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Tuesday, May 31, 2011

गोजो और मंकोट

मकोड़ा राज्य जहाँ के राजा मंकोट को पराजित कर गोजो ने बना लिया था उसे अपना वाहन। उस मंकोट की पुत्री राजकुमारी मंकरा तक जब पहुंची मंकोट के पराजित होने की बात तो वो क्रोध में चल पड़ी पृथ्वी पर गोजो से बदला लेने। इधर पृथ्वी पर पिंजोरा राज्य पर आया हुआ था संकट पूरा राज्य धस रहा था ज़मीन के अन्दर और इस संकट से पिंजोरा को उबारने में तत्पर था सप्तशक्ति धारक गोजो। और फिर...........?

Monday, May 30, 2011

कुत्ता फ़ौज

मुंबई में अंडरवर्ल्ड गैंग और सड़क छाप गैंग के बीच छिड़ी हुयी थी जंग जिसमे सड़क छाप गैंग के गुंडों ने अंडरवर्ल्ड की नाक में कर रखा था दम। इधर इन दोनों गैंगों को रोकने के लिए लगे हुए थे दो जांबाज़ एक मुंबई पुलिस का इंस्पेक्टर चीता तो दूसरी तरफ रात का रक्षक डोगा। इंस्पेक्टर चीता को भी होने लगा था डोगा और सूरज के एक होने का शक इस शक को यकीन में बदलने के लिए उसने जॉइन कर ली अदरक चाचा की लायन जिम। इधर अंडरवर्ल्ड लीडर डैंग, सड़क छाप गैंग से परेशान होकर बना रहा था उनके खिलाफ योजना। और फिर............?

Sunday, May 29, 2011

ब्लैक बेल्ट

दिल्ली में आतंक मचाने वाले आतंकवादियों ने कुतुबमीनार पर लगाया एक खतरनाक नर्व बम। नर्व बम से दिल्ली को बचाने के लिए परमाणु छोड़ आया उस नर्व बम को अन्तरिक्ष की गहराइयों में। उसके बाद दिल्ली में मचने लगी तबाही जिसे मचा रहा था ब्लैक बेल्ट। परमाणु ने उसे रोका तो उसने बताया की उसके ग्रह साइक्लोन में पृथ्वी से फेंके गए नर्व बम द्वारा तबाही मच गयी उसी का बदला लेने के लिए वो आया है पृथ्वी पर और जब ब्लैक बेल्ट को पता चला की उसके ग्रह पर तबाही मची परमाणु के कारण तो वो बन गया परमाणु की जान का दुश्मन और उसने परमाणु को साइक्लोन ग्रह के बर्फ के नीचे कर दिया दफ़न। तब परमाणु की जान बचायी उसकी दोस्त प्रलयंका ने और प्रोफ़ेसर की मदद से परमाणु ने कर लिया ब्लैक बेल्ट को कैद। परन्तु ब्लैक बेल्ट के निर्माताओं ने उसे फिर से  कर दिया आज़ाद और एक बार फिर उठ खड़ा हुआ ब्लैक बेल्ट तबाही मचाने के लिए। और फिर...........?

Saturday, May 28, 2011

बलवा

राजनगर में आगमन हो चुका था प्राचीन काल के महारथियों का जहाँ योद्धा और शांबरी वापस अपने काल में जाने के लिए भभूत देव के पास पहुँच चुके थे वहीं इन दोनों की दुश्मन लोहांगी ढूंढ़ रही थी योद्धा को। इधर राजनगर में अपराधों का शहंशाह बलवा ढा रहा था कहर जिसको रोकने में लगा हुआ था योद्धा। बलवा को भी मिल गयी थी लोहांगी के रूप में एक खतरनाक साथिन। वहीं एक और अपराधी डायमंड किलर बनाना चाहता था योद्धा को अपना साथी ताकि वो राजनगर से पत्ता साफ़ कर सके बलवा का इसलिए उसने अपहरण कर लिया योद्धा की साथिन शांबरी का और योद्धा से किया बलवा की जान का सौदा। और फिर...........?

