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Saturday, April 30, 2011

सोने की मशाल

महानगर की स्टेच्यु ऑफ़ लिबर्टी की मशाल जो आश्चर्यजनक से बन गयी थी सोने की उसको पाने के फ़िराक में था इंटरनेश्नल स्मगलर कंगोरा और मशाल को सोने का बना देने वाला रहस्यमय सैंडमैन। मशाल की सुरक्षा का भार सौंपा गया कैप्टन अंकार को जिसने बेहद चतुराई से कैद कर लिया शक्तिशाली सैंडमैन को परन्तु कंगोरा अपनी चालाकी से उड़ा ले गया सोने की मशाल। इधर सैंडमैन आज़ाद हुआ अंकार की कैद से परन्तु अब उसके हो चुके थे 2 हिस्से। एक हिस्सा भागने में हो गया सफल और सैंडमैन का रहस्य जानने के लिए अंकार उसके दुसरे हिस्से को ले गया प्रोफ़ेसर तोरास के पास परन्तु वो आधा सैंडमैन भी प्रोफ़ेसर तोरास के रोबोट एक्सल पर निकल पड़ा सोने की तलाश में। और फिर..........?

Friday, April 29, 2011

गोजो को खोजो

इमरती नगर में आतंक मचाने आई चुड़ैलबच्ची जो लोगों को मारकर उनको खा जाती। उसको रोकने आया गोजो और चुड़ैलबच्ची की इस लड़ाई में कट गयी नाक। चुड़ैलबच्ची जान बचाकर भागी और पहुंची अपने भाई राक्षसबड़ा के पास। अपनी बहन की दुर्गति देख क्रोध से पागल राक्षसबड़ा ने अपनी बहन चुड़ैलबच्ची का विवाह गोजो के साथ करने का किया निर्णय। और गोजो के एक एक कर होने लगे अंग गायब परन्तु गायब होने से पहले गोजो ने अपनी सातों शक्तियों को निकाल लिया अपने शरीर से बाहर ताकि वे पता लगा सके उसके गायब होने का रहस्य और गोजो हो गया गायब। और फिर...........?

Thursday, April 28, 2011

रोबो का प्रतिशोध

एक आतंकवादी प्लास्टो ने गोलियां चला कर लोगों को भून डाला और इस कांड में फंसा दिया ध्रुव की दोस्त नताशा को जो कुख्यात आतंकवादी ग्रैंड मास्टर रोबो की बेटी भी है। इस खबर को सुन नताशा के पीछे लगी एक रहस्यमय लड़की ब्लैक कैट और जा मिली प्लास्टो से क्योंकि उसको पहुंचना था ग्रैंड मास्टर रोबो तक। सुपर कमांडो ध्रुव और चंडिका भी ब्लैक कैट और प्लास्टो को रोकने में रहे नाकाम। ब्लैक कैट और प्लास्टो पुलिस हिरासत से ले भागे नताशा को और जा पहुंचे रोबो के अड्डे पर ब्लैक कैट का कारनामा सुन रोबो ने उसको भी शामिल कर लिया अपनी गैंग में। इधर ध्रुव और चंडिका भी पता लगाते हुए जा पहुंचे रोबो के अड्डे तक पर वो रह गए आश्चर्यचकित जब उनके मौत देने उनके सामने आ खड़ी हुयी नताशा। और फिर.............?

Wednesday, April 27, 2011

खतरा

मिस्र के पिरामिड में दफ़न फराहों शासक टैजुआकैट के मकबरे में छिपे खजाने की तलाश में उस पिरामिड तक जा पहुंचा पुरातात्त्वेताओं का एक दल और उस मकबरे को तोड़ कर सारा खज़ाना ले गया। मकबरे से खज़ाना गायब होने के पश्चात् आया एक ज़लज़ला और उठ खड़ा हुआ टैजुआकैट और उसकी भयानक सेना। अब उनको वापिस चाहिए था अपना खज़ाना इसके लिए उन्होंने पूरे भारत में मचा दिया कहर। टैजुआकैट की सेना को रोकने आये सुपर मानव गगन और विनाशदूत। अब दोनों को मिटाना था दुनिया पर से टैजुआकैट का खतरा। और फिर...........?

