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Monday, January 31, 2011

जहरघाटी

दुष्ट शक्तियों के चंगुल में फंसी कपाला के वार से घायल हो गए तुरीन और शूतान। उनको बचाने के लिए चाहिए था खूंखारा के खतरनाक प्राणी मंढोक का दूध। भोकाल ने खूंखारा के जंगलों में कई मुसीबतों का सामना कर प्राप्त कर लिया मंढोक का दूध परन्तु भोकाल से वो दूध छीन ले भागा शैतान झड़ोदा और छुपा दिया जहरघाटी में जहाँ के चप्पे-चप्पे पर फैला था जहर। भोकाल निकल पड़ा ज़हरघाटी से शैतान झड़ोदा से दूध प्राप्त करने और उसके साथ कदम-कदम पर था मन्त्रों का ज्ञाता तिल्ली। और फिर...........?

Sunday, January 30, 2011

मायाजाल

रुद्रपुर का शक्तिशाली राजा रुद्रप्रताप सिंह जो भेस बदलकर दुसरे राज्यों में घूमता और अवसर पाकर अपनी सेना के साथ उस देश पर आक्रमण कर उस पर अपना अधिकार कर लेता। ऐसे ही घूमते हुए हिमालय की पहाड़ियों पर उसकी भेंट हुयी महर्षि योगिदत्त की शिष्या हिमांची से जो थी अपूर्व सुंदरी। हिमांची की सुन्दरता से मुग्ध हो उसे पाने के लिए रुद्रप्रताप सिंह ने कर दिया हिमालय पर हमला परन्तु तब तक हो चुकी थी हिमांची की शादी। यह जान रुद्रप्रताप सिंह ने हिमांची के पति किसान शक्तिधर का कर लिया अपहरण। तब अपने पति को छुड़ाने और रुद्रप्रताप सिंह का मायाजाल तोड़ने निकल पड़ी हिमांची। और फिर...........?

Saturday, January 29, 2011

ब्लेड

शहर में हंगामा मचाया हुआ था 14-15 साल के नाबालिग लुटेरों ने जो थे सदस्य ब्लेड ग्रुप के। ब्लेड ग्रुप जिनका काम था मासूम बच्चों से भीख मंगवाना, अपराध करवाना। इन नाबालिग लुटेरों को रोकने आया परमाणु परन्तु नहीं पता लगवा पाया इनके सरगना का तब परमाणु ने निकाली एक तरकीब परमाणु किड नाम के एक ट्रेंड लड़के को भेजा ब्लेड ग्रुप में शामिल होने ताकि उसकी मदद से वो पहुँच सके मुख्य अपराधियों तक। और फिर..........?

Friday, January 28, 2011

कंकाडा की मौत

अपाला सम्राट अपोलो जिसके पास था एक अद्भुत शक्तिडामंड जिसको पाने के लिए कई राज्य करते रहते थे उन पर हमला। उस शक्तिडामंड की सुरक्षा के लिए सम्राट अपोलो के पास थे पांच शक्तिशाली रक्षक। इधर पांच वर्षों से घोर तपस्या कर शैतान कंकाडा ने प्राप्त किया वरदान कि युद्ध में उसको कोई नहीं मार सकता था। वरदान प्राप्त कर कंकाडा ने कर दिया अपाला पर हमला और युद्ध में पाँचों रक्षकों को कर दिया पराजित। तब अपाला के सेनापति अद्धरंग ने मदद के लिए पुकारा तिलिस्मदेव को परन्तु तिलिस्मदेव भी थे दुविधा में क्योंकि कंकाडा को प्राप्त था युद्ध में ना मारे जाने का वरदान। और फिर................?