Friday, May 27, 2011

खूनी ब्रिगेड

पूरे देश में जंग बहादुर सिंह नाम का आतंकवादी करवा रहा था जगह-जगह बम विस्फोट। जंग बहादुर के साथ थे उसके चार साथी मैक, जोहान, जिंगारो और रेडी। ऐसे में शहर में आगमन हुआ जादूगर और उसके साथी तूफ़ान का जिन्होंने इन आतंकवादियों पर बोल दिया धावा और मैक को करवा दिया सलाखों के पीछे। अब उसका निशाने पर था बाकि के आतंकवादी। इधर जोहान और जिंगारो के खूनी ब्रिगेड को भी थी तलाश जादूगर की ताकि उसको हटा सके अपने रास्ते से। और फिर..........?

Thursday, May 26, 2011

जलजला

महानगर की स्टेच्यु ऑफ़ लिबर्टी की सोने की मशाल जिसको ले उड़ा था कुख्यात स्मगलर कंगोरा और जिसके पीछे पड़ा था विचित्र सैंडमैन उनको अपनी बहादुरी से रोका मशाल की सुरक्षा में लगे कैप्टेन अंकार ने और मशाल को एक बार फिर वापिस हासिल किया। इधर सैंडमैन का रूप त्याग कर गोल्ड हार्ट ने विचित्र गेंद का रूप और वो फिर निकल पड़ा मशाल को हथियाने। परन्तु वो गोल्ड हार्ट जिस भी धातु से टकराता उसे बदल देता सोने में इसलिए सभी लोग पीछे पड़ गए उसके। इधर कंगोरा भी निकल पड़ा था फिर से मशाल को हथियाने। और गोल्ड हार्ट ने भी अख्तियार कर लिया एक नया रूप। और फिर..........?

Wednesday, May 25, 2011

अश्वराज और मैं

अश्वराज ने अश्वलोक में आयोजित किया अश्वमेध यज्ञ परन्तु अश्वराज के ताऊश्री अश्व्खब्ती ने अश्वमेध के घोड़े कल्पतरु का कर लिया अपहरण। अश्वराज निकला कल्पतरु को वापस लाने और टकरा गया अश्व्खब्ती के पुत्र अखोर से जिसमे एक रहस्यमय शक्ति अश्वमेध ने अश्वराज की मदद की और अखोर का खात्मा कर दिया। अखोर की मृत्यु की खबर सुन अश्व्खब्ती ने कर दिया अश्वराज पर आक्रमण और अश्वराज को मरणासन्न छोड़ कल्पतरु की बलि देकर अखोर को पुनः जीवित करने के लिए कल्पतरु को भेज दिया शैतान अश्वनाद के पास और अपने 49 पुत्रों सहित अश्वलोक पर कर दिया आक्रमण। और फिर............?

Tuesday, May 24, 2011

महागुरु भोकाल

परीलोक पर कब्ज़ा किये हुए थे तीन शैतान कचरा, मैला और चोरबालू। इन खतरों को समाप्त कर फिर से परीलोक को बसाने के लिए पृथ्वी से भोकाल और तुरीन को ले आये महागुरु भोकाल। भोकाल निकल पड़ा परीलोक की सफाई पर परन्तु उसका रास्ता रोकने आये तीनों शैतानों के सेवक। भोकाल के आ जाने से उन तीन शैतानों के अलावा भी कुछ और शक्तियां उठ खड़ी हुयी और उनमे से एक ध्रूमकाल ने छीन ली भोकाल से उसकी ढाल। इधर महागुरु भोकाल ने भोकाल को दिए शक्ति पर जिसके पीछे पड़ी थी वज्रकली और उसने भेज शक्ति पर लेन  क्रूराकृति को। इधर भोकाल को सुनाई दी एक रहस्यमय परी फिज़ा की चीख जिसका पीछा करते हुए भोकाल जा पहुंचा महागुरु भोकाल के एक हमशकल अचम्भा के महल में और छुड़ा लाया फिजा को। और फिर........?

