विश्वजीत नगर का राजा विश्वजीत जिसकी प्रबल इच्छा थी दुनिया को जीत लेने की इसके लिए उसने लड़े कई युद्ध परन्तु इतने युद्ध लड़ने के लिए उसने अपना सारा राजकोष तक खाली कर लिया। अब उसको जरूरत थी और खजाने के इसके लिए वह बन गया लुटेरा और अपने ही राज्य को लूटने लगा इतना ही नहीं उसने सुप्त ज्वालामुखी की पहाड़ी पर बने भगवान के मंदिर को भी नहीं छोड़ा और उसको भी लूटने चल दिया परन्तु उस मंदिर की देखरेख करने वाले सन्यासी मणिबाबा ने दिया उसको शाप कि जिस खजाने को वह लूट रहा है वही खजाना सात जन्मों तक उसकी मौत का कारण बनेगा और हुआ भी वैसा ही उस खजाने को पाने के चक्कर में विश्वजीत को गंवानी पड़ी अपनी जान। सैकड़ों सालों के बाद वह फिर जन्म लेकर दोबारा पहुंच गया उसी खजाने तक। और फिर.......?
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