विशालगढ़ की तलाश में दर दर भटक रहे और विक्रमसिंह को मिले अंग भंग होने के शाप को झेल रहे बांकेलाल और विक्रमसिंह आ पहुंचे चड्डीपुर जहाँ मचा हुआ था आतंक खोपड़ी चोर का जो वहां के निवासियों की खोपड़ी चुरा ले जाता। चड्डीपुर के राजा बनियान ने बांकेलाल और विक्रमसिंह को ही समझ लिया खोपड़ी चोर और डाल दिया कैद खाने में। इधर खोपड़ी चोर अंगोछा सम्राट कच्छाराज जो खोपड़ी की चोरी करवा रहा था ताकि उसकी मदद से अपने भाई को खोपड़ी दिला सके। उसने खोपड़ी चोर बेधड की मदद से चुरा ली राजा बनियान की ही खोपड़ी। इधर बांकेलाल निकल भागा कैदखाने से और जा पहुंचा खोपड़ी चोरों के ठिकाने। और बांकेलाल की शैतानी खोपड़ी में कुलबुलाने लगी एक शैतानी योजना। और फिर..............?
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