Monday, May 23, 2011

नागराज और मिस किलर

विषविज्ञान के छात्रों का एक दल घने जंगलों में कर रहे थे विचित्र सापों की खोज किन्तु एक विचित्र सांप के हमले में सभी मारे गए बच गयी सिर्फ एक लड़की जीनी जिसको बचाया नाग सम्राट नागराज ने। इधर नागराज की पुरानी दुश्मन मिस किलर बना रही थे एक शैतानी योजना। उधर जीनी जब पहुंची अपने पिता प्रोफ़ेसर दिवाकर के पास तो उस विचित्र सांप की फुंफकार जो जीनी के पैरों पर लगी थी उससे उन्होंने बनाया सुपर गोंद चेपिकोल जिसने पूरी दुनिया में धूम मचा दी। चेपिकोल की प्रसिद्धि के कारण हुआ प्रोफ़ेसर दिवाकर की कंपनी पर हमला। जिसके सदमे से पागल हो गए प्रोफ़ेसर दिवाकर। उसके बाद दुनिया पर मंडराने लगा ऐसे अपराधियों का खतरा जो अपराध करने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे इसी सुपर गोंद का।  इन खतरों से निबटने के लिए निकला नागराज। और फिर.........?

Sunday, May 22, 2011

इंसाफ का खुदा

शहर में हो रही थी आतंकवादी घटनाएँ जिसे अंजाम दे रहा था माफिया डॉन जंग बहादुर अपने चार साथियों मैक, जोहान, जिंगारो और रेडी के साथ। जिनके खिलाफ जंग बहादुर की पत्नी सुमित्रा ने आवाज़ उठाई तो उन्होंने कर दिया उसका मुंह बंद। परन्तु सुमित्रा ने बुलवा लिया था लंदन में पढने गए अपने बेटे को। इधर शहर में दाखिल हुआ एक रहस्यमय शख्स और टूट पड़ा इन आतंकवादियों पर अपनी सम्मोहन विद्या की जादूगरी के साथ। जब इस जादूगर की खबर लगी मैक को तो लग गया जादूगर की तलाश में परन्तु जादूगर और उसका साथी तूफ़ान एक-एक कर मैक के खूनी ब्रिगेडों का करने लगे सफाया। और फिर...........?

Saturday, May 21, 2011

तिलिस्मदेव और जहरबुझा

विजय नगर जहाँ मचा हुआ था हाहाकार जिसका कारण था विजय नगर की गर्भवती महिलाओं के कोख से नवजात बच्चों का गायब हो जाना। उन बच्चों को कोख से गायब करने वाली शक्ति उनके ज़रिये कर रही थी जीवित कब्रों में दफ़न मुर्दों को और इस भयानक कार्य को कर रहा था शैतान ज़हरबुझा। उन जीवित किये मुर्दों से जहरबुझा ने विजय नगर में मचा दिया कोहराम। तब उन मुर्दों से टक्कर लेने आया विजय नगर के सैनिकों को प्रशिक्षण देने वाला वीर दर्भाकुश परन्तु दर्भाकुश भी न बिगाड़ पाया उन मुर्दों का तब उसने मदद के लिए पुकारा तिलिस्मदेव को। और फिर...........?

Friday, May 20, 2011

बांकेलाल और चींटाघाटी

मनहूस नगर का राजा ठेंगा सिंह जिसका जंगल में सामना हो गया राक्षस चामुण्डा से। राक्षस से अपनी जान बचाने के लिए ठेंगा सिंह ने किया उससे हर रोज़ एक आदमी भेजने का सौदा। इधर बांकेलाल और विक्रमसिंह विशालगढ़ की खोज करते हुए जा पहुंचे एक विचित्र चींटाघाटी जहाँ थे चींटों के बड़े-बड़े अंडे उन अंडो में से निकला एक विशाल चींटा लग गया बांकेलाल और विक्रमसिंह के पीछे। चींटे से अपनी जान बचाते हुए दोनों ने शरण ली मनहूस नगर के एक नागरिक के घर में। अगले दिन उस घर से बांकेलाल को ही बना कर भेज दिया गया राक्षस चामुण्डा का भोजन बनने। और फिर.............?

