
Saturday, July 31, 2010
काली मौत

Friday, July 30, 2010
राजा की बारात
लालू, कालू, नीलू और पीलू चार मित्र काम की तलाश में जा पहुंचे तलवार नगर जहां वे चारों तलवार नगर की राजकुमारियों ऋतिका, श्रुतिका, कनिका और कृतिका की जान एक राक्षस से बचाकर बन गए तलवार नगर के राजा तलवार सिंह के विशेष सलाहकार। तभी तलवार नगर में कर दिया दुश्मन देश रंगा के राजा रंगासिंह ने हमला जिसको अपनी समझदारी से विफल कर दिया चारों मित्रों ने। परन्तु रंगासिंह ने धोखे से कर दिया राज्य पर दोबारा हमला और कर लिया तलवार नगर पर कब्जा क्यों वह करना चाहता था राजकुमारियों से विवाह। और फिर................?
Thursday, July 29, 2010
तिलिस्मघाटी की चुड़ैल
तारापुर का राजा अजीतपाल जिसके यहां पुत्र का जन्म होते ही उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई इसलिए उस पुत्र अजयपाल को मनहूस मान लिया अजीतपाल ने। अजयपाल जब शिक्षा ग्रहण करने पहुंचा तो आश्रम के गुरू की भी मृत्यु हो गई। वापिस अपने राज्य आने पर राजा अजीतपाल से राज्य छिन गया। यह सेब देख अजीतपाल ने अजयपाल को मनहूस कह कर निकाल दिया। अजयपाल जंगलों में भटकता हुआ मिल गया रावतपुर का राजा शिवप्रताप से जिसकी बेटी को बचपन में उठा ले गई थी तिलिस्मघाटी की चुड़ैल। शिवप्रताप की बेटी उर्मिला को वापस लाने की जिम्मेदारी उठाई अजयपाल ने। और फिर..........?
Wednesday, July 28, 2010
राक्षसी का प्यार
तक्षकनगर और उदयपुर जिनमें थी शत्रुता परन्तु तक्षकनगर का राजकुमार विक्रम और उदयपुर की राजकुमारी श्यामला करते थे एक दूसरे से प्रेम। राजकुमार विक्रम का मित्र सूरज जिसको पसंद करती थी विक्रम की बहन राजकुमारी दीपिका। सूरज और दीपिका की यह दोस्ती न सुहाती तक्षकनगर के सेनापति नाहरसिंह को क्योंकि वह राजकुमारी से अपने पुत्र विजेन्द्र का करवाना चाहता था विवाह ताकि कर सके वो राज्य पर कब्जा इसके लिए उसने तक्षकनगर के राजा सूर्यरंजन को भड़काकर सूरज को निकलवा दिया राज्य से और उदयपुर से मिलकर विक्रम और सूर्यरंजन को कर लिया कैद। इधर राज्य से निकल चुके सूरज की मुलाकात हुई एक राक्षसी से जो उससे करने लगी प्रेम। और फिर.....?
Tuesday, July 27, 2010
हत्यारी गेंद

