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Tuesday, August 31, 2010

लुटेरों का खजाना

गिरीराज जो एक समुद्री यात्रा के दौरान जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण किसी तरह तैरता हुए एक अन्जान टापू पर आ पहुंचा जहां एक जंगली कबीले के कुछ जंगलियों द्वारा घेर लिया गया तब उनसे गिरीराज की जान बचाई बूढ़े रॉबर्ट ने जो खुद भी दुर्भाग्यवश एक दुर्घटना का शिकार हो उस टापू पर आ फंसा था। ऐसे ही उन दोनों की मुलाकात हुई एक और किस्मत की मारी रंजना नामकी लड़की से जिसका जहाज भी दुर्घटनाग्रस्त हो चुका था। अब तीनों चाहते थे किसी तरह उस टापू से निकलना परन्तु उसके लिए उन्हें चाहिए था एक जहाज तभी एक दिन उस टापू पर आकर रूका समुद्री लुटेरों का एक जहाज। और फिर.......?

Monday, August 30, 2010

बांकेलाल और तिलिस्मी जाल

विशालगढ़ के राजा विक्रमसिंह के पुत्र को हो गयी जीर्ण-शीर्ण नामक बीमारी जिसका इलाज था सोंपू सांप की लार या मृत संजीवनी बूटी। इस इलाज को ढूंढने के लिए भेजा गया बेचारे बांकेलाल को। इधर विशालगढ़ में आई हुई थी एक नई मुसीबत जादूगर कुक्कड़शाह और उसके तिलिस्मी जाल के कारण जिसके द्वारा वह किसी भी व्यक्ति को पत्थर में बदल सकता था। इधर मृत संजीवनी बूटी की तलाश में निकले बांकेलाल को सूझ गयी एक और शरारत और उसने मृत संजीवनी बूटी की जगह ज़हर की बूटी ले जाने की योजना बनाई। और फिर.......................?

Sunday, August 29, 2010

चमगादड़

डॉ अतुल जो अपने एक प्रयोग में इतना मशगुल था कि उसे अपनी पत्नी और बेटी का भी ख्याल नहीं था। जब उसकी बेटी मिनी तेज़ बुखार से तप रही थी और उसकी पत्नी वर्षा ने उसे इस बारे में बताया तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अपनी बेटी मिनी की मौत का जिम्मेदार वर्षा ने अपने पति डॉ अतुल को माना और क्रोध में आकर उसे एक ऐसा इंजेक्शन लगा दिया जिससे कोई भी इंसान बदल जाता था चमगादड़ में। इंजेक्शन लगने के बाद डॉ अतुल चमगादड़ में तब्दील हो गया और चल पड़ा आतंक मचाने। और फिर.......................?

Saturday, August 28, 2010

ताजमहल की चोरी

भारत में आतंक मचाया एक अनोखे चोर (काले नेवले शिकांगी) ने जो पलक झपकते ही कोई भी चीज़ चुरा ले जाता था। नागराज निकला शिकांगी की तलाश में और जा टकराया बौने शैतान से। इधर एक रहस्यमय शख्स ने दिया विज्ञापन ताजमहल की चोरी का। उसके बाद बढ़ा दी गयी ताजमहल की सुरक्षा पर शिकांगी नेवले ने सबकी आँखों के सामने देखते ही देखते गायब कर दिया ताजमहल को। और फिर शिकांगी के मालिक सर रॉबर्ट ने रखी ताजमहल की नीलामी जिसमे उसने बुलाये देश-विदेश के कई माफिया सरगनाओं को और इधर नागराज भी कैद होकर रह गया था सर रॉबर्ट के अड्डे पर। और फिर.........................?

Friday, August 27, 2010

अंगूठी के दीवाने

जादूगर कालचक्र जो एक बहुत बड़ा जादूगर था उसके पास जादू सीखते थे चंद्रनाथ और वृश्चिक। कालचक्र ने दोनों को सिखाए जादूगरी के कई गुर और बताया अपनी एक जादूई अंगूठी के बारे में जिसमें रहता था एक जिन्न जो अंगूठी के मालिक की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देता था। उस अंगूठी को पाने के लिए कालचक्र के दोनों शिष्यों ने रची साजिश और कर दिया कालचक्र का कत्ल। परन्तु दोनों आपस में लड़ पड़ें अंगूठी को पाने के लिए। लड़तेलड़ते अंगूठी ले भागा वृश्चिक और छुपा दी वो जादूई अंगूठी एक पेड़ के खोखल में परन्तु वहां से उस अंगूठी को निकाल ले गया गांव का एक युवक रणधीर। जब वृश्चिक और चंद्रनाथ को पता चली अंगूठी के गायब होने की बात तो दोनों चल पड़े अंगूठी चुराने वाले की तलाश में। और फिर...............?

