भगवान शिव ने अपने वाहन नंदी की एक गलती पर क्रोधित हो दे दिया उसको मृत्युलोक भोगने का शाप। नंदी ने जन्म लिया राजा चंद्रमणिध्वज के यहाँ सुनंदी के रूप में। सुनंदी का शरीर था बैल जैसा इसलिए उसके सभी मित्र उसको चिढ़ाते अतः परेशान होकर सुनंदी भगवान शिव की अराधना में लग गया। इधर दुष्ट जादूगर शतानीक भी कर रहा था चंद्रमणिध्वज से बदला लेने और अपने गुरु चुड़ैल राक्षस को उसकी कैद से छुड़ाने के लिए देवता कालभैरव की पूजा। जब उसको पता लगा सुनंदी की तपस्या के बारे में तो वह उसकी तपस्या भंग करने चल पड़ा।
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