज ने अश्वनाद का अंत कर कल्पतरु को तो बचा लिया परन्तु यह भी थी एक चाल अश्वनाद की क्योंकि कल्पतरु को तो वो पहले ही भेज चुका था महातिलिस्म में जहाँ से अब उसे वापस लाना था अश्वराज को। इधर अश्वलोक में चल रहे महायुद्ध में अश्वखब्ती के पुत्रों को मुंह तोड़ जवाब दे रही थी कुदुमछुम्बी जिसने अश्वखब्ती के पुत्र नाल का काट दिया था एक हाथ। इसलिए अश्वखब्ती के पुत्र खुर्रा ने चली एक चाल और धोखे से अगुवा कर लिया कुदुमछुम्बी को। और फिर..........?

Sunday, June 26, 2011

भेड़िया

पेशेवर शिकारी काला बच्चा जिसने दुनिया के अलग-अलग कोने से बुलवाया अपने- अपने हुनर में माहिर 6 लोगों को और इन्हें बताया आसाम के जंगल के बांगडा कबीले के बारे में जहाँ था एक रहस्यमय भेड़िया मुख पहाड़ जिसमे रखी थी एक बेशकीमती मानव भेड़िये की एक आदमकद सोने की मूर्ति जिसे कबीले से चुराने निकले सातों धुरंधर, और बांगडा कबीले में चालाकी से जा पहुंचे और बांगडा कबीले के वार्षिक महोत्सव में जीतकर भेड़िये की मूर्ति ले उड़े, परन्तु उनका पीछा कर रही थी भेड़िया पर बलि चढ़ाई जाने वाली लड़की जीना। और फिर.........?

Saturday, June 25, 2011

महानायक

अश्वराज, गोजो और भोकाल पर आक्रमण किया महाशैतान खलनायक के तीन रूपों रक्तपिशाच, चिकोता और गंडीसा ने और अपहरण कर ले गए घोड़ीलेखा, बिजलिका, तुरीन और राजकुमारी श्वेता को। उन शैतानों को खत्म करने के लिए शक्ति अस्त्र लेने निकले तीनों महावीर और कई खतरों का सामना कर प्राप्त की शक्ति कंटास्त्र, गुगली और ढोकला और शक्ति प्राप्त कर तीनों ने सौंप दी वो शक्ति अपने गुरुओं को परन्तु यह थी एक चाल खलनायक की क्योंकि उसने ही भेजा था तीनों को शक्ति प्राप्त करने ताकि उनसे शक्ति हथिया कर वो निर्माण कर सके महा शक्ति का जिसके द्वारा वो मचा सके पृथ्वी पर हाहाकार। अब खलनायक को रोकना था इन तीनों महानायक को। और फिर............?

Friday, June 24, 2011

खलनायक

पृथ्वी पर तीन अलग-अलग जगह आक्रमण हुआ रक्तपिशाच, चिकोता और गंडीसा का जिन्हें रोकने आए अश्वसम्राट अश्वराज, सप्तशक्ति धारक गोजो और महाबली भोकाल परन्तु अपने दुश्मनों पर नहीं पा सके विजय और रक्तपिशाच, चिकोता और गंडीसा ने अपहरण कर लिया घोड़ीलेखा, बिजलिका, तुरीन और राजकुमारी श्वेता को तब अश्वमुनि ने अश्वराज को, महर्षि तप्तमुखी ने गोजो को और तांत्रिक टिल्लू ने भोकाल को बताया उन शैतानों से निबटने का उपाय। और अश्वराज निकल पड़ा शक्ति कंटास्त्र लेने, गोजो निकला शक्ति गुगली लाने और भोकाल चल पड़ा महाशक्ति ढोकला हासिल करने। और फिर............?