Tuesday, April 26, 2011

तू चल मैं आया

दो भाई 'तू चल' और 'मैं आया' जो थे तो बहुत मेहनती और हिम्मती परन्तु थे बेहद गरीब और अपनी ज़िन्दगी चलाने के लिए रोज़ कुछ न कुछ नया करने की सोचते। तभी उन्हें पता चला एक विचित्र साईकिल रेस प्रतियोगिता का जिसमे जीतने वाले को मिलना था तगड़ा इनाम। इस प्रतियोगिता में भाग लेने की सोच दोनों लग गए एक विचित्र साईकिल बनाने की जुगाड़ में और जा टकराए भूलभुलैया सर्कस के मालिक ऊट-पटांग से वहां चमत्कारी ढंग से किसी रहस्यमय शक्ति ने की तू चल मैं आया की मदद। दोनों को चमत्कार करते देख मि. ऊट-पटांग पड़ गया दोनों के उनको अपनी सर्कस में शामिल करने के लिए। और फिर..........?

Monday, April 25, 2011

शुक्राल और हलीपा

टर्की का क्रूर सम्राट हलीपा जो बनवाना चाहता था एक अद्भुत महल जिसके आगे संसार के सभी महल फीके लगे इसके लिए उसने सर्वप्रथम विश्व विजय के लिए शुरू किया नरमेघ यज्ञ जिसमे उसने अपना 'नर' चुना शक्तिशाली युवक शुक्राल को। शुक्राल चल पड़ा एक के बाद एक युद्ध जीतता हुआ और जा पहुंचा शुक्र देश जहाँ की सम्राज्ञी पटाखा ने बना लिया शुक्राल को बंदी। इधर हलीपा हो चुका था पटाखा पर मोहित और बनाना चाहता था उसको अपनी रानी। इधर पटाखा को पता चला की शुक्राल है उसी का पति जो कई वर्ष पूर्व उससे विवाह कर उसको सबक सिखाने के लिए मौत के मूंह में कूद गया था। यह जान पटाखा ने शुक्राल को कर दिया आज़ाद परन्तु शुक्राल ने आज़ाद हो पटाखा को ही बंदी बना पेश कर दिया हलीपा के पास। और फिर.........?

Sunday, April 24, 2011

तन्त्रा

विकासनगर की धरती में से फूट पड़ी नरकाग्नि और महाचुड़ैल तन्त्रा ने बनायी तीन चुडैलें और उन्हें भेजा विकासनगर दस हजार बलि लेने तीनों चुडैलों ने विकासनगर में मचा दिया आतंक भोकाल और तुरीन ने जब उन्हें रोकने की चेष्टा की तो उन्होंने उनको भी जादुई शीशा दिखाकर कर लिया अपने में शामिल। राक्षस बने भोकाल और चुड़ैल बनी तुरीन ने विकासनगर पर मचा दी तबाही। तब उन पर से तन्त्रा का जादू तोडा घायल शूतान ने। परन्तु विकासनगर के राजा विकास मोहन ने शैतान के रूप में भोकाल और तुरीन को तबाही मचाने के जुर्म में दे दिया मृत्युदंड और विकासनगर की पूरी प्रजा ने भोकाल और तुरीन का पत्थर मार-मार कर कर दिया अंत। और फिर..............?

Saturday, April 23, 2011

अधड़ा

मशहूर वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर घोष जिसने एक प्रयोग के तहत अपनी मृत्यु के बाद खुद को कर लिया पुनः जीवित परन्तु पुनः जीवित होने के बाद वो रह गया हैरान जब उसने देखा की उसका है सिर्फ आधा ही शरीर क्योंकि उसके आधे शरीर को किसी ने रहस्यमय ढंग से कर लिए था कब्र में से गायब। इधर प्रोफ़ेसर घोष का दूसरा आधा शरीर जिसको तांत्रिक मलूक ले गया था उसने उस आधे शरीर को बना दिया अधड़ा जो एक-एक कर मारने लगा प्रोफ़ेसर घोष के साथियों को। और फिर.........?