Thursday, May 19, 2011

आक्रमण

प्राचीन काल से इस कलयुग के राजनगर शहर में योद्धा के बाद अब आगमन हुआ गुलामों की मल्लिका और योद्धा की दुश्मन लोहांगी का और वो निकल पड़ी योद्धा की तलाश में। इधर योद्धा की टक्कर हुयी राजनगर में आतंक का पर्याय बन चुके बलवा के गुंडों से जहाँ योद्धा की मदद को पहुंची प्राचीन काल की एक और हस्ती शांबरी जिसने योद्धा को बताया की कैसे उसकी मदद की हिमालय में रहने वाले महर्षि भभूतदेव ने। इधर बलवा और योद्धा के हाथों पहले से पिट चुके गुडों के सरदार डायमंड बन चुके थे योद्धा के दुश्मन। और भभूतदेव ने इन प्राचीन काल के लोगों का यहाँ आगमन का रहस्य जानने के लिए अपने पुत्र तपराज को भेज दिया प्राचीन काल में। और फिर.........?

Wednesday, May 18, 2011

इंस्पेक्टर चीता

मुंबई शहर में आतंक मचाने वाले अंडरवर्ल्ड की नाक में दम करने आ गया एक सड़क छाप गैंग जो अंडरवर्ल्ड के काम में दखल देता और उनका माल लूट ले जाता। इन दो गैंगों को रोकने की ज़िम्मेदारी मिली मुंबई पुलिस के खुर्राट इंस्पेक्टर चीता को। इधर डोगा भी कूद चूका था मुंबई में छिड़ी इस गैंगवार में।  इंस्पेक्टर चीता को होने लगा था शक की लायन जिम का सूरज ही है डोगा और इस रहस्य को जानने के लिए उसने भी जॉइन कर लिया लायन जिम। और फिर...........?

Tuesday, May 17, 2011

आत्मा के चोर

राजनगर के समुद्र से निकला एक रहस्यमय शख्स जिसको चाहिए थी लोगों की आत्माएं जिन्हें वो चुरा लेता अपनी विचित्र मशीन के द्वारा। इधर राजनगर में सिर उठा रहा था आतंकवादी दल 'किलर लीग' जिसको रोकने में लगा हुआ था सुपर कमांडो ध्रुव। उधर उस रहस्यमय आत्माओं के चोर की आत्मा चुराने वाली मशीन में आ गयी खराबी और वो नहीं चुरा पा रहा था आत्माएं उसको चाहिए थी मदद और उसने मदद ली किलर लीग के आतंकवादियों से जो उसके लिए करते थे हत्याएं और वो रहस्यमय चोर चुरा लेता था मरने वालों की आत्माएं। राजनगर में शुरू हो गया हत्याओं का सिलसिला और रोज़-रोज़ हो रही इन हत्याओं का पता लगाने निकला ध्रुव। और फिर.............?

Monday, May 16, 2011

चमत्कारी भोकाल

विकासनगर का रक्षक भोकाल और तुरीन, तंत्रा का अंत करने के पश्चात प्रायश्चित हेतु प्रवेश कर गए अग्नि में परन्तु उनकी जान बचाकर उनको अपने साथ परीलोक ले आये महागुरु भोकाल और सुनाया परीलोक का हाल की कैसे आलोप उर्फ़ भोकाल के पृथ्वी पर जाने के बाद परीलोक में घुस आये तीन शैतान कचरा, मैला और चोरबालू और पूरे परीलोक के वासियों को कैद कर परीलोक में फैला दी गंदगी। भोकाल और तुरीन निकल पड़े परीलोक को फिर से साफ़ करने। इधर परीलोक में भोकाल और तुरीन के दाखिल होते ही उठ खड़ी हुयीं कुछ और रहस्यमय शक्तियां। इधर तीनो शैतान कचरा, मैला और चोरबालू भी थे परेशान भोकाल के वापस आने पर इसलिए उन्होंने भोकाल और तुरीन को ख़त्म करने के लिए भेजे अपने दर्जन। और फिर...........?