Thursday, June 23, 2011

प्रलयंकारी योद्धा

वर्तमान काल में आ चुके भूतकाल के महारथियों योद्धा, शांबरी, लोहांगी, जंजीबार, बल्लार में छिड़ी थी जंग जिसमे शामिल हो चुके थे वर्तमान के दो गैंगस्टर बलवा और डायमंड। इस भयानक युद्ध में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए इंस्पेक्टर भारत और ख़ुफ़िया एजेंट बेडमेन भी कर रहे थे मुकाबला। वहीं भूतकाल के योद्धाओं और उनके बीच हो रही जंग का रहस्य जानने के लिए भूतकाल में पहुंचा तपराज भी कर रहा था खतरों का सामना। और फिर...........?

Wednesday, June 22, 2011

महायोद्धा

परीलोक को फिर से बसाने निकले भोकाल और तुरीन की राह में कांटे बिछाने आ गए थे कचरा, मैला, चोरबालू, अचम्भा, वज्रकली और धूम्रकाल जैसे शैतान परन्तु जब वो भोकाल को रोकने में रहे नाकाम तो कचरा, मैला, चोरबालू ने सवोर्ग के राजा शक्तिशाली को बहका कर बना दिया भोकाल का दुश्मन और भिड़ा दिया आपस में परन्तु सारी ग़लतफ़हमी दूर कर दोनों आपस में बन गए मित्र और खड़े हो गए उन शैतानों के खिलाफ। इधर सारे शैतान भी हो चुके थे एकजुट भोकाल और उसके मित्रों को ख़त्म करने के लिए। इधर धूम्रकाल ने चली एक और चाल और भोकाल की ढाल के बाद चुरा ली उसकी तलवार, परन्तु उसके साथ ही रहस्यमय ढंग से भोकाल भी हो गया गायब। और फिर.........?

Tuesday, June 21, 2011

खून मांगे खून

आतंकवादी सरगना जंगबहादुर सिंह जिसने पूरे देश में मचा रखा था आतंक उसको रोकने आया एक जादूगर और उसका साथी तूफ़ान जिसने एक-एक कर जंग बहादुर सिंह के चारों साथियों मैक, जोहान, जिंगारो और रेडी को सबक सिखाकर कर दिया कानून के हवाले जब जादूगर पहुंचा जंगबहादुर तक तो पता चला की जादूगर तो है उसी का बीटा विजय बहादुर सिंह जो अपनी माँ की तलाश में आया है परन्तु अपने माँ का पता जानने से पहले ही जंगबहादुर सिंह हो गया फरार। यह खबर पता चलते ही सारे लोग और पुलिस हो गयी जादूगर के खिलाफ और उसे पकड़ लिया पुलिस ने। और फिर.........?

Monday, June 20, 2011

बांकेलाल और सुनहरी मृग

भविष्य से आया एक डाकू भयंकर सिंह और कर लिया डाकू डरपोक सिंह के दल पर कब्ज़ा और अपने भविष्य के अस्त्रों से उसने कई नगरों में मचा दिया आतंक। इधर बांकेलाल और विक्रमसिंह भटक रहे थे विशालगढ़ की तलाश में और भटकते-भटकते जा पहुंचे शक्तिनगर जहाँ के राजा को लगा हुआ था बंदर काट रोग जिसका इलाज था सुनहरी मृग की कस्तूरी। सुनहरी मृग मिलते थे पंगा घाटी पर जहाँ से सुनहरी मृग को लाने वाले को मिलना था दो हज़ार स्वर्ण मुद्राओं का इनाम। इनाम पाने के लिए बांकेलाल चल पड़ा सुनहरी मृग लाने पंगा घाटी।

