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Sunday, October 10, 2010

बांकेलाल और तिलिस्मदेव

देवपुत्र करण और राक्षस केकड़ा के युद्ध के बीच में टांग अड़ाने के कारण बांकेलाल को मिल गया देवपुत्र का वरदान वहीँ राक्षस केकड़ा ने खायी कसम बांकेलाल से बदला लेने की। इधर खुराफाती बांकेलाल को सूझ गयी एक और योजना राजा विक्रमसिंह को मारकर चक्रवती सम्राट बनने की और उसने विक्रमसिंह को उकसाया अश्वमेघ यज्ञ करने के लिए और उसने जानबूझकर यज्ञ के घोड़े को भेज दिया उस रास्ते जहाँ था विशालगढ़ से ज्यादा शक्तिशाली राज्य चोखट नगरी। परन्तु चोखट नगरी पर मंडरा रहा था जादूगर ज़िमजमाजम और राक्षस केकड़े का आतंक और उनसे निबटने की ज़िम्मेदारी आई बेचारे बांकेलाल के ऊपर। बांकेलाल ने उनसे निबटने के लिए तिलिस्मदेव का आह्वाहन और जब बांकेलाल को पता चला तिलिस्मदेव की अपार शक्ति का तो देवपुत्र के वरदान की मदद से तिलिस्मदेव की ही सारी शक्ति छीनने की योजना बना ली बांकेलाल ने। और फिर.............?

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