Thursday, August 26, 2010

कंकाल का खजाना

अश्वपुरी का राजा अश्वयुद्ध जिसको अपने खजाने से था बेहद प्रेम अपने इस खजाने के लालच के कारण वह अपनी प्रजा पर भी करता था अत्याचार। अपने खजाने के सामने वो अपनी रानी और बेटियों को भी कुछ नहीं समझता। यह देख अश्वपुरी पर हमला कर दिया पड़ोसी देश मगध के राजा मरीच ने। अपने पर हमले की खबर सुन राजा अश्वयुद्ध सारा खजाना लेकर निकल भागा। मगध के राजा मरीच ने कर लिया राज्य पर कब्जा और बना लिया रानी और राजकुमारियों को बन्दी। कैद में बंद रानी की मदद की एक रहस्यमय कंकाल ने जिसने उसको कैद से छुड़ाया और पहुंचाया मुनि कृपाचार्य तक। और फिर...........?

Wednesday, August 25, 2010

तीन महारथी

सूर्यावर्त के राजा ऋतुराज जिनके यहां जन्म लिया तीन राजकुमारों ने परन्तु दुर्भाग्य वश तीनों राजकुमार गंगा नदी की लहरों में अपने माता पिता से बिछुड़ गए। एक राजकुमार जा पहुंचा महर्षि अगस्त के पास जिसको राक्षसराज शम्बरासुर से निजात पाना था। दूसरा पुत्र मिल गया जादूगर कालनेमि को जो बनना चाहता था सबसे शक्तिशाली जादूगर वहीं तीसरे राजकुमार को पाला पोसा राक्षसराज शम्बरासुर ने जो पाना चाहता था अमरता का वरदान। तीनों को अपना मकसद पूरा करने के लिए चाहिए थी भास्कर नगर की राजकुमारी सारंगा। राजकुमारी के बड़ें होनें पर तीनों द्वारा पालपोस कर बड़े किए तीनों महारथी राजकुमार चल पड़े उनका मकसद पूरा करने। और फिर............?

Tuesday, August 24, 2010

तालाब के चोर

विशालगढ़ राज्य में हुआ अनोखे सूंड वाले राक्षसों का हमला जो कर रहे थे विशालगढ़ के सभी जलाशयों पर हमला और चुरा रहे थे सारा पानी। बांकेलाल इन राक्षसों को पकड़ने निकला तो उसे पता चला कि ये राक्षस पानी इसलिए चुरा रहे थे क्योंकि इनके देवता का हार विशालगढ़ के किसी तालाब में जा गिरा था और उसे ही ढूँढने के लिए ही वो सभी तालाबों का पानी चुरा रहे थे। ये जानकर बांकेलाल के शरारती दिमाग में कुलबुलाने लगी एक और शरारत और उसने बना ली विशालगढ़ और उन राक्षसों के बीच युद्ध की योजना। और फिर..................?

Monday, August 23, 2010

जादूगर का किला

एक विशाल रेगिस्तान के बीचोंबीच बने किले में रहता था दुष्ट जादूगर होशांग जो अपने किले के पास आने वाले लोगों को मार देता या बन्दी बना लेता। ऐसे ही एक बार वहां से गुजर रही चंदनगढ़ की राजकुमारी रूपलेखा के काफिले पर हमला कर दिया जादूगर होशांग ने जहां चंदनगढ़ का सेनापति दुर्जनसिंह मिल गया जादूगर होशांग से परन्तु राजकुमारी रूपलेखा भाग निकली और उसकी मुलाकात हुई महर्षि विद्यानंद के आश्रम में शस्त्र विद्या सीख रहे सुन्दरनगर के राजकुमार जयराज से जिसने उसको वापिस चंदनगढ़ पहुंचाया। जादूगर होशांग ने चंदनगढ़ से अपहरण कर लिया राजकुमारी रूपलेखा का जिसको वापिस लाने के लिए निकल पड़ा राजकुमार जयराज जादूगर के किले में। और फिर.........?