Monday, July 26, 2010
नकली राजा असली ठग
अनूपनगर का सनकी राजा चतुरसेन जिसने अपने राज्य में घोषणा करवा रखी थी कि जो भी उसको ठग लेगा उसको वो अपना पूरा राज्य सौंप देगा परन्तु कोई भी उसको ठग न पाता। उसी नगर में रहता था एक ठग चम्पतराम जिसने ठान लिया चतुरसेन को ठगने का और उसने बकायदा चतुरसेन को भेज दी चेतावनी। चतुरसेन ने भी कर ली उसको पकड़ने की तैयारी। तभी एक दिन राज्य में दाखिल हुआ एक और राजा चतुरसेन जिसने लगाया गद्दी पर बैठे राजा चतुरसेन पर आरोप की वह है नकली और मैं हूं असली। पूरा राज्य रह गया भौचक्का असली नकली के चक्कर में। और फिर...............?
Sunday, July 25, 2010
चन्द्रमणि
सूर्यनगर जहां के पहलवान मंगलसिंह को पिछले जन्म की बाते याद आती है जिसमें वह था एक भील चक्रपाणि जिसकी बहन नीलमणि से प्रेम विवाह कर लिया राजा वीरशल्य ने परन्तु एक सन्यासी के श्राप के कारण वीरशल्य भूल बैठा नीलमणि को। यह बात सुनकर नीलमणि ने दे दी अपनी जान तब वीरशल्य से बदला लेने की कसम खाई चन्द्रपाणि ने परन्तु उससे बदला लेने से पहले ही वीरशल्य की हो गई मृत्यु। यह सुन चन्द्रपाणि ने खाई कसम की वो बदला लेकर रहेगा चाहे अगले जन्म में ही। फिर इस जन्म में वह बन गया मंगलसिंह और अब उसको बदला लेना था इस जन्म के राजा सूर्यसिंह से। और फिर............?
Saturday, July 24, 2010
नीलमणि
सूर्यनगर का नामी पहलवान मंगलसिंह जिसने राजा सूर्यसिंह के जन्मदिवस समारोह में आयोजित प्रतियोगिता को जीता परन्तु राजा से पुरस्कार ग्रहण करते समय अचानक कर दिया राजा सूर्यसिंह पर हमला जिसके लिए मंगलसिंह को दी जानी थी सजा परन्तु मंगलसिंह की बहन चंद्रमणि के कहने पर सूर्यसिंह ने छोड़ दिया मंगलसिंह को सहसा मंगलसिंह को याद आयी पिछले जन्म की दास्तान जहां भीलों की लड़की नीलमणि से प्रेम विवाह कर लिया राजा वीरशल्य ने और उसको अपने साथ ले जाने का वायदा नीलमणि के भाई चक्रपाणि से कर वापिस लौट गया वीरशल्य। परन्तु वापिस न लौटा वीरशल्य तो उसको लाने के लिए चल दिया चक्रपाणि। और फिर............?
Friday, July 23, 2010
अभिमानी की हार
विदिशा नगरी का राजा नागदत्त जिसे खुद पर बहुत अभिमान था उसको जो भी लड़की पसंद आती उससे शादी कर लेता और फिर किसी दिन किसी न किसी बहाने उस पर नाराज होकर उसको कारागार में डाल देता। उसी के नगर में रहती एक गरीब किसान की समझदार बेटी नीलमणि जो राजा के इस अभिमान से करती थी नफरत इसलिए राजा ने उसको सबक सिखाने के लिए उससे भी कर ली शादी परन्तु नीलमणि राजा नागदत्त को नाराज होने का कोई मौका नहीं देती। तब एक दिन बेवजह राजा ने नीलमणि को कारागार में डालना चाहा तो नीलमणि ने रख दी एक शर्त कि वो चंपानगर की राजकुमारी को अपनी रानी बना कर दिखाए। और फिर.............?
Thursday, July 22, 2010
बांकेलाल और जादूगर डांगा

Wednesday, July 21, 2010
आग के शोले
श्यामगढ़ गांव जहां पर राज
चलता था ठाकुर दुर्जनसिंह का। अपने नाम के अनुरूप ही दुर्जनसिंह के
अत्याचारों से त्रस्त था सारा गांव। दुर्जनसिंह के जैसा ही था उसका बेटा
भैरवसिंह। दुर्जन सिंह की दुर्जनता की भेंट चढ़ गया गांव का मास्टर रतिराम
और उसका बेटा अर्जुन। रतिराम को नसीब हुई मौत और अर्जुन को भी कर दिया गया
अधमरा तब अर्जुन ने खाई कसम अपने पिता की मौत का बदला लेने की परन्तु उसके
लिए उसको प्राप्त करनी थी ताकत इसलिए वह गांव से चला गया और दस बरस पश्चात
दोबारा आ पहुंचा अपने गांव अपने पर हुए जुल्म का एकएक हिसाब लेने। और
फिर...........?
Tuesday, July 20, 2010
काली आंख
शंखवटी का राजा शल्यभुज और रानी कंचन जिनके यहां राजकुमार के जन्म लेते ही उस पर लग जाता था शैतान का साया और वह हो शिशु हो जाता था गायब। पिछले पांच पुत्रों को इसी प्रकार खो चुके थे राजा शल्यभुज परंतु इसे रोकने में रहे नाकाम। वास्तव में शल्यभुज के पुत्रों का बलि चढ़ाने के लिए कर लेता था दुष्ट राक्षस केकड़ा अपहरण। इधर राजा के पास पहुंचा एक सन्यासी जिसने राजा का बताया उसके पुत्रों अपहरण के विषय में। तब राजा चल पड़ा दुष्ट केकड़ा से टकराने। और फिर............?
Monday, July 19, 2010
नागराज और कालदूत

