ठाकुर वीरप्रताप सिंह जिनको अपनी बेटी की शादी करने के लिए ज़रूरत थी पैसों की उसके लिए उन्होंने तय किया कि अपनी गाँव वाली ज़मीन बेच देंगे। अपने गाँव गंगापुर पहुंचकर जब उसने ज़मीन बेचने की बात ज़मीन की रखवाली करने वाले पंडित ओंकारनाथ को बताई तो वो और उसके लड़के इस बात पर भड़क उठे और ठाकुर वीरप्रताप पर नाराज़ हो ज़मीन पर कब्ज़ा करने के लिए कर दिया उसका क़त्ल। जिसकी खबर जब ठाकुर वीरप्रताप की तांत्रिक भाई भैरवनाथ को पता चली तो उसने बदला लेने के लिए जिंदा कर दिया ठाकुर वीरप्रताप सिंह की आत्मा को। और फिर.......?
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