कुषाणनगर में फैला राक्षसों का आतंक जो समुद्र से निकलते और कुषाणनगर के नागरिकों को उठा कर ले जाते। उनसे निपटने के लिए राजा शारंगधर ने किये कई उपाय परन्तु सब नाकाम। तब शारंगधर ने महर्षि मृत्युंजय की मदद से किया उन राक्षसों का विनाश। परन्तु मरते समय राक्षसों ने दिया शारंगधर को अभिशाप की अगले जन्म में वे लेंगे उसके ही घर में जन्म और लेंगे बदला महर्षि मृत्युंजय से और महर्षि मृत्युंजय ने भी शारंगधर को वरदान की उनका पुत्र देवगुण भी लेगा उसके यहाँ जन्म और दिलाएगा राक्षसों से मुक्ति। और फिर..........?
No comments:
Post a Comment