Sunday, June 19, 2011

मुकाबला

मुंबई में पिछले दिनों झुग्गी-झोपड़ी में हुए अग्निकांड के पीड़ितों के सहायता के लिए मुंबई पुलिस ने रखा एक चैरिटी कुश्ती का मुकबला जिसमे एक तरफ लड़ना था लायन जिम के होनहार शिष्य सूरज को तो दूसरी तरफ था रात का रक्षक डोगा। इधर शहर में अपना स्मगलिंग का धंधा चला रहे बुलडॉग का माल पकड़ लिया इंस्पेक्टर जंगबहादुर ने। उधर शुरू हुआ सूरज और डोगा का मुकाबला और मुकाबले के बाद भागते हुए डोगा को रोकने आया इंस्पेक्टर जंगबहादुर परन्तु इससे पहले की डोगा जंगबहादुर से बचता कि जंगबहादुर को गोली मार दी बुलडॉग के आदमियों ने और इंस्पेक्टर जंगबहादुर की हत्या का इलज़ाम लग गया डोगा पर। अब डोगा को करना था अपने आपको निर्दोष साबित। और फिर...........?

Saturday, June 18, 2011

नागराज और तूतेनतू

दुनिया भर के बहुमूल्य हीरों को चुराने निकला एक रहस्यमय चोर तूतेनतू जो आंधी की तरह आता और हीरा चुराकर तूफ़ान की तरह निकल जाता। हीरों की सुरक्षा के सारे इंतज़ाम उसके सामने बौने लगते यहाँ तक की नागराज भी उसको रोकने में रहा नाकाम। तूतेनतू ने दुनिया भर के बेशकीमती हीरों के साथ-साथ चुरा लिया नागमणि द्वीप की देवी की मणि, नागराज फिर उसे रोकने में रहा नाकाम क्योंकि उस पर नहीं होता था किसी भी वार का असर, मौत भी नहीं छू पाती उसे, वो तूतेनतू ले उड़ा देवी की मणि और राजकुमारी विसर्पी को। अब नागराज को पता लगाना था तूतेनतू और उसकी अविजित शक्ति का रहस्य और वापस लाना था देवी की मणि। और फिर............?

Friday, June 17, 2011

तिलिस्मदेव और महाकाल

रक्षनगर का राक्षसराज महाकाल जो कर रहा था भगवान शिव की तपस्या ताकि उनसे वरदान प्राप्त कर देवराज इंद्र से अपने अपमान का बदला ले सके। देवराज इंद्र ने इसके लिए मांगी मदद धर्मराज से जो निकल पड़े शिव जी का रूप धरकर महाकाल के पास। इधर माता पार्वती ने महाकाल को दिया उसका इच्छुक वरदान और धर्मराज को शिव का रूप लिए हुए देख उसे दिया शाप पृथ्वी पर भांड बनने का जो तभी टूट सकता था जब वो करे महाकाल का अंत। धर्मराज ने पृथ्वी पर रूप लिया एक युवक का जो था युवराज धरमसिंह का जिससे प्रेम करती थी भांडपुरी की राजकुमारी रूपकंवारी और जिसको मारना चाहते थे भांडपुरी के राजा बहरूप सिंह। इधर असली धरमसिंह भी आ पहुंचा भांडपुरी जो अपने हमशकल को देख उसको सबक सिखाने के लिए जा मिला महाकाल से। और फिर..........?

Thursday, June 16, 2011

लाश कहां गई

विजयगढ़ रियासत के भूतपूर्व राजा छत्रपालसिंह ने अपनी हवली कर दी नीलाम जिसे ख़रीदा सेठ बकरावाला ने और हवेली की कीमत सोने के रूप में भिजवा दी राजा छत्रपालसिंह के पास। उस सोने को हथियाने का प्लान बनाया 5 लुटेरों ने और जा पहुंचे उस हवेली पर जहाँ उन्होंने कर दिया छत्रपालसिंह का क़त्ल परन्तु सोना हासिल करने से पहले ही पुलिस ने हवेली पर मार दी रेड और मार गिराया एक लुटेरे गिरहकट को जो जनता था सोने तक पहुँचने का रास्ता। बाकि के लुटेरे भाग निकले परन्तु जब पुलिस इंस्पेक्टर राठौर वापस पहुंचा गिरहकट की लाश तक तो लाश हो चुकी थी गायब जिसका कोई नहीं लगा पाया सुराग। हवेली सेठ बकरावाला को कर दी गयी सुपुर्द। और हवेली से सोना ढूंढने करने के लिए सेठ बकरावाला और बाकी लुटेरे बनाने लगे अपनी योजनायें परन्तु एक नकाबपोश एक-एक कर करने लगा उनकी हत्याएं। और फिर..........?