Sunday, July 18, 2010
मौत का स्टेशन

Saturday, July 17, 2010
परियों की मुसीबत

Friday, July 16, 2010
बाज का आतंक
चक्रधरपुर का मंत्री दुष्कर्मा जिसको उठा ले गया एक विशालकाय बाज जो था एक दुष्ट तांत्रिक का जिसको अपने देवता को बलि देने के लिए चाहिये थे एक सहस्त्र मानव। मंत्री दुष्कर्मा ने किया उससे अपनी जान का सौदा और किया उससे वादा प्रतिदिन मानव उसके पास भेजन का उसके बाद दुष्कर्मा ने चक्रधर के लोगों को पकड़कर भेजना शुरू कर दिया दुष्ट तांत्रिक के पास। जब इस बात की खबर लगी राजा कनिष्कराज को तो उसे दुष्ट मंत्री ने राजा और उसकी रानी को भी बना दिया उस बाज का शिकार और कर लिया राज्य पर कब्जा। परन्तु एक राजा का एक वफादार सैनिक बचा ले गया नन्ही राजकुमारी को। और फिर.........?
Thursday, July 15, 2010
युद्ध की आग
चक्रनगर के राजा चक्रधर जिनके पास आया उनकी पुत्री राजकुमारी विजया के विवाह का प्रस्ताव विजयनगर के राजा कर्मादित्य के पुत्र कल्पतरू के साथ परन्तु चक्रधर ने उसको ठुकरा दिया परिणाम चक्रनगर और विजयनगर के बीच युद्ध। युद्ध में मारे गये दोनों राजा चक्रधर और कर्मादित्य तब राजकुमारी विजया ने खाई कसम विजयनगर को मिटा देने की। इधर कल्पतरू के राजा बनने के बाद उसने भी कर दिया चक्रनगर पर हमला परन्तु नाकाम रहा रानी विजया को खत्म करने पर क्योंकि उसका सिर काटने के पश्चात पुनः जुड़ जाता था। तब कल्पतरू ने निश्चय किया इस चमत्कार के रहस्य को जानने का। और फिर.........?
Wednesday, July 14, 2010
बांकेलाल और चालीस चोर

Tuesday, July 13, 2010
आदमखोर हत्यारा

Monday, July 12, 2010
मुझे मौत चाहिए

Sunday, July 11, 2010
राज प्रतिज्ञा
जैसलमेर का पराक्रमी राजा विक्रमसिंह जिसको अपनी राजपुताना आन-बान-शान पर बेहद फख्र था। उसके राज्य पर किया पड़ौसी राज्य रणथम्भौर के राजा जयमलसिंह ने हमला परन्तु राजा विक्रमसिंह के हाथों उसे करना पड़ा हार का सामना और करना पड़ा अपनी जान का सौदा हर साल एक बड़े खजाने के रूप में राजा विक्रमसिंह को देने का। अपने इस अपमान ने तिलमिला उठा राजा जयमलसिंह। इधर राजा जयमलसिंह का पुत्र राजकुमार विजय सिंह और विक्रमसिंह की पुत्री राजकुमारी जयश्री एक दूसरे से करने लगे प्रेम। परन्तु राजपूतों की आन-बान-शान के कारण विक्रमसिंह को मंजूर नहीं था यह रिश्ता। और फिर..........?
Saturday, July 10, 2010
खतरे का अवतार

Friday, July 9, 2010
सबसे बड़ा लुटेरा
विश्वजीत नगर का राजा विश्वजीत जिसकी प्रबल इच्छा थी दुनिया को जीत लेने की इसके लिए उसने लड़े कई युद्ध परन्तु इतने युद्ध लड़ने के लिए उसने अपना सारा राजकोष तक खाली कर लिया। अब उसको जरूरत थी और खजाने के इसके लिए वह बन गया लुटेरा और अपने ही राज्य को लूटने लगा इतना ही नहीं उसने सुप्त ज्वालामुखी की पहाड़ी पर बने भगवान के मंदिर को भी नहीं छोड़ा और उसको भी लूटने चल दिया परन्तु उस मंदिर की देखरेख करने वाले सन्यासी मणिबाबा ने दिया उसको शाप कि जिस खजाने को वह लूट रहा है वही खजाना सात जन्मों तक उसकी मौत का कारण बनेगा और हुआ भी वैसा ही उस खजाने को पाने के चक्कर में विश्वजीत को गंवानी पड़ी अपनी जान। सैकड़ों सालों के बाद वह फिर जन्म लेकर दोबारा पहुंच गया उसी खजाने तक। और फिर.......?
Thursday, July 8, 2010
पूर्व जन्म के हत्यारे

