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Thursday, April 22, 2010

साधू का श्राप

शक्तिनगर के राजा कुशलसेन की पहली पत्नी एक कुबड़े राजकुमार को जन्म देकर चल बसी। राजा कुशलसेन पर मोहित हो जादूगर मंडिका की पुत्री चंडिका ने कर लिया उससे विवाह और अपनी सौतेली माँ के अत्याचार से तंग आकर कुबड़े राजकुमार अभय ने छोड़ दिया महल और जा पहुंचा एक महात्मा के शरण में जिन्होंने उसे बताया उसकी बदसूरती ठीक करने का उपाय सदाचार वृक्ष का फल। इधर एक साधू के श्राप से रानी चंडिका का पुत्र उदय भी बन गया राक्षस उसको ठीक करने का भी उपाय था वही फल। तब रानी चंडिका ने अपने पिता जादूगर मंडिका की मदद से बनायीं योजना राजकुमार अभय से फल छीनने की। और फिर...........?

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