Wednesday, June 15, 2011

शुक्राल और कलयुग

सतलुज देश जहाँ एक पहाड़ की चोटी पर रखा था एक तांत्रिक की चमत्कारी खोपड़ी और एक दिव्य तलवार जिसे पाने के फ़िराक में था दुष्ट कलयुग और सतलुज देश के राजा सतलुज। सतलुज की तरफ से लड़ रहा था उनके महामंत्री का पुत्र वीर योद्धा शुक्राल जिसने कलयुग के पुत्र महाक्रोधी का कर दिया वध। इधर कलयुग ने भी कर दिया राजा सतलुज का अंत और हासिल कर ली वो चमत्कारी खोपड़ी और वो दिव्य तलवार हाथ लगी शुक्राल के। सतलुज की मौत के बाद सेनापति दो दांत ने राजा बनना चाहा परन्तु महामंत्री ने कर दिया इन्कार। इस बात से खफा हो सेनापति जा मिला दुष्ट कलयुग के साथ और शुक्राल से दिव्य तलवार हासिल करने के लिए उसने चली एक चाल और सतलुज देश के निवासियों को भड़का दिया शुक्राल के खिलाफ। और फिर ..........?

Tuesday, June 14, 2011

महाबली गोजो

अर्जुननगर की राजकुमारी श्रीजा पर किया हमला शिलाजीत नामक शैतान ने जिसे भेजा था राजकुमारी श्रीजा से विवाह करने के इच्छुक दुष्ट राजा दुर्जनमुख ने। श्रीजा को बचाने आया गोजो परन्तु वह भी कुछ न बिगाड़ सका शिलाजीत का क्योंकि शिलाजीत था एक अमर शैतान। शिलाजीत ने अपहरण कर लिया श्रीजा का और गोजो को बताया महर्षि तेजस्वी ने की शिलाजीत को समाप्त करने के लिए उसे लाना होगा अमर खंजर जिसे प्राप्त करने के लिए गोजो को सर्वप्रथम काला कबीला में आयोजित प्रतियोगिता को जीतना था। और गोजो चल पड़ा अमर खंजर प्राप्त करने। और फिर..........?

Monday, June 13, 2011

अश्वराज और अश्वनाद

अश्वराज निकला हुआ था अश्वमेध के घोड़े कल्पतरु को वापस लाने जिसे अश्वराज के ताऊ श्री अश्वखब्ती ने पकड़ कर अश्वनाद के पास भेज दिया था ताकि उसकी बलि चढ़ा सके। और इधर अश्वखब्ती ने आक्रमण कर दिया था अश्वराज के राज्य पर जहाँ उसका सामना कर रहे थे अश्वऋषि द्वारा भेजे महारथी। इधर अश्वऋषि सुना रहे थे अश्वखब्ती की दुश्मनी के बारे में कि कैसे उसकी दुष्ट प्रवति के चलते उसके पिता अश्वहस्ती ने उसे सम्राट बनाने के बजाय अपने छोटे पुत्र तारपीडो को सम्राट बना दिया था इसी का बदला वो लेना चाहता था पूरी सूर्यवंशी राज्य से। और फिर...............?