Sunday, August 22, 2010

नागराज और बौना शैतान

भारत में आतंक मचा रहा था एक अनोखा चोर जो पलक झपकते ही सबके सामने कोई भी चीज़ चुरा ले जाता था। ये चोर कोई मामूली व्यक्ति नहीं बल्कि एक कला नेवला शिकांगी था। कोई भी इस शिकांगी नेवले को पकड़ नहीं पाया। इधर विश्व के सभी आतंकवादियों की तलाश में निकले नागराज को भी लग गयी इस काले नेवले की खबर। और उसको ढूंढते-ढूंढते वो जा टकराया लुटेरों के एक गैंग से जिनका सरगना था बौना शैतान। और फिर.................?

Saturday, August 21, 2010

तबाही के भूत

शहर के जानेमाने बिल्डर गोपाल रस्तोगी जो बना रहे थे एक आलीशान गेस्ट हॉउस जब उन्होंने गेस्ट हॉउस बनाने के लिए खुदाई चालू की तो पाता चला की जहाँ वो गेस्ट हॉउस बना रहे हैं वो एक कब्रिस्तान है। पर उन्होंने इसकी परवाह न करते हुए खुदाई चालू रखी और वहां से निकलने वाले कंकालो को समुन्द्र में फिकवा दिया। दूसरी तरफ चार लुटेरे गोगा, दयाल, कन्हैया और शीतल जिन्होंने एक बैंक लूटा था पर लूट का माल उनके पांचवे साथी काले के पास रह गया था जो एक दुर्घटना में मारा गया। तो उन चारों ने काले की आत्मा को बुलाकर लूट के माल का पाता जानना चाह तो काले की आत्मा ने बताया की लूट का माल अभी हाल ही बने उसी गेस्ट हॉउस की निचे दबा हुआ है। अब चारो उस गेस्ट हॉउस पर चल पड़े जहाँ मचा हुआ था भूतों का आतंक। और फिर.........................?

Friday, August 20, 2010

टाइम बम

शहर में मचा हुआ था हाहाकार, शहर के बैंकों को लूटने के लिए हमला कर रहे थे टाइम बमों से लदे इंसान। और उन जिंदा टाइम बमों के धमाकों से थर्रा उठा था पूरा शहर। पुलिस भी उन टाइम बमों से लदे लोगों का पता लगाते हुए उनके घर पहुंचते तो उनको पता चलता कि कुछ अपराधी उनके परिवार वालों को बंदी बना कर करवाते थे मासूम लोगों से यह काम। तब इन मासूम लोगों को मजबूर कर टाइमबम बनाने वाले गिरोह को खत्म करने निकला जांबाज इंस्पेक्टर श्रीकांत। और फिर............?

Thursday, August 19, 2010

परोपकार का मूल्य

सत्यापुर गांव का गरीब मजदूर हरिया जो मेहनत करके अपना व अपनी मां का पेट भरता। एक बार अपने बीमार होने की वजह से मां की तकलीफ न देख पाया तो आत्महत्या के इरादे से नदी में कूद पड़ा जहां से उसकी जान बचाई उदयपुर के राजा उदयसिंह ने जिसने हरिया की जान बचाने के साथसाथ उसको उप सेनापति भी बना दिया। इधर राजा उदयसिंह को भी था एक दुख क्योंकि उसकी पुत्री राजकुमारी उत्तरा को उठा ले गया था शिखण्ड देश का दुष्ट राजा अग्निविजय जिसने अग्निदेव को अपना दास बना रखा था। यह जान राजा उदयसिंह के परोपकार तले दबे हरिया ने ठान लिया अग्निविजय के कैद से राजकुमारी उत्तरा को वापिस लाने का। और फिर...........?