Friday, April 22, 2011

सैंडमैन

महानगर का राजा जालिमसिंह जिसके ज़ुल्मों से महानगर को निजात दिलाया एक उल्कापिंड ने। इसी ख़ुशी में नगरवासियों ने उस उल्कापिंड से इस दिन की याद में बनवाया अपनी स्वाधीनता का प्रतीक 'स्टेच्यु ऑफ़ लिबर्टी' जिसके हाथ में थमी थी हीरे जड़ी बेशकीमती मशाल। महानगर के स्वाधीनता दिवस पर मशाल से टकराया एक प्रकाश पुंज और वो मशाल बन गया सोने का। इस घटना से सभी रह गए हैरान। मशाल की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी जांबाज़ कैप्टन अंकार को। इधर मशाल को चुराने के फ़िराक में था कुख्यात सरगना कंगोरा। इधर वो प्रकाश पुंज जिससे टकराकर मशाल सोने का बना था उसने धारण किया रेत की इंसान का रूप और बन गया सैंडमैन। उसको भी चाहिए था वही सोने की मशाल। और फिर..........? 

Thursday, April 21, 2011

रोड रोलर

एक रहस्यमय विमान ने दिल्ली के के छोटे से इलाके में छिडकाव किया अजीब सी धूल का जिसके फलस्वरूप वो पूरा इलाका हो गया बंजर। इस आश्चर्यजनक घटना से सकते में आ गया पूरा प्रशासन। इधर दिल्ली में सुपर मानव गगन, वज्र ग्रह के अंतिम प्राणी विनाशदूत, परमाणु की साथिन प्रलयंका और खुद परमाणु पर हमला किया उन्हीं के डुप्लीकेट ने। परमाणु ने तो अपने डुप्लीकेट रोबोट को मात दे दी परन्तु गगन, विनाशदूत और प्रलयंका को उनके डुप्लिकेट कैद कर ले गए। उसके बाद फिर दिल्ली पर हमला किया सुपर शक्तियों के मालिक रोड रोलर ने जिसको रोकने के लिए परमाणु के भी छूट गए पसीने। और फिर...........?

Wednesday, April 20, 2011

तोताराम और डाकू मुच्छड़ सिंह

सूरजपुर में मचा रखा था आतंक डाकू मुच्छड़ सिंह ने जिसको पकड़ना चाहता था सूरजपुर का दरोगा हनुमान सिंह जो था अव्वल दर्जे का डरपोक। मुच्छड़ सिंह के अलावा हनुमान सिंह था परेशान अपने नटखट और चालाक बेटे तोताराम से जो हमेशा उसकी नाक में करता रहता था दम। एक मुठभेड़ में हनुमान सिंह के हाथ लग गयी डाकू मुच्छड़ सिंह की आधी मूंछ और वो लगा शेखी बघारने। डाकू मुच्छड़ सिंह को लेना था हनुमान सिंह से बदला इसलिए उसने हनुमान सिंह के बेटे तोताराम का कर लिया अपहरण। पर तोताराम भी था चालाक मुच्छड़ सिंह को उल्लू बनाकर वो भी निकल भागा। अब डाकू मुच्छड़ सिंह ने बनायी योजना हनुमान सिंह और तोता राम से बदला लेने की। और फिर...........?

Tuesday, April 19, 2011

भयानक कुत्ते

भयंकर सर्द रात में कुत्ते के सिर वाले एक रहस्यमय शख्स ने दिनाजपुर कस्बे के सभी आवारा कुत्तों पर जादू कर बना दिया उनको शैतान। और करने लगा उन शैतान कुत्ता प्राणियों के ज़रिये कस्बे की लड़कियों का अपहरण। अपहरण के अगले दिन मिलती एक कुत्ते की लाश जिसके सिर की जगह होता था उसी अपहृत लड़की का सिर। इस हादसे से आ गया पूरा क़स्बा सकते में और अपराधी को पकड़ने के लिए वो करने लगे जतन परन्तु सब बेकार। पुलिस की भी सभी कोशिशें रह गयी धरी की धरी। इस अनोखे हत्याकांड में नाम आया फादर डिसूज़ा का परन्तु फादर डिसूज़ा थे लापता क्योंकि उनके शरीर पर कब्ज़ा किये हुए था शैतान जंगोला जो करवा रहा था ये सब शैतानी काम और अब उसने फैसला किया कस्बे के सभी लोगों पर हमला कर उनको कुत्ता बनाने का। और फिर.............?