Sunday, June 12, 2011

वैम्पायर

सुपर कमांडो ध्रुव का सामना हुआ एक आतंकवादी से जिससे उसे पता चला की राजस्थान के पोखरन में होने वाले परमाणु बम के परिक्षण में आतंकवादी करने वाले है कुछ हरकत। ध्रुव भी निकल पड़ा पोखरन जहाँ उसके पिता और बहन श्वेता पहले से ही गए हुए थे। आतंकवादी सरगना बाबा खान ने बम के साथ कर दी कुछ छेड़खानी जिसके फलस्वरूप खुल गया उनकी गुफा में एक रहस्यमय छेद। ध्रुव की बहन जब चंडिका बन पहुंची उस गुफा में तो उस पर हुआ एक अज्ञात हमला और वो हो गयी बेहोश। इधर ध्रुव भी इन रहस्यों को सुलझाते हुए पहुँच गया पोखरन के किले में जहाँ जहाँ उसकी टक्कर हुए एक नकाबपोश से। इधर पोखरन में आ पहुंचा एक रहस्यमय शख्स जो जिसको भी काट लेता वो बन जाता खुनी वैम्पायर। और फिर...........?

Saturday, June 11, 2011

बांकेलाल और बकासुर

विशालगढ़ की खोज में भटक रहे बांकेलाल और विक्रमसिंह को एक वन में मिल गयी एक राक्षसी छप्पन जो बांकेलाल से शादी करने के लिए उठा ले गयी बांकेलाल को। इधर वन में तपस्या कर रहे बकासुर ने देवता से चालाकी से प्राप्त कर लिया गदासुर और जा पहुंचा राक्षसों की  बस्ती। राक्षसी छप्पन अपने पिता राक्षसराज बदमिजाज़ के कहने पर बकासुर से शादी के लिए हो गयी तैयार और बांकेलाल को कर दिया आज़ाद। बांकेलाल और विक्रम सिंह फिर जा पहुंचे मासूम नगर जहाँ महाराज कठोर सिंह ने बांकेलाल और विक्रमसिंह को दे दी सजा। बांकेलाल न कठोर सिंह से बदला लेने के लिए बनायीं योजना और राक्षसों और मासूम नगर में युद्ध करवा कर गदासुर हथियाने के लिए चल पड़ा राक्षस बस्ती। और फिर..........?

Friday, June 10, 2011

महारथी

प्राचीन काल से कलयुग में आये महारथियों योद्धा, शांबरी, लोहांगी और कलयुग के दो गैंगस्टरों बलवा और डायमंड व इंस्पेक्टर भारत के बीच छिड़ी थी युद्ध। जिसमे बलवा ने योद्धा और शांबरी की दुश्मन लोहांगी को मिला लिया अपने साथ। डायमंड चाहता था बलवा का खात्मा इसके लिए उसने शांबरी को कैद कर योद्धा से किया था बलवा की मौत का सौदा। इधर बलवा की लगातार हार होने से वर्ल्ड क्राइम आर्गेनाइजेशन का प्रतिनिधि बेडमेन भी जा पहुंचा योद्धा से टक्कर लेने। योद्धा जिसको इंस्पेक्टर भारत के रूप में एक साथी मिल चुका था उसकी तलाश में लोहांगी भी जा पहुंची योद्धा के पास। योद्धा को बेडमेन ने हरा कर लिए किडनैप। इधर इस जंग में कूद पड़े दो और महारथी जंजीबार और बल्लार। और फिर.........?

Thursday, June 9, 2011

अशान्ति

सोने की मशाल जो थमी थी महानगर के स्टेच्यु ऑफ़ लिबर्टी के हाथों में उस बहुमूल्य मशाल के पीछे पड़ा था स्मगलर कंगोरा और एक रहस्यमय गोल्ड हार्ट जो पहले सैंडमैन बनकर तो अब आयरनमैन बनकर मशाल प्राप्त करने की कोशिश में लगा था। मशाल की ही सुरक्षा में डटा हुआ था कैप्टेन अंकार। इधर महानगर के लोगों में भी चर्चा का विषय बना हुआ था गोल्ड हार्ट जो किसी भी वस्तु को छू ले तो वो बन जाती थी सोने की। इस बात का पता लगने के बाद हर कोई लग गया था गोल्ड हार्ट के पीछे। और फिर...........?