Wednesday, August 18, 2010

उड़नतश्तरी के बंधक

राजनगर के आकाश पर एक दिन अचानक गायब हो गया एक यात्री विमान। जिसकी छानबीन करते हुए सुपर कमांडो ध्रुव को मिली एक आश्चर्यजनक उड़नतश्तरी और उसका सवार जो एक समय यात्री था और सन 25000 से आया था और उसका यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसे वापस अपने समय में जाने के लिए ध्रुव की मदद की ज़रुरत थी। ध्रुव भी उसके साथ भविष्य में जा पहुंचा और उसे पाता चला की वहां पर इंसानों पर कब्ज़ा कर रखा है एक रोबो 'विटलर' ने अब ध्रुव वे उन लोगों को विटलर के आतंक से बचाने के ठान ली। और फिर..........................?

Tuesday, August 17, 2010

बांकेलाल और अंगुलिमाल

चन्दनगढ़ का डाकू अंगुलिमाल जो चन्दनगढ़ के कारागार में बंद था वहां से भाग निकला। डाकू अंगुलिमाल ने कसम खाई थी चन्दनगढ़ की राजकुमारी कुरुपलता से विवाह करने की जिसकी शादी हो चुकी थी विशालगढ़ के राजा विक्रमसिंह के साथ। जब अंगुलिमाल को पाता चला की कुरुपलता की शादी हो चुकी है तो उसने विक्रमसिंह को मरने की ठान ली और वह चल पड़ा विशालगढ़ की तरफ जहाँ उसकी मुलाकात हुई खुराफाती बांकेलाल से। उसने बांकेलाल को अपने साथ मिलाकर विक्रमसिंह को फंसाने की योजना बनाई। और बांकेलाल धोखे से विक्रमसिंह को अपने साथ ले चला अंगुलिमाल के पास। और फिर......................?

Monday, August 16, 2010

तिलिस्मी कुआं

वैशाली नगरी जहां के जंगलों में था एक विचित्र सुखा कूंआ जिसमें छुपे हुए थे कई रहस्य। वैशाली के राजा कर्णादित्य ने किया ऐलान कि जो काई उस सुखे कूएं का रहस्य खोलेगा उसको वो देंगे आधा राज्य और राजकुमारी वैशाली का हाथ। कई युवक गए उस कूंए का रहस्य जानने परन्तु लौट कर ना आ सके तब राजमहल में आया सूरजसिंह नाम का नौजवान जो जाना चाहता था कूंए का रहस्य जानने परन्तु उससे पहले ही महल में हमला किया गजमुखासुर राक्षस ने और उठा ले गया राजकुमारी वैशाली को। सूरजसिंह निकल पड़ा उसके पीछे तिलिस्मी कूएं पर रास्ते में मिला उसे लूका नामक युवक जिसको भी लेना था गजमुखासुर से अपने मातापिता की हत्या का बदला। फिर दोनों चल पड़े गजमुखासुर का खात्मा करने। और फिर............?

Sunday, August 15, 2010

भागो मौत जागी

भारत से दक्षिण अफ्रीका जा रहा एक समुद्री जहाज़ तूफान में फंसकर डूब गया। बमुश्किल बचे कुछ यात्री जा पहुंचे एक अनजान द्वीप पर। एक ऐसा द्वीप जो खुनी द्वीप के नाम से मशहूर था क्योंकि इस द्वीप में रहते थे कुछ ऐसे आदिवासी जो दिन के उजाले में चमत्कारी रूप से हो जाते थे बेहोश पर रात होते ही उनमे हो जाता था शक्ति का संचार और जाग जाते थे। इस द्वीप पर पहुंचकर उन यात्रियों को मिल गया उन जंगलियों का कबीला जहाँ छुपा हुआ था बेशुमार खज़ाना। और वे बनाने लगे खज़ाना उड़ाने की योजना। और फिर.................?

