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Thursday, January 28, 2010

धूर्त बुढ़िया

विलासनगर में रहने वाले दो मित्र श्रीधर और यशधर, विलासनगर में महामारी फैलने के बाद दुसरे शहर में काम की तलाश में निकले और रास्ते में दोनों एक वर्ष बाद दोबारा मिलने का वादा कर अलग-अलग रास्ते हो गए। श्रीधर को मिल गया एक पारस पत्थर उसको लेकर वो एक धूर्त बुढ़िया और उसकी बेटी के जाल में फंस गया। दूसरी तरफ यशधर जा पहुंचा राजगढ़ के राजमहल और बन बैठा महाराज का अंगरक्षक। एक साल बाद जब यशधर वापस पहुंचा उस स्थान जहा अलग हुआ था वो अपने मित्र से तो उसे वहां न पाकर लग गया उसकी तलाश में। और फिर............?

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