Wednesday, June 8, 2011

अश्वराज और तुम

अश्वलोक में अश्वराज द्वारा आयोजित अश्वमेध यज्ञ के घोड़े कल्पतरु को पकड़ लिया अश्वराज के ताऊ अश्वखब्ती ने और उसको बलि के लिए भेज दिया अश्वनाद के पास। कल्पतरु को वापस लाने निकला अश्वराज जिसके राह रोके खड़ा था 'तुम'। इधर अश्वलोक पर कब्ज़ा करने के लिए आक्रमण कर दिया अश्वखब्ती और उसके पुत्रों ने जिसका जवाब देने के लिए युद्धभूमी पर आ खड़ी हुयी अश्वराज की पत्नी कुदुमछुम्बी जिसने काट डाला अश्वखब्ती के पुत्र नाल का एक हाथ। और फिर...........?

Tuesday, June 7, 2011

शक्तिशाली

परीलोक को फिर से बसाने और परीलोक पर राज करने वाले शैतानों कचरा, मैला और चोरबालू का अंत करने आ पहुंचे भोकाल और तुरीन और करने लगे एक एक कर तीनों शैतानों के दर्जन सेवकों का सफाया। भोकाल को ना हारते देख तीनों ने रची एक साजिश और कचरा ने भोकाल का रूप धर परीलोक के पड़ोसी राज्य सवोर्ग पर फैला दी गंदगी जिससे सवोर्ग का राजा शक्तिशाली भोकाल का दुश्मन बन निकल पड़ा उसकी खोज में। इधर कुछ और रहस्यमय शक्तियां अचम्भा और वज्रकली भी लग गयी थी भोकाल की जान के पीछे। वज्रकली को चाहिए था भोकाल का शक्तिपंख इसके लिए उसने अचम्भा की कैद से आज़ाद कराया परी फिज़ा को और करने लगी भोकाल से सौदा। इधर शक्तिशाली भी आ पहुंचा था भोकाल से टक्कर लेने। और फिर...........?

Monday, June 6, 2011

प्रेतयुद्ध

ऊंटा कस्बे में लगा हुआ था हॉरर शो नाम का म्यूजियम जिसकी फीस थी खून की एक बूँद और जिसमे होती थी दर्शकों के साथ भयानक घटनाएं जब इसकी शिकायत की गयी पुलिस को तो वो भी नहीं कर पाई कुछ। इधर हॉरर शो की मालकिन कमूई को इंतज़ार था आनंद के म्यूजियम में आने का। आनंद जब आया म्यूजियम में तो कमूई ने अघोरी के साथ मिल दे दी उसे एक भयानक मौत। उसके बाद ऊंटा कस्बे में शुरू हो गया मौत का खेल तब आया फिर वही आनंद और उसने खाई कसम कमूई को रोकने की। और फिर शुरू हो गया प्रेत युद्ध। और फिर.........?

Sunday, June 5, 2011

भूतराजा

राजनगर की पर आया एक भयंकर भूकम्प जिससे राजनगर की धरती फटी और उसमे से निकला एक प्रेत यंत्र जिसको प्राप्त किया इरी ने परन्तु उस प्रेत यंत्र के पीछे पड़ा था भूतराजा ताकि वो उसकी मदद से आत्माओं को अपना गुलाम बना सके। परन्तु इरी ने उसे कर दिया परास्त। तब भूतराजा ने इरी की गुफा में फैला दी रहस्यमय बीमारी जिसकी चपेट में आ गए गुफा में रहने वाले सारे प्रेत और खुद इरी। अब इस बीमारी का इलाज कर सकता था केवल हिमालय पर रहने वाले इरी के महागुरु जिनको लेने के लिए निकला प्रेत अंकल। और फिर...............?