Sunday, May 15, 2011

शुक्राल और खुदाबाप

जेल की कैद तोड़कर भागा एक खुनी शुक्राल, उसकी जान बचायी और शरण दी प्रोफ़ेसर राणा ने और उसे सुनाई उसके पिछले जन्म की दास्ताने। शुक्राल को उसकी वीरता का एहसास दिलाने प्रोफ़ेसर राणा ने टाइम मशीन के ज़रिये शुक्राल को पहुंचा दिया उस काल में जहाँ वो था तांत्रिक नरांतक का शिष्य जिसपर नरांतक ने अपनी तांत्रिक प्रक्रिया के ज़रिये एक दुरात्मा का प्रवेश करवाया और भेज दिया उस इंसाफ के पुजारी 'खुदाबाप' को ख़त्म करने जिसका कि खुद शुक्राल बहुत बड़ा भक्त था। दुरात्मा के प्रभाव में शुक्राल चल दिया अपने ही आदर्श खुदाबाप का अंत करने। और फिर..........?

Saturday, May 14, 2011

खून सने हाथ

समुद्र में खोज करने वाले 8 सदस्यों का एक दल निकल पड़ा समुद्री यात्रा पर परन्तु एक दुर्घटना में घायल हो गया उनका एक सदस्य क्रिस्टोफर परन्तु मुसीबत यहीं नहीं थमी उनका जहाज़ घिर गया समुद्री तूफ़ान में और तूफ़ान में फंस कर खो गए वो सभी यहाँ तक की उनका खाने-पीने का सामान भी नष्ट हो गया इस तूफ़ान में। भूख से बेहाल वो सभी पड़े थे जहाज़ में उस विशाल समुद्र के बीच। परन्तु 4-5 दिन बाद भी कोई किनारा नज़र ना आया तो भूख बर्दाश्त न कर पाने की स्तिथि में उन सबने किया एक खूनी फैसला अपने घायल साथी क्रिस्टोफर को मार कर खाने का। और भूख से बेहाल उन सभी ने क़त्ल कर दिया क्रिस्टोफर को। क़त्ल करने के बाद इससे पहले की वो उसको पाते उनको दिखाई दे गया एक शहर और उन्होंने बचा ली अपनी जान। परन्तु वे इस बात से थे बेखबर की उनके पीछे लग चुकी है मौत। और फिर...........?

Friday, May 13, 2011

योद्धा

धरती पर आया एक भूकम्प और भूकम्प से बनी दरार में से निकला एक शूरवीर 'योद्धा' और जा पहुंचा राजनगर शहर जहाँ उसके हथियार पर लगे हीरे पर नज़र पड़ी कुछ उचक्कों की और उन्होंने घेर लिया योद्धा को। हर चीज़ से अनजान योद्धा को उस स्तिथि याद आने लगा अपना अतीत जहाँ वो अकेला टक्कर ले रहा था गुलामों की मल्लिका लोहांगी की खुनी सेना से परन्तु उसको धोखे से बंदी बना लिया उस सेना के सरदार बल्लार ने और ले चला बंदी बनाकर लोहांगी के पास। परन्तु उसके जहाज़ पर हमला कर दिया एक और हमलावर जंजीबार ने। योद्धा के आक्रमण से पहले से ही कमज़ोर बल्लार नहीं टिक पाया इस हमले से तब योद्धा ने ही की मदद बल्लार की और बल्लार बन गया योद्धा का साथी। जंजीबार को हरा योद्धा और बल्लार अब चल दिए लोहांगी से विद्रोह करने इधर जंजीबार भी भाग कर पहुंचा अपनी महारानी शांबरी के पास जो थी लोहांगी की ही बहन और जिसको थी तलाश योद्धा की। और फिर...........?

