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Tuesday, December 28, 2010

तिलिस्मदेव और दिवोगा

दिव्यापुर का राजा चक्रम सिंह जिसके पास था एक अद्भुत दिव्यास्त्र दिवोगा परन्तु चक्रम सिंह की रानी दिव्यारुपा ने चक्रम सिंह से किया छल और वो दिव्यास्त्र दे दिया सेनापति दुर्जन सिंह को जिसके बल पर वो करना चाहती थी विश्व विजय। दुर्जन सिंह ने दिवोगा की मदद से चक्रम सिंह के हाथ पैर काट बना दिया उसे अपाहिज और निकल पड़ा विश्व विजय को। चक्रम सिंह का अपाहिज शरीर मिला लकडहारे हरदेव को और उसने पुकारा मदद के लिए तिलिस्मदेव को और अपने राजा के लिए हरदेव ने बलिदान कर दिए अपने हाथ पैर। तिलिस्मदेव की शक्ति प्राप्त कर चक्रम सिंह ने दुर्जन सिंह को तो कर दिया ख़त्म पर दिव्यारुपा ने छल से कर दिया चक्रम सिंह का भी अंत। तब दिव्यारुपा को समाप्त करने के लिए तिलिस्मदेव ने अपाहिज हो चुके हर देव को दे दिए स्वयं के हाथ और पैर। और फिर................?

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