Saturday, August 14, 2010

प्रलयंकारी त्रिशूल

सुरसानगर का दैत्यराज त्रिकंटकासुर जिसने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर प्राप्त कर रखी थी एक प्रलयंकारी त्रिशूल जिसके बल पर उसनें पृथ्वी के कई राज्यों पर कर रखा था अपना अधिकार। उसने अपनी बहन राजकुमारी कौशाम्बी का विवाह तय कर दिया दैत्यराज प्रलम्बासुर के साथ परन्तु कौशम्बी को यह विवाह नहीं था मंजूर इसलिए वह राजमहल से भाग निकली आत्महत्या करने के लिए परन्तु उसको बचा लिया एक सन्यासी मित्रवसु ने और उससे कर लिया विवाह। विवाह के पश्चात हुए अपने पुत्र कार्तिक की शिक्षा के लिए उसे छोड़ आए महर्षि उदन्त के आश्रम में। इधर जब त्रिकंटकासुर को पता चला अपनी बहन कौशम्बी और उसके पति मित्रवसु के बारे में तो उसने मित्रवसु की हत्या कर बना लिया कौशम्बी को बन्दी। मरते हुए मित्रवसु ने दिया उसे श्राप की उसकी मृत्यु भी होगी एक सन्यासी के हाथ इसलिए त्रिकंटकासुर करने लगा सभी सन्यासियों की हत्या। और फिर..........?

Friday, August 13, 2010

चित्रकमणि

नागलोक, जहां आए दिन गिद्धलोक के वासी करते रहते थे हमला। नागलोक ने भगवान ब्रह्मा से गिद्धलोक के वासियों को रोकने के लिए चित्रकमणि प्राप्त कि तो गिद्धलोक के वासियों ने उसको भी चालाकी से चुरा लिया तब भगवान ब्रह्मा नें नागलोक के राजा नागमणि को बताया कि गिद्धों को रोकने के लिए उसके यहां जन्म लेगी नागकन्या नागप्रिया परन्तु वह भी 18 वर्ष पश्चात पृथ्वी पर विवाह कर लेगी। इसलिए नागमणि ने चित्रकमणि को दोबारा प्राप्त करने के लिए पृथ्वी के एक महर्षि से यज्ञ करवाना शुरू किया परन्तु गिद्धों ने उस यज्ञ में भी खलल डालना शुरू कर दिया तब यज्ञ को बचाने के लिए नागप्रिया जा पहुंची पृथ्वी पर। और फिर...........?

Thursday, August 12, 2010

भगवान का कायाकल्प

जीतपुर राज्य का कृष्ण मंदिर जहां का पुजारी विश्वानंद भगवान कृष्ण का परमभक्त था परन्तु उनका पुत्र जीवानंद एक नास्तिक और अय्याश इंसान था। विश्वानंद ने उसको कई बार सुधारने की चेष्ट की परन्तु वह उनकी एक न सुनता। एक बार जीवानंद ने विश्वानंद को भारी मुसिबत में फंसा दिया तब विश्वानंद को उस मुसिबत से निकाला स्वयं मंदिर के भगवान कृष्ण की मूर्ति ने अपनी मुर्ति का कायाकल्प करके जिससे भगवान कृष्ण की मूर्ति हो गई बू़ी। अपने कारण भगवान की मूर्ति को बू़ा होता देख विश्वानंद ने त्याग दिए अपने प्राण और अपने पुत्र जीवानंद की जिम्मेदारी छोड़ दी भगवान कृष्ण पर। और फिर..........?

Wednesday, August 11, 2010

राक्षस का बेटा

असुरों के राजा दुष्प्रेक्षासुर ने ब्रह्मा को प्रसन्न कर प्राप्त किया वरदान पृथ्वी के किसी भी अस्त्रशस्त्र से ना मारे जाने का। वरदान मिलने के बाद उसने पृथ्वी पर मचा दिया हाहाकार तब उसका अंत किया पुष्पकनगर के राजा पुष्पराज ने भगवान विष्णु द्वारा प्राप्त अद्भुत गदा द्वारा। दुष्प्रेक्षासुर की मौत का बदला लेने की कसम खाई उसके पुत्र दीर्घश्रुतासुर ने और उसने भी भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या कर प्राप्त कर लिया वरदान कि उसको ना कोई मनुष्य मार सकता है न देवता। इसके बारे में जब पता चला राजा पुष्पराज को तो उसने भी दीर्घश्रुतासुर को मौत देने के लिए शुरू कर दिया महायज्ञ परन्तु उस महायज्ञ को नष्ट करने के लिए दीर्घश्रुतासुर भी सन्यासी का भेष बनाए जा पहुंचा पुष्पराज के महायज्ञ में। और फिर...........?

