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Monday, December 13, 2010

बारह घोड़ों का रथ

खांडवप्रस्थ का राजा अश्वप्रस्त जिसकी जंगल में शिकार के दौरान कर दी हत्या राक्षस खोपड़दंत ने। खोपड़दंत जिसको था गुमान अपनी आश्चर्यजनक गति का। देवर्षि नारद ने उसे बताया की ब्रह्माण्ड में उसकी गति से भी तेज है भगवान सूर्य के बारह घोड़ों के रथ की गति। यह सुनकर बारह घोड़ों के रथ को प्राप्त करने का विचार लिए उसने की भगवान विष्णु की तपस्या और प्राप्त किया वरदान की उसकी मृत्यु नहीं हो सकती थी किसी भी दैवीय शक्ति से। वरदान प्राप्त कर खोपड़दंत ने बंदी बना लिया सूर्य भगवान की पुत्री सुर्यदा को। इधर राजा अश्व्प्रस्त की मृत्यु की पश्चात खोपड़दंत से बदला लेने के लिए आ पहुंचा राजकुमार अतुलप्रस्त परन्तु रहा नाकाम तब उसने लिया मदद के लिए एक ही नाम, तिलिस्मदेव। और फिर.................?

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