Thursday, May 12, 2011

अश्वराज और अखोर

अश्वलोक में खुशहाली और सुख शांति के लिए अश्वराज ने आयोजन किया अश्वमेध यज्ञ का और अश्वलोक की परिक्रमा करने के लिए छोड़ा घोड़े कल्पतरु को। इधर अश्वलोक के वन में अश्वराज के ताऊ और तारपीडो के बड़े भाई अश्वखब्ती ने अश्व देव को प्रसन्न कर प्राप्त की शक्ति जिससे वो नाश कर सके सूर्यवंशियों का। और जब अश्वखब्ती को पता लगा अश्वराज के अश्वमेध यज्ञ करने का तो उसने पकड़ लिया कल्पतरु को। अश्वराज निकल पड़ा कल्पतरु को छुड़ाकर वापस लाने। इधर नगर पर हमला कर दिया अश्वखब्ती के पुत्र अखोर ने जिसको रोकने पहुंचा अश्वराज परन्तु अखोर ने उसे कर दिया घायल। तब अश्वराज की मदद को पहुंचा रहस्यमय अश्वमेध और उसने अखोर की कर दी हत्या जिससे बौखला गया अश्वखब्ती और उसने अश्वलोक में मच दिया कोहराम। और फिर...........?

Wednesday, May 11, 2011

गोजो और दरिन्दे

नरकलोक जहाँ के लोगों में हरदम मची रहती थी मारकाट न ही वहां था कोई कानून न ही कोई व्यवस्था, नरकलोक में शांति स्थापित करने के लिए नरकलोक के एकमात्र शांतिदूत शक्तिराज ने घोषणा की नरकलोक में राजा चुनने की और राजा बनने के लिए नरकलोक की पांच खूंखार शैतानों डिंगडांग, सोरदार कीटाणु, बक्टूरो, नरपिशाच गन्दा और कैंसोर में मच गयी मारकाट। जब इसका कोई परिणाम नहीं निकला तो शक्तिराज ने किया ऐलान की जो कोई भी लायेगा पृथ्वी से सप्तशक्ति धारक गोजो को उसी को चुना जायेगा नरकलोक का राजा। और नरकलोक के सभी दरिन्दे चल पड़े पृथ्वी गोजो को लाने।  और फिर..........?

Tuesday, May 10, 2011

हऊआ

जादू का खेल दिखाने वाली प्रेताली जिसको एक रहस्यमय शख्स कुबड़ा ने वापस जोड़ने के लिए दिया प्रोफ़ेसर तहलका का वो टूटा-फूटा रिमोट जिससे कंट्रोल होते थे शैतान। प्रेताली ने अपनी जादुई विद्या से जोड़ दिया वो विचित्र रिमोट और उस रिमोट के गुलाम सभी शैतान आपस में जुड़कर बन गए हऊआ। प्रेताली ने इस भयानक हऊआ के द्वारा मचा दिया शहर में हाहाकार तब हऊआ को रोकने आया प्रेत अंकल। और प्रेत अंकल और हऊआ के बीच शुरू हुयी एक खूंखार टक्कर। और फिर.............?

Monday, May 9, 2011

खून चोर

राजा पुर के भिखारियों पर मंडराया खतरा 'खून चोर' नाम के अपराधी का जो इन भिखारियों का अपहरण कर ले जाता और इनका सारा खून निकालकर लाश गटर में बहा देता। इधर राजा पुर के गटर में अपना निवास बना लिया था भोले-भाले फाइटर टोड्स ने उनके निवास स्थान तक बहते हुए आ पहुंची उन भिखारियों में से एक की लाश और वो बेचारे भोले-भाले फाइटर टोड्स नासमझी में लाश को मुर्दाघर पहुँचाने चल दिए और जा टकराए खून चोर से और शुरू हो गया हंगामा। और फिर ..........?

