पाटेकर, इन्दर, पल्लवी, कंचन और जोशी जिनको एडवेंचर से भरी ज़िन्दगी पसंद है। उनके हाथ लगी रोज़र और सुमी द्वारा लिखी किताब जिसमे ज़िक्र था अन्टेरिया के जंगलो और उसमे बसने वाले नरभक्षी जंगलियों और उनके नरभक्षी संगीत का। एडवेंचर के चाहने वाले पांचो दोस्त निकल पड़े अन्टेरिया के जंगलो में उसके रहस्यों का पता लगाने। जहाँ उनपर हमला किया एक जंगली ने परन्तु उन लोगों ने उस जंगली को मार गिराया। परन्तु मरते-मरते भी वो जंगली उनके ऊपर फेंक गया खून के छींटे और फिर उन पांचो के साथ शुरू हो गयी मौत की आँखमिचौली। और फिर...........?
Thursday, September 30, 2010
Wednesday, September 29, 2010
काबुकी का खज़ाना
विश्व आतंकवाद का दुश्मन नागराज आ पहुंचा अफ्रीका के तंजानिया के जंगल में जहाँ राज है जंगल के बेताज बादशाह थोडांगा का और थोडांगा को तलाश है हाथी दांत के अकूत काबुकी की खजाने की। तंजानिया के जंगल में नागराज की मुलाकात हुयी फॉरेस्ट ऑफिसर डेनियल और सिसी से परन्तु इससे पहले कि नागराज तलाश कर पता थोडांगा का, थोडांगा का सेवक ज़िपा नागराज को पछाड़ सिसी को उठा ले गया और डेनियल को छोड़ आया गुंटारा की घाटी में। अब नागराज चल पड़ा डेनियल को छुड़ाने और मौत का सामना करने गुंटारा की घाटी। और फिर.............?
Tuesday, September 28, 2010
जल्लाद राजकुमार
डिब्रूगढ़ का राजा राजकुमार दिग्विजय सिंह जिसको सपने में दिखाई देता था एक किला। उस किले को पाने के लिए उसने उस किले की खोज में कर दिया ज़मीन आसमान एक और वो किला था मकरध्वज के राजा अश्वप्रताप सिंह का। राजकुमार दिग्विजय ने दी अश्वप्रताप को धमकी वो किला उसके हवाले करने के लिए और अश्वप्रताप के मना करने के बाद राजकुमार दिग्विजय ने मकरध्वज में मचा दी तबाही। अश्वप्रताप ने की उसको रोकने की भरकस कोशिश परन्तु रहे नाकाम. और उस जल्लाद राजकुमार ने अपहरण कर लिया अश्वप्रताप की बेटी राजकुमारी दिव्यप्रभा को। अब मकरध्वज को इस जल्लाद राजकुमार से बचने का था एक ही आसरा, तिलिस्मदेव। और फिर................?
Monday, September 27, 2010
चेहरा
ग्लोब सर्कस का स्टंटमैन विक्की जो ग्लोब सर्कस के अलावा फिल्मों में भी स्टंट सीन किया करता एक मामूली बात पर उसकी झड़प हो गयी फिल्म डायरेक्टर हीरा के दोस्त अरुण शौरी से इस झड़प से आपे से बाहर हो गए विक्की ने गुस्से में आकर अरुण को कुचल दिया अपनी कार से। अपना गुस्सा तो निकाल दिया विक्की ने अरुण पर परन्तु फिर उसको डराने लगा अरुण शौरी का भयानक चेहरा। क्या घर क्या होटल क्या टीवी क्या किताब हर जगह उसको दिखने लगा अरुण का कुचला हुआ चेहरा। और फिर...........?
Sunday, September 26, 2010
अजगर की बेटी
अजग राज्य की क्रूर व जिद्दी रानी प्रलयंका जो राजा अजगरराज की मृत्यु के बाद रानी बनायीं गयी थी उसकी आयु मात्र 20 वर्ष ही लिखी थी. अपनी आयु बढ़ने का था एक उपाय चंद्रिकापुर की राजकुमारी सुरभि की कर्णमणि जो उसके पिता राजा विशम्भर ने भगवान विष्णु से सुरभि की आयु लम्बी करने के लिए प्राप्त की थी। प्रलयंका को जब यह पता चला तो उसने सुरभि पर हमला कर चुरा ली उसकी कर्णमणि जिसकी वजह से सुरभि की जिंदगी पड़ गयी खतरे में और इससे पहले की राजा विशम्भर कर्णमणि वापस प्राप्त करने के लिए कुछ कर पाता प्रलयंका ने कर चंद्रिकापुर पर ही हमला। और फिर..............?
Saturday, September 25, 2010
ऋषिकन्या का प्रतिशोध
राजकुमार कुन्दनसिंह अत्यन्त सुन्दर व बलशाली जिसको नफरत थी बदसूरती से, उसने जंगल में शिकार के दौरान ऋषि तपाचार्य की पुत्री तापसी की जान बचाई एक सिंहनी से। ऋषि कन्या तापसी राजकुमार की सुन्दरता और वीरता देख उस पर मुग्ध हो गई परन्तु राजकुमार कुन्दनसिंह ने उसका प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योंकि तापसी कुरूप थी। इसको तापसे ने अपना अपमान समझा और ठान लिया राजकुमार कुन्दनसिंह से प्रतिशोध लेने का और वह एकएक कर नगर के लोगों को बनाने लगी बदसूरत। और फिर.........?
Friday, September 24, 2010
आग
आतंकवादी दल का कुख्यात नेता सपेरा जिसको रहस्यमय शक्तियों के मालिक परमाणु ने पुलिस को पकड़वाया था उसको छुड़ाने के लिए सपेरा ग्रुप के आतंकवादियों ने दी धमकी कि अगर सपेरा को नहीं छोड़ा गया तो वे शहर में आग की बारिश कर देंगे. जिससे पुरे शहर में फ़ैल गया दहशत का माहौल. सपेरा ग्रुप की धमकी सुनकर पुरी पुलिस के साथ इंस्पेक्टर विनय भी लग गया उनकी खोज में. इधर उसी रहस्यमय परमाणु ने दिया लोगो को आश्वासन की वो आग की बारिश नहीं होने देगा और सपेरा ग्रुप को भी ख़त्म कर देगा। और फिर...........?
Thursday, September 23, 2010
ग्रैंड मास्टर रोबो

