कानी डायन जिसको महर्षि गौतम ने उसकी दुष्टता के कारण एक मटके में कैद कर रखा था, कैद से आजाद हो गई अब उसको सबसे पहले पाना था महाचंडी से अमरता का वरदान इसके लिए कानी डायन ने महाचंडी को बलि देने के लिए कर लिया एक व्यापारी नारायणदत्त और उसके काफिले का अपहरण। कानी डायन के आजाद होने की खबर जब लगी महर्षि गौतम को तो कानी डायन से निपटने के लिए उन्हें चाहिए था एक बहादुर नौजवान जिसके लिए उन्होंने चुना नारायणदत्त के पुत्र सोमदत्त को और उसे अपनी तंत्र विद्या सिखाकर कानी डायन को सामना करने भेजा महर्षि गौतम ने। और फिर............?
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