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Monday, April 11, 2011

शुक्राल और काला शासन

शुक्राल जो डूंगरा के जंगलों से कालूंगा का आतंक समाप्त करने के बाद वापस जा रहा था अपने राज्य, उसके साथ थी उसकी हमसफ़र मांडवी। शुक्राल ने मांडवी को बताया की कैसे राजा चंद्रवदन ने भगवान शिव को प्रसन्न कर प्राप्त किया एक दिव्य आग्नेयास्त्र और उसके बल पर निकल पड़ा विश्व विजय पर। उसकी मुलाकात हुयी किंकापुर की राजकुमारी कंकाली से जिसपर मोहित हो चंद्रवदन ने कर लिया उससे विवाह। परन्तु विवाह के 10 वर्ष पश्चात् भी उनका नहीं हुआ कोई भी पुत्र इसलिए राजा चंद्रवदन ने निर्णय किया मंत्री शांडिल्य के वीर पुत्र शुक्राल को गोद लेने का। इससे क्रोधित हो उठी कंकाली क्योंकि वो चाहती थी की उसका नाजायज़ पुत्र राक्षस छिद्रा बने राज्य का वारिस इसलिए कंकाली ने अपने भाई कालमही के साथ मिल कर दिया विद्रोह राजा चंद्रवदन को कर दिया ख़त्म और शुक्राल घायल हो बह गया नदी में। वाही शुक्राल अब जा रहा था वापस अपने पर हुए ज़ुल्मों का हिसाब लेने। और फिर............?

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