चित्रपुर का दुष्ट राजा दुर्जन सिंह जो अपने राज्य के नागरिकों पर करता था बेइन्तेहाँ ज़ुल्म। इस ज़ुल्म का शिकार बना बेचारा जीवनदास पर तभी हुयी एक भविष्यवाणी की दुर्जन सिंह की मृत्यु होगी इसी जीवनदास के पुत्र के हाथों। इससे घबराकर राजा दुर्जन सिंह ने जीवनदास के नवजात पुत्र को फिकवा दिया नदी में और दुसरे पुत्र को जीवनदास की पत्नी लेकर भाग निकली। परन्तु जीवनदास के पुत्र को बचा लिया ऋषि राजनाथ ने और उसको बड़ा कर बनाया अपने खिलाफ हुए अत्याचार का बदला लेने लायक। पर उसके लिए जीवनदास के पुत्र शिव सिंह को चाहिए था जादुई शीशा जो मिल सकता था अद्भुत सोने की नदी को पर करने पर। और शिव सिंह चल पड़ा जादुई शीशा प्राप्त करने। और फिर................?Sunday, January 10, 2010
सोने की नदी
चित्रपुर का दुष्ट राजा दुर्जन सिंह जो अपने राज्य के नागरिकों पर करता था बेइन्तेहाँ ज़ुल्म। इस ज़ुल्म का शिकार बना बेचारा जीवनदास पर तभी हुयी एक भविष्यवाणी की दुर्जन सिंह की मृत्यु होगी इसी जीवनदास के पुत्र के हाथों। इससे घबराकर राजा दुर्जन सिंह ने जीवनदास के नवजात पुत्र को फिकवा दिया नदी में और दुसरे पुत्र को जीवनदास की पत्नी लेकर भाग निकली। परन्तु जीवनदास के पुत्र को बचा लिया ऋषि राजनाथ ने और उसको बड़ा कर बनाया अपने खिलाफ हुए अत्याचार का बदला लेने लायक। पर उसके लिए जीवनदास के पुत्र शिव सिंह को चाहिए था जादुई शीशा जो मिल सकता था अद्भुत सोने की नदी को पर करने पर। और शिव सिंह चल पड़ा जादुई शीशा प्राप्त करने। और फिर................?
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