Wednesday, September 22, 2010
जादू का जाल
राजा चन्द्रगुप्त जिसके थे दो पुत्र बड़ा राजकुमार वीर चन्द्रगुप्त और छोटा राजकुमार मनीष चन्द्रगुप्त। मनीष जितना दयालु और नेक वीरचन्द्र उतना ही क्रुर और अत्याचारी इसलिए जब भावी राजा चुनने का वक्त आया तो प्रजा ने चुना छोटे राजकुमार मनीष चन्द्रगुप्त को। यह देख क्रोध से पागल हो गया वीरचन्द्र और ठान लिया पूरे राज्य को सबक सिखाने का इसके लिए उसने आजाद कर दिया कई वर्ष पहले कैद किए गए शैतान करकट को। शैतान करकट ने चलाया अपना जादू का जाल और पुरी प्रजा कर उठी त्राहि-त्राहि तब मदद के लिए सबकी जुबान पर आया एक ही नाम, तिलिस्मदेव। और फिर............?
Tuesday, September 21, 2010
काली हांडी

Monday, September 20, 2010
सींगो की खेती
पाताललोक की विडिम्बा नगरी का राजा मल्लयकेतु जो था बेहद नेक, दयालु और न्यायप्रिय
परन्तु उसका बेटा राजकुमार दुर्भग उतना ही उद्दंड, क्रूर और अत्याचारी था।
मल्लयकेतु ने उसका विवाह भी तय कर दिया सेनानायक की पुत्री हिडिम्बा के साथ परन्तु वह न सुधरा। दुर्भग ने जब ऋषि मार्कंड की पुत्री दुवासा पर बुरी नज़र डाली तो मल्लयकेतु ने उसको सजा के तौर पर उसको पातळलोक से निकाल दिया. तब दुर्भग जा पहुंचा पृथ्वी पर और मचा दिया हाहाकार। पृथ्वी की लोग उसको रोकने में रहे नाकाम तब आई दुर्भग की मंगेतर हिडिम्बा और उसने बताया की दुर्भग को रोकने के लिए करनी होगी सींगो की खेती। और फिर..............?
Sunday, September 19, 2010
परमाणु

Saturday, September 18, 2010
नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव

Friday, September 17, 2010
टेढ़ा शैतान
अपनी सुंदरता के लिए विख्यात देवनगर जहां की स्त्रियों की सुंदरता मंत्रमुग्ध कर देने वाली होती है और जिस राज्य की कन्याओं से विवाह के लिए दूर देश के राजा-राजकुमार भी आते हैं। ऐसे ही देवनगर में आगमन हुआ अवन्तिका नगर के राजा अवन्तिसिंह का जिसने उस राज्य की सुन्दर कन्या रूपा को पसंद किया परन्तु रूपा ने उससे विवाह करने से कर दिया इंकार। इसे अपना अपमान समझ देवनगर को दण्ड देने की धमकी देकर चला गया अवन्तिसिंह। उसके बाद देवनगर में आतंक पहुंचाने आ पहुंचा टेढ़ा शैतान जो देवनगर की सुन्दर कन्याओं को उठा ले जाता। ऐसे में देवनगर की मदद का आया अवन्तिका के राजा अवन्तिसिंह का पुत्र राजकुमार जो निकला था अपने पिता की तलाश में। और फिर.........?
Thursday, September 16, 2010
पिशाच राजा