Monday, April 18, 2011

ब्लैक कैट

राजनगर की एक सुबह एक रहस्यमय शख्स ने कुछ लोगों को गोलियों से भून दिया और पुलिस को दी सूचना की इस आतंकवादी घटना में हाथ है कुख्यात आतंकवादी ग्रैंड मास्टर रोबो की बेटी नताशा का। पुलिस जब नताशा को पकड़ने पहुंची तो वो भाग निकली। जब ये खबर पहुंची नताशा के दोस्त सुपर कमांडो ध्रुव तक तो वो निकल पड़ा नताशा की तलाश में। इधर एक रहस्यमय लड़की ब्लैक कैट को भी थी तलाश नताशा की ताकि उसके ज़रिये पहुँच सके ग्रैंड मास्टर रोबो तक। ध्रुव और चंडिका भी रहे ब्लैक कैट को रोकने में नाकाम। इधर उसी रहस्यमय आतंकवादी ध्रुव के ज़रिये पता लगवाया नताशा को और उसको पकड़वा दिया पुलिस की गिरफ्त में। और अब वही शख्स बना रहा था योजना नताशा को पुलिस कस्टडी से फरार करवाने का। और फिर...............?

Sunday, April 17, 2011

चमत्कारी वृक्ष

विशालगढ़ की खोज में कई मुसीबतों का सामना करते हुए बढे चले जा रहे थे बांकेलाल और विक्रम सिंह। विक्रम सिंह भी था परेशान अपने शरीर में असमय होने वाले विकारों से। ऐसे में एक वन में उन्हें दिखाई दिया एक विचित्र वृक्ष जिसपर उगे हुए थे दस्ताने। बांकेलाल ने एक जोड़ी दस्ताने तोड़ पहन लिए अपने हाथों में फलस्वरूप उसके हाथ हो गए गायब। कुछ दूर चलने पर उन्हें दिखाई दिया एक और वैसा ही विचित्र वृक्ष जिसपर उगे थे जूते जिसे तोड़ रहा था एक आदमी। उस आदमी को मुसीबत से बचाने के लिए वो चल पड़े उसके पीछे परन्तु खुद फंस गए मुसीबत में। इधर चमत्कारी वृक्ष से जूती तोड़ने वाले आदमी को प्राप्त हुआ खज़ाना। तब इन चमत्कारी वृक्षों का रहस्य जानने के लिए बांकेलाल और विक्रमसिंह दोबारा चल पड़े उसी वन में। और फिर.............?

Saturday, April 16, 2011

बाज

अपराधियों के लिए खतरा बन चुके इंस्पेक्टर विनय को ख़त्म करने के लिए सभी अपराधियों ने दी इंटरनेश्नल किलर बाज़ को उसके मौत की सुपारी। इंस्पेक्टर विनय को ख़त्म करने गए बाज़ पर खुल गया इंस्पेक्टर विनय का रहस्य की वो ही है वंडरमैन परमाणु। यह जान उसने सुपारी की रकम बढ़ा दी जिसे देने लिए तैयार हुआ परमाणु का पुराना दुश्मन केकड़ा। फिर केकड़ा और बाज़ मिलकर बनाने लगे इंस्पेक्टर विनय उर्फ़ परमाणु को ख़त्म करने की योजना। इधर इंस्पेक्टर विनय ने भी खायी कसम की वो बाज़ को परमाणु के रूप में नहीं इंस्पेक्टर विनय के रूप में ही ख़त्म करेगा। और फिर..............?