Saturday, June 4, 2011

जाली नोट

राजापुरी के गटर में अपना निवास बना चुके फाइटर टोड्स की बिजली काट दी बिजली कर्मचारियों ने फाइटर टोड्स ने जब की उनकी पिटाई तो उन्होंने कहा की बिजली लगवानी है तो देने पड़ेंगे रूपये। बेचारे फाइटर टोड्स रुपयों के लिए जा पहुंचे बैंक जहाँ उन्हें पता चला रुपया तो कहते हैं कागज के टुकड़ों को जिनको कंप्यूटर्र अपने कंप्यूटर पर ही छाप सकता है। पर भोले भाले फाइटर टोड्स ने नासमझी में छाप दिया 15 रूपये का नोट और चल पड़े बाज़ार में। उस 15 रूपये के नोट की क्वालिटी देख पड़ गया उनके पीछे जाली नोटों का धंधा करने वाला दादुपति और उसने फाइटर टोड्स को दिया अपने साथ व्यापार करने का न्योता। फाइटर टोड्स को जो नहीं आया रास परन्तु कंप्यूटर्र आ गया दादुपति के झांसे में और बाकि फाइटर टोड्स से लड़कर वो चला गया दादुपति के पास। और फिर.............?

Friday, June 3, 2011

कत्ले आम

शहर में आतंकवादी हमले करवा रहे जंग बहादुर सिंह को रोकने के लिए आ पहुंचे थे जादूगर और तूफ़ान जिन्होंने ऐसा हंगामा खड़ा किया की जंग बहादुर और उसके साथियों का हो गया जीना हराम। जादूगर ने जंग बहादुर सिंह के तीन साथियों मैक, जिंगारो और जोहान को सबक सिखाकर पहुँचाया जेल अब उसके निशाने पर था जंग बहादुर का चौथा साथी रेडी। इधर रेडी को भी जब मिली जादूगर के आने की खबर तो उसने जादूगर के स्वागत के लिए मचा दिया कत्ले आम। और फिर............?

Thursday, June 2, 2011

खूंखार

शहर का मशहूर डॉक्टर खंख्खार जिसकी प्रसिद्धि ने तीन डॉक्टरों इमलीस पूरी, डॉक्टर कसईया और डॉक्टर झंड को बना दिया उसका दुश्मन। डॉक्टर खंख्खार को बरबाद करने के लिए उन्होंने रची एक साजिश और डॉक्टर खंख्खार के अस्पताल में जाकर एक दवाई में मिला दिए रेबीज के कीटाणु जिसकी वजह से चली गयी एक मरीज की जान। लोगों के आरोप के कारण खुद को बेक़सूर साबित करने के लिए डॉक्टर खंख्खार ने खुद पी ली वो दवा और वो खुद बन गया एक खूंखार। जब उसे पता चला की उसकी इस दशा की वजह हैं वो तीन डॉक्टर तो डॉक्टर खूंखार चल पड़ा उन्हें मौत देने। और फिर...........?

Wednesday, June 1, 2011

शुक्राल और जबरदस्ता

जालसाज़ और शातिर जबरदस्ता जिसने बनाई एक कुटिल योजना जिसके तहत वो किसी भी राज्य में हमला करने भेज देता अपने साथी राक्षस लसूडा को और जब कोई उसका सामना न कर पता तो खुद उसको हरा कर राज्य के निवासियों पर बनाता अपनी साख और राज्य में विद्रोह करवा कर किसी गरीब निवासी को बना देता वहां का राजा। ऐसे ही कई राज्यों में अपना जाल बिछाता और कब्ज़ा जमाता हुआ वह जा पहुंचा गुल्लीनगर परन्तु वहां पर था जांबाज़ सेनापति शुक्राल जिसने राक्षस लसूडा को दिखा दिए दिन में तारे। ये देख जबरदस्ता ने अपने आदेश के गुलाम सभी गरीब राजाओं के सेना लेकर कर दिया गुल्लीनगर पर हमला। और फिर............?