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Monday, December 20, 2010

तिरंगा नहीं बनेगा कफ़न

14 वर्षीय लड़का बीच सड़क पर ताबूत लेकर आया और मांग की पागलखाने में बंद मालती नाम की महिला को उसके पास लाने की। मालती के आने पर वो लड़का सुनाता है कहानी इंस्पेक्टर देवनाथ की जिसकी आँखों के सामने हत्या कर दी गयी एक रिपोर्टर मोहन आप्टे की और इस हत्या की गवाह मोहन आप्टे की बेटी कनिका को बचाता है इंस्पेक्टर देवनाथ और हत्यारे नेता किर्तिमंडल को गिरफ्तार करने निकलता है परन्तु उससे पहले ही अपने खिलाफ एक मात्र गवाह को ख़त्म करने के लिए भेज देता है किर्तिमंडल अपने आदमियों को इस चक्कर में मारा जाता है इंस्पेक्टर देवनाथ और उसका बेटा बचती है तो उसकी पत्नी मालती जिसको इन्साफ दिलाने का प्रण लेता है खुद किर्तिमंडल का बेटा गुड्डू। और फिर.....................?

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