Friday, April 15, 2011

अश्वराज और खलबेन

महाअश्व घोड़बच क्रूर और ज़ालिम जिसकी खूंखार सेना कर देती अश्वलोक के किसी भी नगर पर हमला और बना लेती कैदी पूरे नगर को। कैदी नवयुवकों को घोड़बच जबरदस्ती शामिल कर लेता अपनी सेना में, अधेड़ अश्वों को बेच देता मंडी में, स्त्रियों को बना लेता अपनी दासियाँ और बूढों को भेज देता रहस्यमय खलबेन घाटी, और जो कोई उसकी बात नहीं मानता क्रूरता पूर्वक उन्हें मरवा देता। घोड़बच की ये क्रूरता देखी जब अश्वराज ने तो वो चल पड़ा घोड़बच और उसकी सेना को चुनौती देने। घोड़बच जब जीत न सका अश्वराज की शक्ति से तो तो निकल भागा मदद लेने खलबेन घाटी। अश्वराज भी चल पड़ा उसके पीछे खलबेन से टकराने। और फिर...........?

Thursday, April 14, 2011

गैंडा

मुंबई में आतंक का पर्याय बन गए चार सड़क छाप बदमाश ठुमरी, बॉबी, हड्डल और काकू। चारों ने मिलकर ऐसा आतंक मचाया सूरज और इंस्पेक्टर चीता के भी नाक में कर दिया दम जिसमे से एक हड्डल को मार गिराया चीता ने। चारों बदमाशों के रहस्यमय बॉस गैंडा ने सौंपा उन्हें एक काम मुंबई की झुग्गी बस्ती में आग लगाने का। ये काम अंजाम दे बाकि तीनों बदमाशों ने मुंबई पर ढा दिया कहर। पुलिस इंस्पेक्टर चीता लग गया बाकियों की तलाश में और इनकी ही तलाश में निकला हुआ था रात का रक्षक डोगा। और फिर..........?

Wednesday, April 13, 2011

हिंसा की जड़

शहर के युवाओं में फ़ैल रही थी एक रहस्यमय बीमारी जिसकी वजह से वह हो जाता था अचानक हिंसात्मक और कर देता था किसी पर भी हमला। इस रहस्य को नहीं सुलझा पाई पुलिस तो उन्होंने मदद ली जासूस टोपीचंद की। जासूस टोपीचंद लग गया युवाओं में फ़ैल रही हिंसा की जड़ तक पहुँचने में परन्तु तभी हो गया टोपीचंद के साथी काबुलीवाला का सामना एक और हिंसात्मक लड़के से जिसे पकड़ कर काबुलीवाला ले आया अपने घर। उसके बाद अचानक काबुलीवाला ही हो गया हिंसात्मक प्रवति का शिकार और उसने कर दिया टोपीचंद पर ही हमला। और फिर.........?

Tuesday, April 12, 2011

थोडांगा की मौत

अफ्रीका के जंगलों का बेताज बादशाह थोडांगा को हो गयी कोढ़ की बीमारी जिसका इलाज था केवल तीक्ष्ण ज़हर इसलिए थोडांगा का इलाज कर रहे डॉक्टर विषाणु को तलाश थी एक पोटेशियम सायनाइड से भी तेज़ जहर की। इधर भारत के मुंबई शहर में फैली थी एक रहस्यमय बीमारी इलू-इलू जो फ़ैल रही थी इलू मच्छरों के काटने से। इस बीमारी का इलाज ढूंढा डॉक्टर विषाणु ने परन्तु ये सब थी एक चाल क्योंकि डॉक्टर विषाणु ही फैला रहा था इलू-इलू रोग और वही इसका इलाज कर कमा रहा था पैसे। विषाणु की इस चाल को तोड़ने उस तक आ पहुंचा विश्व आतंकवाद का दुश्मन नागराज। परन्तु जब डॉक्टर विषाणु को पता चला नागराज के जिस्म में फैले खतरनाक ज़हर का तो वो नागराज को कैद कर चल पड़ा थोडांगा के पास ताकि नागराज को दे सके मौत। और फिर...........?