Tuesday, August 10, 2010

बहरी मौत

राजनगर के पास के जंगल "नेशनल फारेस्ट" में एक नकाबपोश आदमी ने कुछ शेरों को ध्रुव को मारने की ट्रेनिंग दी। ट्रेनिंग के बाद वह चल पड़ा राजनगर ध्रुव को ख़त्म करने। इधर ध्रुव का सामना हुआ इन शेरों के साथ जो बहरे थे और उसके बाद वह उस रहस्यमय नकाबपोश का पीछा करते हुए जा पहुंचा एक वीरान खंडहर में जहाँ उस नकाबपोश ने बिछा रखा था ध्रुव को फंसाने के लिए मौत का जाल। और फिर...........................?

Monday, August 9, 2010

मौत का त्रिशूल

राक्षस दुष्टान्त जिसने देवी शक्तिदायनी को अपनी कठोर तपस्या से प्रसन्न कर लिया और उनसे वर स्वरुप प्राप्त किया एक चमत्कारी शस्त्र किया जिसके द्वारा वो किसी भी युद्ध में विजय पा सकता था। शक्ति प्राप्त कर दुष्टान्त निकल पड़ा विश्वविजय की यात्रा में। इधर विशालगढ़ में राजा बनाने के ख्वाब संजोये बांकेलाल ने की एक नई शरारत और धोखे से विक्रमसिंह को धकेल दिया पानी की झील में और बन बैठा विशालगढ़ का कार्यवाहक राजा। इधर कई राज्यों को हराता दुष्टान्त आ पहुंचा विशालगढ़ और कब्ज़ा कर लिया विशालगढ़ में और बांकेलाल को अपने साथ मिलाकर करने लगा लोगों पर अत्याचार। और फिर........................?

Sunday, August 8, 2010

नागराज और जादूगर शाकूरा

शाकूरा ग्रह, जहाँ के सभी निवासी एक से बढ़कर एक जादूगर हैं, वहीँ का एक शैतान जादूगर विक्टार शाकूरा जो एक खतरनाक अपराधी था वहां की सजा से बचने के लिए शाकूरा ग्रह से भाग निकला और आ पहुंचा पृथ्वी पर। और उसकी मुलाकात हुई सर्वाधिक शक्तिशाली इंसान सुपरमैन से। जिससे मिलकर उसके शैतानी दिमाग में पृथ्वी पर राज़ करने का ख्याल आया और वो पृथ्वी के सभी सुपर हीरोज़ को कैद करने निकल पड़ा। और उसने सुपरमैन, बैटमैन, स्पाईडरमैन को कर लिया कैद और अब वह आ पहुंचा भारत में नाग सम्राट नागराज को कैद करने। और फिर........................?

Saturday, August 7, 2010

खूनी दर्रा

मनाली का बर्फ से ढका पहाड़ी रास्ता जहां से गुजर रहे थे प्रवीण, शिवानी, मणि और सावित्री अपनी कार पर जहां रास्ते में एक जगह पर उनकी कार गिर पड़ी एक दर्रे में उस हादसे में बच गया तांत्रिक मणि और उसकी पत्नी सावित्री परन्तु जान गंवानी पड़ी मणि के भाई प्रवीण और उसकी पत्नी शिवानी को। यह हादसा किया था एक रहस्यमय आत्मा ने और उस आत्मा और उस खूनी दर्रे का रहस्य जानने की ठान चुका था मणि। और एक बार फिर मणि और सावित्री चल दिए उस खूनी दर्रे पर। और फिर...........?

Friday, August 6, 2010

षड्यंत्रकारी आत्मा

विशालगढ़ के कई गावों में पानी की कमी से पड़ गया सुखा। एकमात्र बचे कुएं से पानी का बंटवारा करने लिए भेजा गया बेचारे बांकेलाल को। पर बांकेलाल के भी मन में सूझ गई शैतानी और वो कुएं के पानी में ज़हर मिलाने चला। पर कुएं में रहने वाले जल देव ने उसे रोका और उसके बदले में बांकेलाल कुछ भी मांगने के लिए कहा। और फिर बांकेलाल ने माँगा की विशालगढ़ के सभी कुएं, तलब, नदियाँ इत्यादि सूख जाये। इधर राजा उद्यमीसिंह की आत्मा भी कर रही थी विशालगढ़ से बदला लेने का षड़यंत्र। और फिर.......................?