Thursday, January 27, 2011

तिलिस्म का खिलाड़ी

अश्वराज, रथ मैराथन का विजेता जो कारूं का खज़ाना लेने के लिए निकल पड़ा था उसको राह में रोकने के लिए तत्पर थे महर्षि फूंकमसान और सुना रहे थे चिंतितसिंह को अश्वराज की कहानी की कैसे अश्वराज ने अपनी प्रेयसी अश्वकीर्ति को अपने सूर्यवंशी पिता और अश्वकीर्ति की चंद्रवंशी पिता से बचाने के लिए कारूं घाटी ले आया जहाँ अश्वकीर्ति ने दे दिया था अश्वराज को धोखा क्योंकि छल से वो लायी थी अश्वराज को कारूं घाटी और उनके पीछे पीछे ही कारूं घाटी पहुँच गए थे चंद्रवंशी सम्राट अश्वातंक। फिर अकेले ही चंद्रवंशी सेना के बीच कूद पड़ा तिलिस्म का खिलाडी अश्वराज। और फिर...........?

Wednesday, January 26, 2011

तहलका

शहर में छाया हुआ था आतंक कच्छा गिरोह का जो लोगो को बेरहमी से मारते और लूट ले जाते। पुलिस से बचते और भागते कच्छा गिरोह जा पहुंचे भूतिया हवेली जहाँ गिरोह के सदस्य पगला का वैज्ञानिक भाई प्रोफ़ेसर तहलका कर रहा था एक अनोखा अविष्कार। प्रोफ़ेसर तहलका ने बनाया था एक अद्भुत रिमोट जिससे संचालित किये जा सकते थे खतरनाक शैतानों को। उस रिमोट की करामात देख कच्छा गिरोह ने प्रोफ़ेसर तहलका को मार कर कब्ज़ा कर लिया उस रिमोट पर और उस रिमोट से शैतानों को कंट्रोल कर वे करने लगे लूटपाट। परन्तु इधर प्रोफ़ेसर तहलका मरने के बाद भी आत्मा के रूप में कच्छा गिरोह के लिए भी बन गया था मौत का तहलका। और फिर.............?

Tuesday, January 25, 2011

मैं देशद्रोही हूँ

नवलगढ़ का प्रधानमंत्री मालदेव जो मोहित हो उठा शिगोरा कबीले के सरदार की बेटी रुकमा पर और कर लिया उससे विवाह। विवाह के बाद रुकमा ने मालदेव को जताई अपनी नवलगढ़ की महारानी बनने की इच्छा तब रुकमा पर मोहित मालदेव बन बैठा देशद्रोही और नवलगढ़ का राज्य हथियाने के लिए चलने लगा चालें। धोखे से उसने राजकुमार धवलसिंह को विष दे कर दिया अँधा और शिगोरा कबीले की मदद से नवलगढ़ पर धावा बोल कर लिया राज्य पर कब्ज़ा। राजकुमार इस हमले से बचने के लिए निकल भागा। इधर मालदेव के राजा बनने से पहले ही नवलगढ़ की कुलदेवी ने उसके माथे पर लिख दिया, "मैं देशद्रोही हूँ"। और फिर..........?

Monday, January 24, 2011

अश्वमणि

अपनी मंगेतर कुदुमछुम्बी को बचाने के लिए कारूं का खज़ाना लेने निकले अश्वराज की राह रोकने के लिए अपने शिष्यों के साथ मैदान में डटे थे महर्षि फूंकमसान। इधर कुदुमछुम्बी की पिता चिंतित सिंह चिंतित थे अपनी बेटी के लिए तब महर्षि फूंकमसान ने सुनाई अश्वराज के भूतकाल की कहानी की कैसे अश्वलोक के सूर्यवंशी सम्राट तारपीडो का बेटा अश्वराज और चंद्रवंशी सम्राट अश्वातंक के बेटी अश्वकीर्ती करते थे एक दुसरे से प्रेम पर सूर्यवंशियों और चंद्रवंशियों में थी दुश्मनी। इसलिए अश्वराज ले भागा अश्वकीर्ती को लेकर कारूं की घाटी जिसका पता केवल अश्वराज जी जानता था। परन्तु कारूं के घाटी पहुंचकर अश्वकीर्ति ने दे दिया अश्वराज को धोखा। और फिर............?