Monday, April 11, 2011

शुक्राल और काला शासन

शुक्राल जो डूंगरा के जंगलों से कालूंगा का आतंक समाप्त करने के बाद वापस जा रहा था अपने राज्य, उसके साथ थी उसकी हमसफ़र मांडवी। शुक्राल ने मांडवी को बताया की कैसे राजा चंद्रवदन ने भगवान शिव को प्रसन्न कर प्राप्त किया एक दिव्य आग्नेयास्त्र और उसके बल पर निकल पड़ा विश्व विजय पर। उसकी मुलाकात हुयी किंकापुर की राजकुमारी कंकाली से जिसपर मोहित हो चंद्रवदन ने कर लिया उससे विवाह। परन्तु विवाह के 10 वर्ष पश्चात् भी उनका नहीं हुआ कोई भी पुत्र इसलिए राजा चंद्रवदन ने निर्णय किया मंत्री शांडिल्य के वीर पुत्र शुक्राल को गोद लेने का। इससे क्रोधित हो उठी कंकाली क्योंकि वो चाहती थी की उसका नाजायज़ पुत्र राक्षस छिद्रा बने राज्य का वारिस इसलिए कंकाली ने अपने भाई कालमही के साथ मिल कर दिया विद्रोह राजा चंद्रवदन को कर दिया ख़त्म और शुक्राल घायल हो बह गया नदी में। वाही शुक्राल अब जा रहा था वापस अपने पर हुए ज़ुल्मों का हिसाब लेने। और फिर............?

Sunday, April 10, 2011

बांकेलाल और चोर खोपड़ी

विशालगढ़ की तलाश में दर दर भटक रहे और विक्रमसिंह को मिले अंग भंग होने के शाप को झेल रहे बांकेलाल और विक्रमसिंह आ पहुंचे चड्डीपुर जहाँ मचा हुआ था आतंक खोपड़ी चोर का जो वहां के निवासियों की खोपड़ी चुरा ले जाता। चड्डीपुर के राजा बनियान ने बांकेलाल और विक्रमसिंह को ही समझ लिया खोपड़ी चोर और डाल दिया कैद खाने में। इधर खोपड़ी चोर अंगोछा सम्राट कच्छाराज जो खोपड़ी की चोरी करवा रहा था ताकि उसकी मदद से अपने भाई को खोपड़ी दिला सके। उसने खोपड़ी चोर बेधड की मदद से चुरा ली राजा बनियान की ही खोपड़ी। इधर बांकेलाल निकल भागा कैदखाने से और जा पहुंचा खोपड़ी चोरों के ठिकाने। और बांकेलाल की शैतानी खोपड़ी में कुलबुलाने लगी एक शैतानी योजना। और फिर..............?

Saturday, April 9, 2011

अश्वराज और तूताबूता

अश्वलोक में जैसी दुश्मनी थी सूर्यवंशी राजा तारपीडो और चंद्रवंशी सम्राट अश्वातंक में वैसी थी दुश्मनी थी अश्वलोक की काली जाति कलूटा के शासक कालिख और सफ़ेद जाति सफेदा के सम्राट सफादो में। इनकी दुश्मनी का फायदा उठा अपनी चाल चली अश्वतांत्रिक जादूगर हदोरा ने और अश्वातंक, कलूटा और सफादो को बताया अश्वघाटी में रखी इच्छाधारी अश्वशक्ति के बारे में। इधर तारपीडो और अश्वराज को भी झांसे में लिया दुष्ट तूताबूता ने और उनको भी उस शक्ति के विषय में बताकर रवाना कर दिया अश्वघाटी। अश्वघाटी में शुरु हो गया इच्छाधारी अश्वशक्ति को पाने के लिए चारों सेनाओं का महासंग्राम। और फिर.............?

Friday, April 8, 2011

तीन चुडैलें

विकासनगर, जहाँ की धरती फाड़ कर जगह-जगह निकल आई आग की लपटें। इन आग की लपटों में झुलस गए शूतान और राजा विकास मोहन। इधर एक रहस्यमयी चुड़ैल तन्त्रा ने बनायीं तीन चुडैलें बाजला, उलूक और चमजोई जिन्होंने विकासनगर में मचा दिया आतंक और निवासियों को झोंकने लगी धरती से निकली आग में। इन तीन चुडैलों को रोकने निकले महाबली भोकाल और तुरीन जिनसे बचकर भागी तीनों चुडैलें जा पहुंची महाचुडैल तन्त्रा के पास। तन्त्रा ने उन्हें दिया एक जादुई आईना जिससे बल पर वे बना सकती थी भोकाल और तुरीन को अपना गुलाम। और चल पड़ी तीनो वापिस विकासनगर तबाही मचाने। और फिर...........?

