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Monday, July 5, 2010

सर्पयज्ञ

पौषकरिणी का राजा कुशध्वज जिसने अनेक राज्यों को जीतकर अपना साम्राज्य फैलाया था और उसका सपना था स्वर्गलोक को जीतना। अपनी इसी लालसा के कारण वह हो गया अभिमानी और अपने अभिमान में चूर होकर उसने महर्षि दुर्वासा की कुटिया में लगा दी आग। उस आग में जल मरे एक सर्प को महर्षि दुर्वासा ने दिया जीवनदान और उस सर्प द्वारा कुशध्वज को दिया मृत्यु का शाप। सर्प ने राजा कुशध्वज का कर दिया अंत परन्तु उस वजह से राजकुमारी स्वर्णरेखा को हो गई सर्पों से नफरत और उसने प्रारंभ किया सम्पूर्ण नाग जाति को समाप्त करने के लिए एक सर्पयज्ञ। और फिर.............?

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