नवरंगपुर का एक व्यापारी चंद्रसेन जिसने अपने व्यापर से बहुत धन कमाया पर उसके धन को लूटने की नियत से उससे मित्रता कर ली एक ठग चारुदत्त ने। दोनों व्यापर के लिए यात्रा पर निकले जहाँ एक निर्जन टापू पर चंद्रसेन को छोड़ चारुदत्त ले भगा उसका सारा धन और सामान लड़ा जहाज़। इधर टापू पर चंद्रसेन की मुलाकात हुयी एक यक्ष से जिसने उसको यक्षलोक आने का न्योता। यक्षलोक जाकर वह मोहित हो गया यक्षलोक की राजकुमारी यामिनी पर। परन्तु उससे विवाह करने की थी शर्त की उसकी कही गयी कहानी को पूरा करना होगा। और फिर........?
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