Sunday, January 23, 2011

बकोरा का जादू

क्रूर हत्यारे और लुटेरे सीथियन जिनका कहर छाया हुआ था रूस में ढाई हज़ार साल पहले। आज ढाई हजार साल बार एकाएक जीवित हो कर फिर से दिखने लगे अपनी क्रूरता। सीथियनों का सरदार बुलगार जो मासूम लोगों की खून से बुझाता था अपनी प्यास उसको रोकने आई नाकाम रही रूसी जासूसी एजेंसी केजीबी की जासूस सूसन तब उसकी मदद को आ पहुंचा विश्व आतंकवाद का दुश्मन नागराज। नागराज ने दे दी सिथियानों को मात तब सीथियन सरदार बुलगार ने नागराज को हराने के लिए मदद ली बकोरा के जादू की। और बकोरा के जादू से नागराज को बना दिया गया मोम का पुतला। और फिर.............?

Saturday, January 22, 2011

खोर

शहर में आतंक फैला था दीमकों की फ़ौज का जो पलक झपकते ही बड़ी से बड़ी और मजबूत से मजबूत चीज़ों को चट कर जाती, दीमकों के इस हमले से परेशान हो उठे दिल्ली वासी। इंस्पेक्टर विनय भी न कर सका कुछ इन दीमकों का पता लगाने के लिए। तब उसको रोकने आया वंडरमैन परमाणु परन्तु उसकी सभी शक्तियां रही विफल उन दीमकों को रोकने के लिए तब दीमकों ने आपस में जुड़कर लिया एक अनोखा रूप और बन गया खोर। और फिर................?

Friday, January 21, 2011

बांकेलाल ततैयालोक में

बांकेलाल और विक्रमसिंह, कंकड़ बाबा के शाप झेलते हुए अलग अलग योनियों में भ्रमण कर इस बार आ पहुंचे ततैयालोक जहाँ बांकेलाल को ततैयालोक का तड़ीपार अपराधी समझ फेंक दिया गया राक्षस हुहुहाहा का भोजन बनने परन्तु किस्मत के धनी बांकेलाल ने राक्षस हुहुहाहा को बना लिया अपना मित्र। फिर बांकेलाल ने विक्रमसिंह को राक्षस हुहुहाहा के पास भेजने के लिए चली एक चाल। और विक्रमसिंह के गुलाम बन पूरा ततैयालोक चल दिया उसके पीछे-पीछे ऐसे में ततैयालोक पर हमला कर दिया दुश्मन देश भौंरा लोक ने। और फिर............?

Thursday, January 20, 2011

भाग्य का चक्कर

महाबलीपुरम की राजकुमारी दीपिका जिसने शिकार के दौरान अनजाने में हिरन के रूप में योग सिद्धि कर रहे एक सन्यासी को कर दिया घायल। वो सन्यासी दुष्ट राक्षस दीर्घतपा के आतंक को समाप्त करने के लिए कर रहे थे योग सिद्धि अपने योग सिद्धि के विफल होने पर उन्होंने दीपिका को दिया शाप की उस पर एक के बाद एक टूटेंगे मुसीबतों के पहाड़ और शाप तभी ख़त्म होगा जब हो जायेगा राक्षस दीर्घतपा का अंत। उसके बाद शाप के कारण राजकुमारी दीपिका के राज्य महाबलीपुरम पर टूट पड़ा राक्षस दीर्घतपा का कहर। जिसकी वजह से उसके पिता का भी हो गया निधन। और फिर................?

Wednesday, January 19, 2011

नीलघाटी का तिलिस्म

कौशलपुर राज्य जिसकी सीमा पर था एक भयानक जंगल जिसमे जो भी जाता फिर लौट कर न आ पाता। कौशलपुर नरेश प्रभात सेन ने इस जंगल का रहस्य जानने के किये कई प्रयत्न परन्तु सब विफल। फिर राजा प्रभात सेन ने भेजा अपने प्रमुख गुप्तचर नटराज को वह भी जब जंगल में जाकर गायब हो गया तो उसका पुत्र भोजराज निकल पड़ा अपने पिता की खोज में। इधर राजमहल में राजकुमारी सुलेखा का हाथ मांगने आये राजकुमार आदित्य से भी महाराज ने रखी शर्त की पहले उसे उस भयानक जंगल में लापता हुए लोगों का लगाना होगा पता। राजकुमार आदित्य भी चल दिया उस जंगल में और जंगल में जाकर आदित्य और भोजराज जा पहुंचे नीलघाटी  के तिलिस्म में। और फिर..............?

