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Sunday, April 3, 2011

बांकेलाल और खुजालराज

विशालगढ़ की तलाश में भटक रहे बांकेलाल और विक्रमसिंह जा टकराए भंगोड़ी ऋषि से जिसने दिया विक्रमसिंह को शाप उसके शरीर का कोई भी अंग भंग हो जाने का। अभी वे इस मुसीबत से निकले भी नहीं थी की उन पर आ पड़ी मुसीबत कोढ़पति के रूप में बांकेलाल, विक्रमसिंह को कोढ़पति के पास छोड़ हो लिया दुडकी। बांकेलाल को रास्ते में मिला एक रथ जिसको हथिया उसने परन्तु वो रथ था स्वर्ण पुतलों के तस्करों का इसलिए सुलझन नगर के सैनिकों ने बांकेलाल को तस्कर समझ बना लिया बंदी। इधर तस्करों के मुखिया खुजालराज बना रहा था योजना बांकेलाल रुपी अपने साथी को छुड़ाने की, राजा उलझन सिंह बना रहे थे योजना बांकेलाल का पीछा कर खुजालराज को पकड़ने की। और बांकेलाल बना रहा था योजना फरार होकर राजा उलझन सिंह से बदला लेने की। और फिर...........?

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