Wednesday, September 15, 2010
लॉकेट

Tuesday, September 14, 2010
राक्षसों की खेती

Monday, September 13, 2010
नरमुंडो की घाटी

Sunday, September 12, 2010
विनाश के वृक्ष

Saturday, September 11, 2010
मौत का साया
कंजूस शक्की बूढ़ा धनीराम जा पहुंचा एक दिन पुलिस स्टेशन यह कम्पलेंट लिखवाने कि कोई उसकी हत्या करना चाहता है। उसको शक था अपनी भतीजे रामगोपाल, अपनी नातिन नीता और नीता का प्रेमी चंदू पर। उसको था शक कि इनमें से कोई करना चाहता है उसकी हत्या। पुलिस इंस्पेक्टर वामन ने निकाली हत्यारे को पकड़े की तरकीब परंतु अगली ही रात हो गई धनीराम की हत्या और उसकी तिजोरी से सारा रूपया हो गया चोरी। और फिर........?
Friday, September 10, 2010
तिलिस्मदेव

Thursday, September 9, 2010
बारह घंटे

Wednesday, September 8, 2010
पाताल राक्षस
चंदनगढ़ के राजा चंदनसिंह जिनका खजाना एक युद्ध के बाद हो गया था खाली। इधर चंदनगढ़ अपने मायके के लिए प्रस्थान किया विशालगढ़ की महारानी स्वर्णलता ने परन्तु खुराफाती बांकेलाल ने इधर भी चल दी अपनी चाल जिसकी वजह से स्वर्णलता का रथ हो गया बीच जंगल में दुर्घटनाग्रस्त और रानी और राजकुमार को उठा ले गया एक विशाल बाज। महाराज विक्रमसिंह की आज्ञा पर जब बांकेलाल निकला रानी और राजकुमार की तलाश में तो उसको मार्ग में मिले राजा चंदनसिंह। बांकेलाल ने उनके साथ की चलनी चाही अपनी चाल परन्तु तभी उन पर भी हो गया उस विशाल बाज का हमला और वो उठा ले गया चंदनसिंह और बांकेलाल को। और फिर...........?
Tuesday, September 7, 2010
नागराज और लाल मौत

Monday, September 6, 2010
प्रलयंकारी मोती
डाकुओं के गिरोह से जान बचाती एक निबर्ल युवती कर्णनखा जा पहुंची एक मुनि की शरण में। मुनि ने अपनी शक्ति से कर्णनखा को दिया एक प्रलयंकारी मोती ताकि वह दुष्टों से अपनी रक्षा कर सके। परन्तु वह प्रलयंकारी मोती प्राप्त करने के पश्चात उसको अपनी शक्ति पर हो गया अभिमान और अपनी उस शक्ति के बल पर वह मचाने लगी आतंक। यहां तक की विराट नगर के राजा जयचंद की हत्या कर उसने कर लिया राज्य पर कब्जा। राजकुमारी रजनीगंधा जो उससे जान बचाकर भागी और खाई कसम की वह अपने पिता की हत्या का बदला कर्णनखा से लेकर रहेगी। और फिर.........?
Sunday, September 5, 2010
खिड़की

Saturday, September 4, 2010
जहरीली दौलत

Friday, September 3, 2010
एक दिन की मौत

Thursday, September 2, 2010
चीखते गीत
मणिकपुर का राजकुमार रतनसेन जिसको राजपाट और युद्ध के बजाय नृत्यसंगीत से था बहुत लगाव उसके इस लगाव की वजह से परेशान रहते मणिकपुर के राजा समरसेन। उन्होंने रतनसेन की नृत्य संगीत की शिक्षा भी बंद करवा दी परन्तु नृत्यसंगीत और अपने गुरू श्री हरि की पुत्री संगीता के प्रेम उसको न रोक पाता। यह देख समरसेन को और कोई उपाय न सूझा तो उसने श्री हरि की कुटिया में लगा दी आग जिसमें जल मरे श्री हरि और उसकी पुत्री संगीता। इस हादसे से टूट गया रतनसेन उसकी आवाज खो गई और उसको हो गई नृत्यसंगीत से नफरत अब वह कहीं भी नृत्यसंगीत होता देखता तो हो जाता आगबबूला। और फिर.........?
Wednesday, September 1, 2010
विनाशकारी कुल्हाड़ी
वैभवगढ़ की राजकुमारी चन्द्रप्रभा जो जंगल में शिकार के दौरान एक राक्षस के चंगुल में फंस गई। उसको बचाने की कोशिश की जंगल में लकड़ी काट रहे एक लक्कड़हारे अजय ने परन्तु राक्षस ने उसको ऐसा फेंका कि वह जा गिरा बहुत दूर और उसके हाथ में थमी कुल्हाड़ी से मारा गया एक सन्यासी। सन्यासी ने अजय को बताया कि वह सन्यासी सावन्तनगर का युवराज है जिसने सत्ता के लालच में आकर अपने छोटे भाई को मार डाला परन्तु सावन्तनगर के महामंत्री ने उसके साथ विश्वासघात किया परन्तु वह किसी तरह जान बचाकर भाग निकला और वह और कोई नहीं अजय का पिता है। यह सुन अजय निकल पड़ा अपने साथ हुए विश्वासघात का बदला लेने। और फिर.............?
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