पुष्पक नगर के राजा विजयवर्धन जिसकी पुत्री चंद्रमुखी को हासिल थी नृत्यकला में महारत। अपनी इस कला पर उसको था बहुत अभिमान। राजकुमारी चंद्रमुखी का सेवक महावत उससे करता था प्रेम परन्तु जब उसने अपने प्रेम का इज़हार किया तो अभिमानी राजकुमारी ने कर दिया उसका अपमान। अपने इस अभिमान की वजह से ही वह कर बैठी एक महर्षि की तपस्या भंग और इससे क्रोधित हो महर्षि ने दिया उसे शाप की उसका होने वाला पति उसको भूल जायेगा और हो जायेगा अँधा। राजकुमारी चंद्रमुखी का विवाह हुआ कौशलपुर के राजकुमार शक्तिप्रताप के साथ और महर्षि के शाप के कारण वह हो गया अँधा और भूल गया अपनी पत्नी को। और फिर........?
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