Pages

Friday, June 17, 2011

तिलिस्मदेव और महाकाल

रक्षनगर का राक्षसराज महाकाल जो कर रहा था भगवान शिव की तपस्या ताकि उनसे वरदान प्राप्त कर देवराज इंद्र से अपने अपमान का बदला ले सके। देवराज इंद्र ने इसके लिए मांगी मदद धर्मराज से जो निकल पड़े शिव जी का रूप धरकर महाकाल के पास। इधर माता पार्वती ने महाकाल को दिया उसका इच्छुक वरदान और धर्मराज को शिव का रूप लिए हुए देख उसे दिया शाप पृथ्वी पर भांड बनने का जो तभी टूट सकता था जब वो करे महाकाल का अंत। धर्मराज ने पृथ्वी पर रूप लिया एक युवक का जो था युवराज धरमसिंह का जिससे प्रेम करती थी भांडपुरी की राजकुमारी रूपकंवारी और जिसको मारना चाहते थे भांडपुरी के राजा बहरूप सिंह। इधर असली धरमसिंह भी आ पहुंचा भांडपुरी जो अपने हमशकल को देख उसको सबक सिखाने के लिए जा मिला महाकाल से। और फिर..........?

No comments:

Post a Comment