Thursday, April 7, 2011

भन्जा

राजा प्रतापराज भन्जा जिसने अपना राजपाट समाप्त होने के बाद फिर से वही रुतबा प्राप्त करने के लिए शुरू की तांत्रिक प्रक्रिया और ले ली अपनी और अपने सभी नौकरों की जान। उसकी लाल हवेली को घोषित कर दिया गया भूतिया और हो गयी वो लाल हवेली वीरान। बरसों बाद चार बदमाश बन्ने, चाक़ू, बाला और सोनी जिनके बुल्टी दादा से उधार लिए पैसे डूब गए। वो बुल्टी दादा से बचने के लिए जा छिपे उसी भन्जा की लाल हवेली में जहाँ उनका सामना हुआ बरसों से तपस्या करता हुआ भन्जा। भन्जा के पास थी सोना बनाने की एक वीभत्स विधि जिसे भन्जा को घायल कर चुरा लिया उन चारों ने। इधर शहर में फैला कपालफोड़ों का आतंक जो आते और एक इंसान को उठा ले जाते। और अगले दिन मिलती उसकी लाश। कपालफोड़ों का आतंक समाप्त करने आ पहुंचे सुपर मानव गगन और विनाशदूत परन्तु तभी प्रकट हुआ भन्जा और ढा दिया सभी कपालफोड़ों पर कहर। भन्जा को थी तलाश अपने सोना बनाने वाली विधि के फ्रेम की। तब गगन और विनाशदूत जुट गए भन्जा और उसके रहस्य को जानने के लिए। और फिर............?

Wednesday, April 6, 2011

शुक्राल और कालूंगा

जेल से भागा हुआ खूनी अपराधी शुक्राल सुन रहा था प्रोफ़ेसर राणा से अपने पिछले जन्मों की दास्तान जब वो था ताकत का देवता। डूंगरा का जंगल जहाँ के कबीले के आदिवासियों पर मचा था आतंक कालूंगा नाम के शैतान का। कालूंगा के अत्याचारों से मुक्ति के लिए कबीले वासियों को था अपने देवता शुक्राल का इंतज़ार। उनका वो इंतज़ार ख़त्म हुआ जब नदी में बहते हुए शुक्राल आ पहुंचा वहां तक। उस युवक को नहीं था अपने बारे में कुछ भी याद कि कौन है वो और कहाँ से आ रहा है बहता हुआ। परन्तु कबीले वासियों से कालूंगा के अत्याचार के बारे में सुन कर लिया उसने निश्चय कालूंगा का अंत करने का। और फिर.............?

Tuesday, April 5, 2011

खुर्रा

रेसकोर्स में होने वाली घुड़दौड़ में घोड़े खुर्रा और उसके जॉकी जॉनी का ही चलता था सिक्का क्योंकि हर रेस जीतता था सिर्फ खुर्रा। खुर्रा की इस प्रसिद्धि से जलते थे बाकि के घोड़े दौड़ाने वाले जॉकी इसलिए एंथोनी, मर्गूब, रसिया, दिलावर और बोनी नाम के पांच जॉकी ने ठानी खुर्रा को रास्ते से हटाने की और कर दिया खुर्रा और जॉनी का क़त्ल। परन्तु उसके बाद उनके साथ साथ पूरी साईसों की बस्ती पर छाने लगा खुर्रा और जॉनी की आत्माओं का कहर। इन आत्माओं से बचने का था एक उपाय 'इरी' इसलिए एंथोनी, बोनी और मर्गूब चल पड़े इरी के पास मदद लेने और उनके पीछे-पीछे ही चल पड़ी खुर्रा की आत्मा उन्हें मौत देने। और फिर............?