Tuesday, January 18, 2011

कपाला

ओसाक ग्रह पर आतंक मचा रहे खूंखारा के जंगलों के राक्षस प्राणियों को समाप्त करने निकले भोकाल, शूतान और तुरीन परन्तु उन राक्षस प्राणियों के वशीभूत हो गयी तुरीन की बिल्ली कपाला ने कर दिया शूतान और तुरीन को घायल। उनको बचाने के लिए चाहिए था खूंखारा के ही एक राक्षस प्राणी मंढोक का दूध। मंढोक का दूध प्राप्त करने अकेला ही निकल पड़ा महाबली भोकाल खूंखारा के जंगल में जहाँ उसकी मदद को पहुंचा महर्षि गाजोबाजो द्वारा भेजा गया तंत्र सम्राट तिल्ली। और फिर..............?

Monday, January 17, 2011

भूचाल का जादू

हिमालय की कंदराओं में तपस्या कर रहे महामुनि गौमुखनाथ की तपस्या भंग हो गयी एक विचित्र बुद्धिहीन प्राणी के कारण। कहीं वह प्राणी भूचाल किसी मुसीबत में न पड़ जाये ये सोच महामुनि ने दे दी उसको बुद्धि। बुद्धि मिलने के पश्चात भूचाल जो अपने ग्रह की तबाही के बाद पृथ्वी पर आ पहुंचा था उसने मचा दी पृथ्वी पर तबाही। भूचाल के जादू के प्रभाव में आकर आपस में ही लड़ने लगे पृथ्वी वासी। भूचाल ने वसुंधरा राज्य की राजकुमारी चित्रलेखा पर मोहित हो कर लिया उसका अपहरण और राजकुमारी को उस दुष्ट से बचाने के लिए निकला उसका रक्षक प्रकाल। और फिर..............?

Sunday, January 16, 2011

कारूं का खज़ाना

चिंतापोकली के राजा चिंतितसिंह ने आयोजित किया रथ मैराथन का जिसमे विजेता बना अश्वलोक का राजकुमार अश्वराज और साथ में उसने जीता राजकुमारी कुदुमछुम्बी को परन्तु एक शैतान दादूबोरा  ने कर लिया कुदुमछुम्बी का अपहरण। कुदुमछुम्बी को बचाने निकले अश्वराज को दादूबोरा ने भेजा कारूं का खज़ाना लेने। परन्तु अश्वराज खज़ाना लेने जाये ये नहीं चाहते थे महर्षि फूंकमसान इसलिए अश्वराज को रोकने के लिए उन्होंने भेजा अपने शिष्यों को। और फिर..............?

Saturday, January 15, 2011

तिलिस्मदेव और जादूराज

ऋषि-मुनियों की तपोभूमि कोची जंघा जहाँ छाया हुआ था आतंक का साया एक हत्यारे को जो लोगों से सर काट ले जाता। वो हत्यारा जादूराज खोपड़ीमार लोगो की खोपड़ियों को रखता था अपने संग्रहालय में। कोचीजंघा को इस मुसीबत से निजात दिलाते के लिए अपने सेनापति आचारसिंह को भेजा राजा कोची कोची ने परन्तु सेनापति को करना पड़ा हार का सामना। तब राजा कोचीकोची ने मदद के लिए पुकारा तिलिस्मदेव को जिनसे शक्ति प्राप्त कर वो निकल पड़ा जादूराज का आतंक समाप्त करने। और फिर...........?

Friday, January 14, 2011

चुम्बा का चक्रव्यूह

चुम्बकीय शक्तियों का मालिक चुम्बा जिसको चाहिए थी इंडियन मिसाइल सेंटर की मिनी न्यूक्लियर बैटरी पर उस बैटरी को पाने की राह में पर था सुपर कमांडो ध्रुव नाम का एक रोड़ा। ध्रुव को अपने रास्ते से हटाने के लिए चुम्बा ने चली एक चाल और ध्रुव की बहन श्वेता का कर लिया अपहरण और श्वेता के बदले सुपर कमांडो ध्रुव को उसने बुलाया अपने अड्डे पर जहाँ उसने रच रखा था मौत का चक्रव्यूह। चुम्बा के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए जा पहुंचा सुपर कमांडो ध्रुव। और फिर.................?

