बांकेलाल और विक्रमसिंह, कंकड़ बाबा के शाप झेलते हुए अलग अलग योनियों में भ्रमण कर इस बार आ पहुंचे ततैयालोक जहाँ बांकेलाल को ततैयालोक का तड़ीपार अपराधी समझ फेंक दिया गया राक्षस हुहुहाहा का भोजन बनने परन्तु किस्मत के धनी बांकेलाल ने राक्षस हुहुहाहा को बना लिया अपना मित्र। फिर बांकेलाल ने विक्रमसिंह को राक्षस हुहुहाहा के पास भेजने के लिए चली एक चाल। और विक्रमसिंह के गुलाम बन पूरा ततैयालोक चल दिया उसके पीछे-पीछे ऐसे में ततैयालोक पर हमला कर दिया दुश्मन देश भौंरा लोक ने। और फिर............?
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