कंकड़बाबा के शाप के कारण बांकेलाल और विक्रमसिंह जा पहुंचे देवलोक में परन्तु देवलोक के द्वार पर ही विक्रमसिंह के उपहास के कारण बांकेलाल ने फेंक दिया अपना देवमुकुट। देवमुकुट न होने की वजह से बांकेलाल को देवलोक में प्रवेश नहीं होने दिया गया, इसको अपना अपमान समझ खुराफाती बांकेलाल ने ठान लिया सभी देवों से बदला लेने का। इधर बांकेलाल का देवमुकुट मिला असुरलोक के असुरराज हाहाकारी को और उस देवमुकुट की मदद से हाहाकारी देवलोक में घुसकर करना चाहता था देवराज इंद्र की पुत्री इंद्रजा का अपहरण, परन्तु उससे पहले बांकेलाल ने ही देवों से बदला लेने के लिए कर लिया इंद्रजा का अपहरण। और फिर...............?
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