Thursday, January 13, 2011

पुलिस गिरोह

शहर में सबकी परेशानी का सबब बन चूका था पुलिस गिरोह। एक ऐसे अपराधियों का गिरोह जो पुलिस के भेष में आते और किसी को भी लूट ले जाते। पूरे पुलिस डिपार्टमेंट की नाक में दम कर रखा था इन नकली पुलिस के गिरोह ने। तब पुलिस ने इस मामले को सुलझाने के लिए मदद ली हीरो की। हीरो जो मुजरिमों के बीच पला-बढ़ा था परन्तु पुलिस की मदद करता था। और फिर.................?

Wednesday, January 12, 2011

तुरीन

ओसाक ग्रह पर तबाही मचा रखी थी खुंखारा जंगल के राक्षस प्राणियों ने। इन राक्षस प्राणियों के हमले से परेशान थी राजकुमारी तुरीन जो पहले से ही अपनी माँ और प्रलयंकारी शक्ति प्रहारा के खो जाने की वजह से चिंतित थी जिसको चुरा ले गया था दुष्ट झड़ोदा । तुरीन को उन मुसीबतों से छुटकारा दिलाने आ पहुंचे भोकाल और शूतान। फिर तीनो मिलकर निकल पड़े खुंखारा के जंगलों में उन राक्षस प्राणियों का अंत करने और महारानी रसिया और प्रहारा की तलाश में। परन्तु वहां के शैतान प्राणियों के चंगुल में आ फंसी तुरीन की प्यारी बिल्ली कपाला जिसने अपनी शक्ति से घायल कर दिया तुरीन और शूतान को। और फिर....................?

Tuesday, January 11, 2011

अश्वराज

चिंतापोकली के राजा चिंतित सिंह ने आयोजन किया शानदार रथ-मैराथन का जिसमे भाग ले रहे थे दूर देशो के राजा-महाराजा जिसमे जितने वाले को मिलना था राजकुमारी कुदुमछुम्बी का हाथ। रथ-मैराथन का विजेता बना अश्वलोक का राजकुमार अश्वराज परन्तु मैराथन में भाग ले रहे दादखाज के अमीर दादूबोरा ने कर लिए राजकुमारी कुदुमछुम्बी का अपहरण। राजकुमारी की तलाश में निकला अश्वराज अपने विलक्षण पांच अश्वों के रथ पर परन्तु दादूबोरा ने उसकी राह में खड़ी कर दी मुश्किलें। और फिर.................?

Monday, January 10, 2011

तिलिस्मदेव और साक्षात मौत

अज्ञातपुर के राजा विज्ञातपूरी ने आयोजित की महायोद्धा के चुनाव के लिए प्रतियोगिता जिसमे ले रहे थे कई राज्यों के महायोद्धा इसी प्रतियोगिता में भाग ले रहा था महर्षि श्री कृष्णामाचारी का शिष्य एक नन्हा बालक पुखराज जिसने एक-एक कर सभी महायोद्धाओं को परास्त कर प्राप्त किया महायोद्धा का ख़िताब। परन्तु तभी प्रतियोगिता के बीच में आ पहुंचा महाकंकाल जो था लाखों साल पहले के जीव डायनोसोर का कंकाल। उस महाकंकाल ने आकर मचा दी तबाही। पुखराज उसको रोकने आया परन्तु उसको  भी अपने वश में कर लिया उस शैतान शक्ति ने। तब महर्षि श्री कृष्णामाचारी ने पुकारा मदद के लिए तिलिस्मदेव को। और फिर...............?