Sunday, May 8, 2011

बेम बेम बिगेलो

इटली, जहाँ पर चलता था ग्रेट जिमनास्ट बेम बेम बिगेलो का गुंडा राज। बेम बेम बिगेलो के गुंडाराज का खात्मा करने इटली पहुंचा विश्व आतंकवाद का दुश्मन नागराज। इटली में नागराज की मुलाकात हुयी पत्रकार टर्बो की बहन जेनी से जिसने नागराज को बताया बेम बेम बिगेलो और उसके एक से बढ़कर एक लड़ाकों की फौज के बारे में। और नागराज निकल पड़ा पॉवर, जुल, क्रोको, जॉनी-टॉनी और बेम बेम बिगेलो जैसे जिमनास्टों की फौज से टक्कर लेने। और फिर..........?

Saturday, May 7, 2011

नेक दिल भूत फरेब दिल इंसान

दो भाई तू चल और मैं आया जो विचित्र साईकिल रेस में चाहते थे भाग लेना। इनसे आ टकराया सर्कस मालिक ऊट-पटांग जो इनको लेना चाहता था अपनी सर्कस में दोनों इससे पीछा छुडाते कि इनको मिल गया भूतराज जो इस ऊट-पटांग द्वारा ही सताया गया था। भूतराज सिखाना चाहता था ऊट-पटांग को सबक इसके लिए उसने मांगी तू चल-मैं आया से मदद  बदले में भूतराज भी करने लगा इनकी मदद और ये दोनों भाई भूतराज के चमत्कार से जुट गए ऊट-पटांग को सबक सिखाने। और फिर.........?

Friday, May 6, 2011

बांकेलाल और अस्थियुद्ध

अस्थियुद्ध जो अपने बड़े भाई भीम युद्ध को सिंहासन से हटाकर खुद बनना चाहता था अस्थिनगर का राजा परन्तु भीम युद्ध ने उसे हराकर निकाल दिया राज्य से। तब अस्थियुद्द ने वर देवता को प्रसन्न कर प्राप्त किया कंकाल केतु जिससे वो किसी भी इंसान के कंकाल को उसके शरीर से निकाल कर अपना गुलाम बना सकता था। अस्थियुद्ध ने विशालगढ़ की तलाश कर रहे बांकेलाल और विक्रमसिंह को बनाया निशाना और उनके कंकाल को अपना गुलाम बना कर भेज दिया अस्थिनगर और कंकाल लेने। इधर बिना कंकाल के बांकेलाल और विक्रम सिंह भी पहुंचे अस्थिनगर जहाँ उन्हें अस्थियुद्द का आदमी समझ सैनिक पैड गए दोनों के पीछे। और फिर...........?

Thursday, May 5, 2011

दरिन्दा

प्रसिद्ध डॉक्टर राज, एक एक्सीडेंट के बाद जिसके आधे शरीर में जोड़े गए थे रोबोटिक्स अंग उसकी इस सफलता पर जहाँ सारी दुनिया उसकी कर रही थी वाहवाही वहीँ उससे बदला लेने के फ़िराक में था दरिन्दा इसलिए उसने बनाया डॉक्टर राज को निशाना और उसकी पत्नी लीजा का अपहरण कर डॉक्टर राज के हाथों करवाए जुर्म। उस जुर्म की सजा में इंस्पेक्टर विनय ने कर लिया उसे गिरफ्तार। डॉक्टर राज ने बताई इंस्पेक्टर विनय को अपनी मजबूरी और तब इंस्पेक्टर विनय ने परमाणु के रूप में डॉक्टर राज को कराया जेल से फरार और चल पड़े दरिन्दा को ख़तम करने। और फिर.........?

