उल्लासनगर का चोर चरणदत्त जो पकड़ा गया चोरी करते हुए और राजा विचित्रसेन ने दी उसके हाथ काट लिए जाने की सजा। सजा से बचने के लिए भागा चरणदत्त तो उसको दिखाई दिया एक रहस्यमय किला। किले की रहस्यों की रानी शीबा ने बचायी चरणदत्त की जान और चरणदत्त के कहने पर दे दिया उसको तिलिस्मदेव का रूप। अब तिलिस्मदेव का रूप धरे चोर चरणदत्त ने उल्लासनगर में मचा दिया आतंक। सब उसे तिलिस्मदेव समझ करने लगी तिलिस्मदेव की बुराई। तिलिस्मदेव के बुराई का प्रतीक बन जाने की खबर जब पहुंची नागलोक तो तिलिस्मदेव उर्फ़ नागदेव की सातों पत्नियाँ हो गयी विचलित। और अपने पति की सच्चाई जानने पहुँच गयी पृथ्वी पर। और फिर..........?
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