Sunday, January 9, 2011

गैंगस्टर

शहर में सर उठाया एक नए अपराधी गैंगस्टर ने जिसका काम था लोगो का अपहरण कर उनके परिवार से फिरौती वसूल करना और अगर किसी ने उसके साथ दगा किया तो उसको ख़त्म कर देना। इस गैंगस्टर को पकड़ने की ज़िम्मेदारी मिली इंस्पेक्टर विनय को। इधर शहर में मची हुयी थी धूम वुमन रेसलर बुशरा की। इंस्पेक्टर विनय परमाणु बन गैंगस्टर की गैंग को ख़त्म करता हुआ जा पहुंचा उसके अड्डे। और फिर............?

Saturday, January 8, 2011

शैतान

शहर में हो रही थी रहस्यमय घटनाएँ, पूरी की पूरी ट्रेन, शिप और स्कूल में मौजूद हजारों लोग हो गए मौत के शिकार उनके शरीर से मांस तक नोच लिया गया था। इस रहस्यमय वारदात का रहस्य जानने के लिए निकले सुपर मानव गगन और विनाशदूत और ये हत्याकांड करने वाले की खोज करते करते जा पहुंचे एक शैतान तक जो दिन में प्राणविहीन हो जाता और रात में उठकर तबाही मचाता। गगन-विनाशदूत ने उस शैतान को ख़त्म किया तो उनसे आ टकराया उस शैतान को जगाने वाले तांत्रिक जोरावर खान की आत्मा जिसको तलाश थी तीन हत्यारों की जिसने उसकी और उसकी बेटी की की थी हत्या। जोरावर खान की आत्मा ने उन्हें ढूंढने का काम सौंपा गगन और विनाशदूत को। और फिर...............?

Friday, January 7, 2011

खून का तालाब

प्रतापनगर का राजा प्रतापसिंह जिसने मरने से पहले अपने बेटे रणधीर सिंह को सौंपा अपना राज्य और बताई कहानी जंगल में बने खून के तालाब की जिसमे बुत बनके खड़ा था शैतान तांत्रिक कालकेतु जिसने बरसों पहले प्रतापनगर में मचाई थी तभी तब अपना बलिदान देकर उस खून के तालाब में कालकेतु को बुत बना कैद कर लिया था प्रतापनगर के राजगुरु ने और लगवा दी थी चेतावनी की कोई उस खून के तालाब में न जाये। परन्तु रणधीर सिंह के राजा बनने के बाद एक भिखारी जा पहुंचा उस खून के तालाब में और पुनः जीवित हो उठा शैतान तांत्रिक कालकेतु। और फिर.............?

Thursday, January 6, 2011

पीकू पकोडिया

जुफार ग्रह का राजा कागा जिसकी बेटी चुम्मा को उठा ले गया था जादूगर अंधड़ उसी राजा कागा ने आयोजित करवाया था सबसे बड़ा हत्यारा प्रतियोगिता जिसमे भाग ले रहे विश्व भर के खूंखार हत्यारों को करनी थी महाबली भोकाल, अतिक्रूर और शुतान की हत्या। उन हत्यारों ने बेहोश कर दिया तीनों को परन्तु उनको ख़त्म करके सबसे बड़ा हत्यारा बनने के लिए आपस में ही लड़ पड़े वे हत्यारे। तब भोकाल, शुतान और अतिक्रूर की मदद की एक रहस्यमयी मददगार ने। और फिर....................?

Wednesday, January 5, 2011

खून की प्यासी दौलत

अमेरिका की गुप्तचर संस्था के प्रसिद्ध जासूस मार्क को भेजा गया एक मिशन पर। मिशन था चांदी का सिक्कों से भरे बक्सों को सही सलामत मैकनेरो देश पहुँचाना। मार्क चांदी की सिक्कों से भरे बक्से को लेकर निकल पड़ा समुद्र के रास्ते अपने मिशन पर, पर वो नहीं जनता था की इन बक्सों के पीछे पड़े एक नकाबपोश अपराधी जो कर रहा था उसका पीछा। इधर मार्क का ज़हाज फंस गया तूफ़ान में और जा पहुंचा एक सुनसान टापू पर। और फिर.................?