Wednesday, May 4, 2011

कोहराम

महानगर के स्टेच्यु ऑफ़ लिबर्टी की सोने की मशाल जिसको ले उड़ा कुख्यात स्मगलर कंगोरा। सोने की मशाल के पीछे पड़ा था एक और विचित्र प्राणी सैंडमैन और सोने की मशाल को बचाने में लगा था कैप्टन अंकार। कैप्टन अंकार की कोशिशों से सैंडमैन बंट गया 2 टुकड़ों में। परन्तु वो दोनों टुकड़े अलग-अलग ही चल पड़े कंगोरा के पीछे मशाल प्राप्त करने। कंगोरा तक पहुंचा आधा सैंडमैन परन्तु उसको प्राप्त न हो पाई मशाल क्योंकि वो हो चुकी थी गायब। इधर दूसरा आधा सैंडमैन जिसने कर लिया था एक रोबोट एक्सल पर कब्ज़ा वो भी आ पहुंचा कंगोरा तक और दोनों आधे सैंडमैनों के बीच शुरू हो गयी जंग। और फिर.........?

Tuesday, May 3, 2011

चोर सिपाही

दरिंदगी के बीच पला-बढ़ा सूरज जो लायन जिम में अदरक चाचा की शरण में आया और ताकत प्राप्त कर मुंबई से अपराध का विनाश करने कुत्ते का मास्क धारण कर बन गया रात का रक्षक डोगा परन्तु गैंडा से हुयी लडाई में उसके हथियार हो गए ख़त्म। अब बिना हथियारों के ही टूट पड़ा वो शहर में आतंक मचाने वाले सिक्स टी गैंग पर। परन्तु बिना हथियारों के डोगा को खानी पड़ी मात। इधर डोगा को पता चला बिच्छू गिरोह के एक आदमी से कि हथियारों का एक बड़ा ज़खीरा आने वाला है मुंबई। डोगा निकल पड़ा उस हथियारों के भण्डार को हथियाने। परन्तु उस हथियारों के भण्डार और डोगा को कानून के शिकंजे में कसने के लिए तैयार बैठा था इंस्पेक्टर चीता। और डोगा और चीता में शुरू हो गया चोर-सिपाही का खेल। और फिर.........?

Monday, May 2, 2011

भूत से बड़ा भूत

तू चल-मैं आया, दो भाई जिनको विचित्र साईकिल रेस में भाग लेने के लिए चाहिए थी एक विचित्र साईकिल उसी को बनाने के जुगाड़ में लगे दोनों की मुलाकात हुयी एक सर्कस के मालिक ऊट-पटांग से जो दोनों को लेना चाहता था अपनी सर्कस में। दोनों ने किसी तरह उस ऊट-पटांग से पीछा छुड़ाया और लग गए अपनी साईकिल तैयार करने में तभी उनके सामने प्रकट हुआ भूतराज केस्टो जो कभी ऊट-पटांग के ही सर्कस में करता था काम और उसके कारण ही उसको गंवानी पड़ी अपनी जान। भूतराज सिखाना चाहता था ऊट-पटांग को सबक इसके लिए उसने चुना तू चल मैं आया को। और फिर...........?

Sunday, May 1, 2011

तिलिस्मदेव और मेढकासुर

कूपमंडूक नगर में मचा था मेढकासुर का आतंक जो अपने मेढकास्त्र से किसी को भी बना देता मेढक। मेढकासुर का अंत करने निकला राजा दमतोड़ सिंह परन्तु मेढकासुर की शक्ति के आगे वो खुद पड़ गया संकट में और संकट में उसने मदद के लिए पुकारा तिलिस्मदेव को। तिलिस्मदेव चल पड़े राजा दमतोड़ सिंह की मदद को परन्तु भगवान शिव ने दी तिलिस्मदेव को सलाह कि वो न करे दमतोड़ सिंह की मदद। परन्तु अपने वचन अनुसार तिलिस्मदेव ने दे दी दमतोड़ सिंह को भूगर्भा शक्ति तब पता चला की राजा दमतोड़ सिंह और कोई नहीं मेढकासुर का ही एक रूप है और तिलिस्मदेव की शक्ति पाने के लिए उसने रचा था यह षड्यंत्र। और अपनी गलती जान तिलिस्मदेव खुद जा पहुंचे मदद के लिए भगवान शिव के पास। और फिर.........?