ऋषि-मुनियों की तपोभूमि कोची जंघा जहाँ छाया हुआ था आतंक का साया एक हत्यारे को जो लोगों से सर काट ले जाता। वो हत्यारा जादूराज खोपड़ीमार लोगो की खोपड़ियों को रखता था अपने संग्रहालय में। कोचीजंघा को इस मुसीबत से निजात दिलाते के लिए अपने सेनापति आचारसिंह को भेजा राजा कोची कोची ने परन्तु सेनापति को करना पड़ा हार का सामना। तब राजा कोचीकोची ने मदद के लिए पुकारा तिलिस्मदेव को जिनसे शक्ति प्राप्त कर वो निकल पड़ा जादूराज का आतंक समाप्त करने। और फिर...........?
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