Thursday, August 5, 2010

सात साल बाद

अमीर घर की सात साल की बच्ची दीपा जो एक दिन करने लगी अपने ही मां-बाप के साथ अजीब सा बर्ताव अपने आपको बताने लगी सोनू नाम की लड़की जिसका हो गया थी एक एक्सीडेंट में मौत। फिर वह बच्ची दीपा जा पहुंची सोनू के घर जो असल में उसका ही पिछला जन्म था। तब पुलिस सुलझाने लगी पिछले जन्म में हुई सोनू के एक्सीडेंट की गुत्थी। और फिर...........?

Wednesday, August 4, 2010

कैदी न. 100

कैदी न. 100 चामुण्डा जो जेल की कैद से हो गया फरार। पूरी पुलिस फोर्स के साथ ही इंस्पेक्टर बलदेव भी लग गया उसके पीछे। कैदी न. 100 भी बलदेव से लेना चाहता था बदला क्योंकि उसने ही पकड़ा था उसे। कैदी न. 100 चामुण्डा पुलिस से भागता हुआ जा पहुंचा एक टापू पर। पुलिस वाले जब उसकी तलाश में पहुंचे उस टापू पर तो वहां उन्हें मिली कैदी न. 100 चामुण्डा की लाश। और तभी उन पर हमला किया एक धुँए की परछाई ने। तब इंस्पेक्टर बलदेव भी जा पहुंचा उस टापू पर उस रहस्मय परछाई का रहस्य जानने। और फिर........?

Tuesday, August 3, 2010

दोस्ती और दुश्मनी

कुन्तलनगर का डाकू संग्रामसिंह जिसे बचपन में मिला एक बच्चा जिसको उसने अपने बेटे की तरह पाला। संग्रामसिंह की मृत्यु के बाद उसका वही बेटा गोविन्दा बन बैठा डाकूओं का सरदार उसकी नजर पड़ गई कुन्तलनगर की राजकुमारी सुकीर्ति पर उस पर मोहित हो उसने ठान लिया उससे विवाह करने का परन्तु डाकू गोविन्दा से सुकीर्ति को बचाया बंजारे युवक गौतम ने। गौतम की यह वीरता देख सुकीर्ति करने लगी उससे प्रेम। इधर अपनी हार से तिलमिलाए डाकू गोविन्दा ने सुकीर्ति का अपहरण करने के लिए बनाई योजना। और फिर..........?

Monday, August 2, 2010

कटा हुआ हाथ

अजीतनगर में आतंक मचा रहा था इंसानों का रक्त पीने वाला एक शैतान। जिसे पकड़ा गया तो पाता चला की वो अजीतनगर के महामंत्री का बेटा तिलकराज था। तिलकराज को दे दी गयी काली मौत की सजा पर बाहर रह गया उसका एक कटा हुआ हाथ। तिलकराज की सजा के बाद अजीतनगर में सबकुछ सामान्य हो गया। पर दस वर्षों के बाद एक बार फिर लौट आया तिलकराज का कटा हुआ हाथ और अजीतनगर में एक बार फिर मंडराने लगा खौफ का साया। इस समस्या से निपटने का एक ही तरीका था तहखाने में बंद तिलकराज के शव का नष्ट हो जाना। इधर तिलकराज को शैतान बनाने वाले तांत्रिक कपाली को भी चाहिए था तिलकराज का शव जिससे वो उसे दोबारा जिंदा कर सके। और फिर.............................?

Sunday, August 1, 2010

बांकेलाल और मुर्दा शैतान

विशालगढ़ में इन दिनों चल रही थी कुश्ती प्रतियोगिता। जिसमे दारापुर का पहलवान दारा एक-एक करके सभी पहलवानों को चित्त कर रहा था। विशालगढ़ की प्रतिष्ठा बचाने के लिए विक्रमसिंह ने ऐलान किया दारा और बांकेलाल की कुश्ती का। पर बेचारा बांकेलाल कुश्ती से बचने के लिए राजमहल छोड़कर भाग निकला और जा पहुंचा विशालगढ़ के जंगल की एक रहस्यमय गुफा में जहाँ अनजाने में बांकेलाल का रक्त पीकर जिंदा हो गया मुर्दा शैतान। और फिर.............................?