Monday, April 4, 2011

तिलिस्मदेव और तिलिस्मदेव

उल्लासनगर का चोर चरणदत्त जो पकड़ा गया चोरी करते हुए और राजा विचित्रसेन ने दी उसके हाथ काट लिए जाने की सजा। सजा से  बचने के लिए भागा चरणदत्त तो उसको दिखाई दिया एक रहस्यमय किला। किले की रहस्यों की रानी शीबा ने बचायी चरणदत्त की जान और चरणदत्त के कहने पर दे दिया उसको तिलिस्मदेव का रूप। अब तिलिस्मदेव का रूप धरे चोर चरणदत्त ने उल्लासनगर में मचा दिया आतंक। सब उसे तिलिस्मदेव समझ करने लगी तिलिस्मदेव की बुराई। तिलिस्मदेव के बुराई का प्रतीक बन जाने की खबर जब पहुंची नागलोक तो तिलिस्मदेव उर्फ़ नागदेव की सातों पत्नियाँ हो गयी विचलित। और अपने पति की सच्चाई जानने पहुँच गयी पृथ्वी पर। और फिर..........?

Sunday, April 3, 2011

बांकेलाल और खुजालराज

विशालगढ़ की तलाश में भटक रहे बांकेलाल और विक्रमसिंह जा टकराए भंगोड़ी ऋषि से जिसने दिया विक्रमसिंह को शाप उसके शरीर का कोई भी अंग भंग हो जाने का। अभी वे इस मुसीबत से निकले भी नहीं थी की उन पर आ पड़ी मुसीबत कोढ़पति के रूप में बांकेलाल, विक्रमसिंह को कोढ़पति के पास छोड़ हो लिया दुडकी। बांकेलाल को रास्ते में मिला एक रथ जिसको हथिया उसने परन्तु वो रथ था स्वर्ण पुतलों के तस्करों का इसलिए सुलझन नगर के सैनिकों ने बांकेलाल को तस्कर समझ बना लिया बंदी। इधर तस्करों के मुखिया खुजालराज बना रहा था योजना बांकेलाल रुपी अपने साथी को छुड़ाने की, राजा उलझन सिंह बना रहे थे योजना बांकेलाल का पीछा कर खुजालराज को पकड़ने की। और बांकेलाल बना रहा था योजना फरार होकर राजा उलझन सिंह से बदला लेने की। और फिर...........?

Saturday, April 2, 2011

पिद्दी पहलवान और आगरे की सैर

पिद्दी पहलवान अपने दो चेलों लटकन और फुदकन के साथ निकले थे देश भ्रमण को और मन बनाया ताजमहल देखने का। इसलिए वो चल पड़े आगरे की सैर पर। आगरे में कदम पड़ते ही टूटी मुसीबत उनकी खटारा कार का हो गया एक्सीडेंट और सिपाही जी ने जब्त कर ली उनकी कार। कार को वापिस हासिल करने के लिए पिद्दी पहलवान और उसके चेले चोरी छुपे जा घुसे सिपाही के घर परन्तु सब उनके पीछे पड़ गए चोर-चोर चिल्लाते हुए। और फिर..........?

Friday, April 1, 2011

गोजिला का महासंग्राम

ज्वोला, एक ऐसी महाशक्ति जो दो सौ सालों में एक बार ही प्रकट होती थी और इसका धारक तीनों लोकों के सभी दिव्यास्त्र कर सकता था गायब। यह ज्वोला शक्ति प्राप्त कर ली राक्षस गोजिला ने और प्राप्त कर लिए सभी दिव्यास्त्र भोकाल और अश्वराज की तलवार से लेकर अतिक्रूर का दंताक और तिलिस्मदेव तक के दिव्यास्त्र परन्तु वो हो गया हैरान जब उस तक नहीं पहुंची अग्निलोक की शक्तियां क्योंकि वो शक्तियां कर रही थी वास गोजो के शरीर पर। तब अपने सभी दिव्यास्त्र ले गोजिला चल पड़ा पृथ्वी पर और शुरू कर दिया महासंग्राम ताकि पा सके अग्निलोक की शक्तियां। और फिर..............?