Wednesday, July 7, 2010
इन्सान बड़ा शैतान
राजनगर की एक इमारत से निकला एक विशाल बिच्छु की शक्ल का प्राणी और देखते ही देखते अपने साथ पूरी इमारत को ध्वस्त कर गया। ऐसे ही एक बिच्छु प्राणी का सामना हुआ सुपर मानव गगन से और गगन उसको भी इमारत ध्वस्त करने से नहीं रोक पाया परन्तु गगन ने पकड़ लिया उस बिच्छु प्राणी को बनाने वाले शख्स को। जिसने उसे बताया कि एक पागल वैज्ञानिक प्रो. प्यारेलाल ने यह तकनीक ईजाद की है जिसमें बिच्छु और मानव जीन्स को मिलाकर बिच्छु प्राणी बनाया जाता है। परन्तु इससे पहले कि गगन प्रो. प्यारेलाल को रोक पाता वह खुद ही फंस गया प्रो. प्यारेलाल के चंगुल में। और फिर...............?
Tuesday, July 6, 2010
लाश की तलाश

Monday, July 5, 2010
सर्पयज्ञ
पौषकरिणी का राजा कुशध्वज जिसने अनेक राज्यों को जीतकर अपना साम्राज्य फैलाया था और उसका सपना था स्वर्गलोक को जीतना। अपनी इसी लालसा के कारण वह हो गया अभिमानी और अपने अभिमान में चूर होकर उसने महर्षि दुर्वासा की कुटिया में लगा दी आग। उस आग में जल मरे एक सर्प को महर्षि दुर्वासा ने दिया जीवनदान और उस सर्प द्वारा कुशध्वज को दिया मृत्यु का शाप। सर्प ने राजा कुशध्वज का कर दिया अंत परन्तु उस वजह से राजकुमारी स्वर्णरेखा को हो गई सर्पों से नफरत और उसने प्रारंभ किया सम्पूर्ण नाग जाति को समाप्त करने के लिए एक सर्पयज्ञ। और फिर.............?
Sunday, July 4, 2010
वू-डू

Saturday, July 3, 2010
डूबा हुआ खजाना
प्राइवेट जासूस विजय का सामना हुआ कुछ अपराधियों से जिन्होंने उसके सामने कर दी एक आदमी की हत्या। परन्तु इससे पहले विजय उनसे कुछ पूछ पाता उनका भी कर दिया गया कत्ल। उस आदमी राकेश की हत्या की गुत्थी सुलझाते हुए विजय को पता चला एक डूबे खजाने के बारे में जिसके बारे में राकेश को समुद्र में गोताखोरी के दौरान पता चला था और उसी डूबे खजाने की वजह से राकेश के मित्र उसकी जान के पीछे पड़े थे। यह जानने के बाद विजय भी लग गया उस डूबे हुए खजाने और राकेश के हत्यारों की तलाश में। और फिर.......?
Friday, July 2, 2010
दुष्ट गंधर्व
गन्धर्वलोक, जहां एक दुष्ट गंधर्व चित्ररथ ने मचा रखा था उत्पात, उसको प्राप्त थी अनोखी अदृश्य होनी की शक्ति जिसके कारण कोई उसका कुछ न बिगाड़ पाता। वह दुष्ट गंधर्व चित्ररथ गंधर्वलोक की राजकुमारी प्रियंका पर मोहित हो गया और उससे विवाह करने के लिए उसका अपहरण कर ले गया। परन्तु राजकुमारी प्रियंका उसकी कैद से आजाद हो बचने के लिए पृथ्वी लोक पर आ पहुंची और भेष बदलकर रहने लगी। उसकी तलाश में चित्ररथ भी आ पहुंचा पृथ्वीलोक। और फिर...........?
Thursday, July 1, 2010
शैतान बना इन्सान
एथेन्स का राजकुमार निकोडर जिसको अपोलो देवता ने प्रदान की अद्भुत शक्ति जिससे उसके अंदर समा गई कई हाथियों की ताकत। उस शक्ति को प्राप्त करने के बाद निकोडर हो गया क्रुर और अत्याचारी और प्रजा पर करने लगा अत्याचार। प्रजा ने जब इसकी शिकायत की राजा सोल्जर से तो प्रजा के हित में राजा तैयार हो गया अपने पुत्र को सजा देने परन्तु अपनी शक्ति के बल पर निकोडर ने बन्दी बना लिया अपने पिता को और कर लिया राजगद्दी पर कब्जा परन्तु एक दिन जंगल में घुमते वक्त दुर्घटना का शिकार हो चली गई उसकी याददाशत। और फिर............?
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