Tuesday, January 4, 2011

तेरहवीं मंजिल

होटल ताज, जिसकी तेरहवीं मंजिल पर रहस्यमय ढंग से हो चुकी थे 5 हत्याएं और हत्याओं का नहीं लगा था कोई भी सुराग इसलिए होटल ताज की तेरहवीं मंजिल को कर दिया गया बंद। जोगेश्वर, जग्गा, टाइगर और विलियम चार लोगों ने मिल कर डाली सिटी बैंक के डकैती अब उनको चाहिए थे छुपने की जगह इसके लिए उन्होंने चुना होटल ताज की तेरहवीं मंजिल परन्तु उन्होंने छुपने की जगह नहीं चुना था अपनी मौत को क्योंकि वह पर शुरू हो गया उनकी मौत का सिलसिला। इधर होटल मालिक ब्रांडो भी लगा था उन लोगों को ख़त्म करके लूट का माल हथियाने के चक्कर में। और फिर..............?

Monday, January 3, 2011

बुलबुला का दैत्य

कंकड़ बाबा के शाप के कारण अलग-अलग योनियों से होते हुए इस बार बांकेलाल और विक्रमसिंह आ पहुंचे परीलोक जहाँ पकड़म-पकड़ाई खेलने के चक्कर में विक्रमसिंह जा घुसा दैत्यों के क्षेत्र में जिसका कारण परीलोक में समझा गया बांकेलाल को इसलिए बांकेलाल के पंख तोड़कर उसको लगा दिया गया बर्तन धोने के काम पर। इधर बुलबुला के दैत्यों को चाहिए थे परीलोक के परियों के पर ताकि उनकी मदद से वो उड़कर पृथ्वीलोक से खाने के लिए मानवों को पकड़ सके। इधर बांकेलाल ने परीलोक से बचने के लिए चाल चलकर सभी परियों के पंख तोड़कर फेंक दिए उधर परीलोक पर हमला बोल दिया बुलबुला के दैत्यों ने। और फिर............?

Sunday, January 2, 2011

रिवॉल्वर

दसवीं कक्षा में पढने वाला 14 वर्षीय विनय जिसके सामने ही भरी क्लास में हत्या कर दी गयी उसकी एक सहपाठी की। विनय ने अपनी बहादुरी दिखाकर पकड़ लिया एक हत्यारे को और उस हत्यारों का एकमात्र सबूत एक रिवॉल्वर सौंप दिया अपने पिता इंस्पेक्टर शांता कुमार को। हत्यारों को अब किसी भी कीमत पर वापस पाना था अपना रिवॉल्वर इसके लिए उन्होंने कर लिया शांता कुमार के छोटे बेटे विजय का अपहरण, अपने बेटे को छुड़ाने गए शांता कुमार बन बैठे उन हत्यारों का शिकार। हत्यारों नहीं छोड़ा विनय की माँ को भी यहाँ तक की विनय को भी भेज दिया मौत की राह पर तब विनय को बचाया उसके प्रोफ़ेसर मामा कमलकांत ने और हत्यारों से बदला लेने और उनको सजा दिलाने के लिए दी विनय को वैज्ञानिक शक्तियों से भरी एक अद्भुत पोशाक जिसको पहन कर विनय बन गया वंडरमैन परमाणु। और फिर..............?

Saturday, January 1, 2011

मौत का प्लेटफार्म

शहर में हो रहीं थी रहस्यमय वारदातें हर रोज़ पुलिस स्टेशन के बाहर मिलती एक हाथ कटी लाश। कोई भी नहीं सुलझा पा रहा था उन लाशों का रहस्य। शहर के बैंकों में भूत कर रहे थे डकैती, कब्रिस्तान से गायब हो रही थी लाशें। इन सब रहस्यों से पर्दा उठाने का ज़िम्मा लिया इंस्पेक्टर प्रभात ने और पुलिस स्टेशन में मिली लाश की जेब में पड़े कागज़ के टुकड़े के ज़रिये जा पहुंचा एक ऐसे गिरोह के पास जो भोले-भाले इंसानों को बेवक़ूफ़ बनाकर, उनकी हत्या कर करते थे उनका रक्तपान। और फिर...............?