श्यामगढ़ गांव जहां पर राज
चलता था ठाकुर दुर्जनसिंह का। अपने नाम के अनुरूप ही दुर्जनसिंह के
अत्याचारों से त्रस्त था सारा गांव। दुर्जनसिंह के जैसा ही था उसका बेटा
भैरवसिंह। दुर्जन सिंह की दुर्जनता की भेंट चढ़ गया गांव का मास्टर रतिराम
और उसका बेटा अर्जुन। रतिराम को नसीब हुई मौत और अर्जुन को भी कर दिया गया
अधमरा तब अर्जुन ने खाई कसम अपने पिता की मौत का बदला लेने की परन्तु उसके
लिए उसको प्राप्त करनी थी ताकत इसलिए वह गांव से चला गया और दस बरस पश्चात
दोबारा आ पहुंचा अपने गांव अपने पर हुए जुल्म का एकएक हिसाब लेने। और
फिर...........?
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