दैत्य विकटासुर जिसने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर प्राप्त किये 2 वरदान की वो कभी भी राख का रूप ले सकता है और उसके रक्त से कई विकटासुर पैदा हो सकते हैं। परन्तु वरदान के साथ उसको मिला एक शाप भी की उसकी मृत्यु होगी अनूपगढ़ के राजवंश की चिराग के हाथों माँ पार्वती की खडग द्वारा। वरदान प्राप्त करने के पश्चात् विकटासुर तिलिस्म सम्राट असुरराज नीलासुर के साथ मिल विश्व-विजय अभियान पर निकल पड़ा और मचा दी पृथ्वी पर त्राहि-त्राहि। और फिर...........?
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